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चीन को अमेरिका की दो टूक- मसूद पर बैन नहीं लगा तो क्षेत्रीय शांति का मिशन होगा फेल

अमेरिका। पुलवामा आतंकी हमले के गुनाहगार जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को घेरने के लिए भारत पुरजोर कोशिशें कर रहा है. आज संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा समिति की बैठक में ये तय हो जाएगा कि मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित किया जाए या नहीं. भारत की इस मुहिम में अमेरिका भी साथ है, US की ओर से कहा गया है कि मसूद अजहर ग्लोबल आतंकी घोषित होना चाहिए.

अमेरिका की ओर से बयान में कहा गया है कि भारत-अमेरिका साथ में काम कर रहे हैं, जैश-ए-मोहम्मद के अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन है और मसूद उसका सरगना है ऐसे में उसे भी ग्लोबल आतंकी घोषित किया जाना चाहिए. मसूद अजहर भारतीय उपमहाद्वीप में शांति के लिए खतरा है.

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता रॉबर्ट ने अपने बयान में कहा कि अमेरिका और चीन इस बात पर सहमत हैं कि क्षेत्र में शांति स्थापित होनी चाहिए. अगर जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर बैन नहीं लगता है कि शांति का मिशन फेल हो सकता है.

आपको बता दें कि भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले अभी अमेरिका में ही हैं और उन्होंने US के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो से मुलाकात की थी. माना जा रहा है कि मसूद अजहर के मामले को लेकर भारत काफी सख्त रुख अपना रहा है, यही कारण है कि ऐसे समय में अमेरिका के साथ रह UNSC में उसे ग्लोबल आतंकी घोषित कराए जाने की कोशिशें की जा रही है.

विजय गोखले ने इसके अलावा मंगलवार को अमेरिका के पॉलिटिकल अफेयर्स सेक्रेटरी डेविड हेल के साथ बैठक की और कई मुद्दों पर बात की.

गौरतलब है कि मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने के लिए पहले भी प्रस्ताव लाया जा चुका है, लेकिन हर बार चीन ने अपने वीटो पावर का इस्तेमाल कर ऐसा करने से रोक लिया. अब पुलवामा आतंकी हमले के बाद एक बार फिर मसूद अजहर के खिलाफ माहौल बना है और अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन फिर प्रस्ताव लाए हैं.

14 फरवरी को हुए पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे, तब से भारत पाकिस्तानी समर्थित आतंकियों पर हमलावर है. इसी घटना के बाद भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को बालाकोट में एयर स्ट्राइक की थी.

इसके अलावा भी 50 वर्षीय मसूद अजहर ने भारत में कई आतंकवादी हमले कराए हैं, जिसमें संसद भवन पर हमला, पठानकोट वायुसेना स्टेशन, उरी में आर्मी कैंप, जम्मू-कश्मीर में कई अन्य जगह सैन्य शिविरों पर हमले शामिल हैं.

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