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जब-जब साउथ से उतरा गांधी परिवार, जानिए चुनाव नतीजों पर क्या हुआ असर

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार अमेठी संसदीय सीट के साथ-साथ केरल की वायनाड सीट से भी चुनावी किस्मत आजमाएंगे. वायनाड सीट के जरिए राहुल केरल सहित पूरे दक्षिण भारत को साधने की रणनीति के तहत उतर रहे हैं. राहुल गांधी ‘गांधी परिवार’ के पहले शख्स नहीं है जो दक्षिण के रण में उतर रहे हैं बल्कि उनसे पहले मां सोनिया गांधी और दादी इंदिरा गांधी भी दक्षिण भारत से चुनाव लड़ चुकी हैं. इसका राजनीतिक फायदा इंदिरा-सोनिया को मिलने के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी को भी मिला है.

बता दें कि दक्षिण भारत में ऐसी लगातार मांग उठती रही है कि दिल्ली की सत्ता के सिंहासन पर उनका प्रतिनिधत्व हो. इसी के मद्देनजर राहुल गांधी ने अपनी मां और दादी की तर्ज पर दक्षिण भारत का दिल जीतने के लिए वायनाड से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. राहुल ने अपनी परंपरागत सीट अमेठी से चुनाव लड़ने के साथ-साथ कांग्रेस लिए मजबूत किले के रूप में मशहूर वायनाड सीट को भी चुना है.

इंदिरा गांधी चिकमंगलूर से लड़ी थीं उपचुनाव

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ‘गांधी परिवार’ की पहली सदस्य रही हैं, जो दक्षिण भारत से चुनावी मैदान में उतरी थीं. 1977 में रायबरेली सीट से राज नारायण से हारने के बाद इंदिरा गांधी 1978 में कर्नाटक की चिकमंगलूर लोकसभा सीट से उपचुनाव में उतरी थीं. इंदिरा का यहां से चुनावी मैदान में उतरना कांग्रेस के लिए संजीवनी की तरह था. दो साल के बाद 1980 में लोकसभा चुनाव हुए तो कर्नाटक (तत्कालीन मैसूर)  की सभी 27 संसदीय सीटें कांग्रेस जीतने में सफल रही थी.

सोनिया गांधी अमेठी और बेल्लारी से चुनाव मैदान में उतरी थीं

इंदिरा गांधी के बाद ‘गांधी परिवार’ के दूसरे सदस्य के तौर सोनिया गांधी दक्षिण भारत के सियासी रणभूमि में उतरी थीं. सोनिया गांधी ने 1998 में राजनीति में कदम रखने बाद 1999 के लोकसभा चुनाव में अमेठी के साथ-साथ कर्नाटक की बेल्लारी संसदीय से चुनाव मैदान में किस्मत आजमाई थी. सोनिया के खिलाफ बीजेपी ने सुषमा स्वराज को मैदान में उतारा था. सोनिया गांधी ने इस सीट पर करीब 56 हजार मतों से जीत हासिल की थी.

कांग्रेस को ऐसे मिला था फायदा

सोनिया के कर्नाटक के सियासी रण में उतरने से कांग्रेस को भी काफी जबरदस्त फायदा मिला था. कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को 18 सीटें मिली थीं. वहीं, बीजेपी को 7 और जनता दल को 3 सीटों से संतोष करना पड़ा था. जबकि इससे पहले कांग्रेस की पांच सीटें थीं. इस तरह से पार्टी को 11 सीटों का इजाफा हुआ था.

मां और दादी की तर्ज पर राहुल गांधी ने अमेठी के साथ-साथ केरल की वायनाड सीट को भी चुना है. केरल की कुल 20 लोकसभा सीटों में से अभी कांग्रेस के पास महज 8 सीट हैं. इस तरह से राहुल के सामने अपनी सीट जीतने के साथ-साथ केरल में सीट बढ़ाने की चुनौती है. इसके अलावा दक्षिण भारत में भी कांग्रेस के खोए हुए जनाधार को वापस लाने की बड़ी चुनौती है.

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