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क्या मोदी और शाह ने तोड़ी आचार संहिता? आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले की सुनवाई होगी कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव प्रचार के दौरान अपने बयान और भाषणों से आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है. कांग्रेस ने इस बाबत सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में शिकायत की है कि उसके द्वारा चुनाव आयोग को दी गई बार-बार अर्जियों के बावजूद देश की सर्वोच्च निर्वाचन संस्था ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है.

एक्शन लेने में फेल रहा चुनाव आयोग- कांग्रेस

सिल्चर से सांसद और ऑल इंडिया महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी देकर कहा कि चुनाव आयोग की चुप्पी अप्रत्यक्ष रूप से चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करती है. सुष्मिता देव ने अपनी अर्जी में कहा कि चुनाव आयोग ‘घृणा फैलाने वाले बयानों’ ‘राजनीतिक उद्देश्यों’ के लिए सेना के शौर्य का इस्तेमाल करने के खिलाफ की गई शिकायत पर कार्रवाई करने में असफल रहा है. सुष्मिता देव की अर्जी को वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस केस की तत्काल सुनवाई की अपील की. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने आज इस याचिका पर सुनवाई की सहमति दे दी.

सेना के शौर्य का चुनाव में न हो इस्तेमाल

बता दें कि चुनाव आयोग ने नेताओं को काफी पहले ही ताकीद कर दी थी कि सैन्य बलों के पराक्रम या उनकी वर्दी का इस्तेमाल वोट मांगने में न करें. कांग्रेस ने चुनाव आयोग को दी गई अर्जी में 10 मार्च से पीएम मोदी और अमित शाह के कथित रूप से विवादित भाषणों की सूची सौंपी है. 10 मार्च को ही चुनाव की घोषणा हुई थी और आदर्श आचार संहिता लागू हुई थी.

एयरस्ट्राइक का जिक्र कर चुके हैं पीएम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चुनावी भाषणों में कई बार बालाकोट एयर स्ट्राइक का जिक्र कर चुके हैं. पीएम ने एक चुनावी रैली में कहा था कि हमने आतंकवादियों को घर में घुसकर मारा, चोट वहां पड़ी, पीड़ा यहां हुई. 21 अप्रैल को गुजरात के पाटन में पीएम ने कहा था, “ये अच्छा हुआ पाकिस्तान ने पायलट को वापस भेजने की घोषणा कर दी, नहीं तो वो रात कत्ल की रात होती.” एक दूसरी रैली में पीएम ने कहा था, “क्या आपका पहला वोट पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक करने वाले वीर जवानों के नाम समर्पित हो सकता है क्या?”

कांग्रेस की याचिका के मुताबिक, “यह सार्वजनिक है कि वे घृणास्पद बयान देने में संलिप्त रहे हैं और लगातार अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए भाषण में सशस्त्र बलों का इस्तेमाल करते रहे हैं, जबकि चुनाव आयोग द्वारा स्पष्ट तौर पर इसे बोलने पर रोक लगाई गई थी” कांग्रेस ने याचिका में कहा है कि चुनाव आयोग द्वारा फैसला लेने में तीन हफ्तों से ज्यादा की देरी या निर्णय का अभाव वास्तव में खुद में एक निर्णय ही है.

कांग्रेस ने कहा कि चुनाव आयोग के संज्ञान में अबतक आचार संहिता के उल्लंघन के 40 मामले लाए गए हैं, लेकिन आयोग ने अबतक कोई कार्रवाई नहीं की है. कांग्रेस का आरोप है कि निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए संवैधानिक संस्था होने के बावजूद, चुनाव आयोग संविधान के प्रावधानों और कानूनों और नियमों का उल्लंघन करने वालों के हाथों का एक उपकरण बन गया है.

यहां दीगर यह भी है कि जैसे ही कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की उसके कुछ ही घंटे बाद चुनाव ने कहा कि वह आज की रूटीन बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव से जुड़ी शिकायतों पर गौर करेगा और उचित कार्रवाई करेगा.

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