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प्रियंका शर्मा की गिरफ्तारी पश्चिम बंगाल पुलिस की मनमानी कार्रवाईः सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में बीजेपी की नेता प्रियंका शर्मा की गिरफ्तारी का मामला बुधवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्रियंका शर्मा को सीएम ममता बनर्जी का मीम (व्यंग चित्र) बनाने के मामले में जमानत दे दी थी लेकिन मंगलवार को प्रिंयका की जेल से रिहाई नहीं हुई थी. इसके अलावा मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले ही कोलकाता की साइबर सेल पुलिस ने भी प्रियंका को क्लीनचिट दे दी थी. उसके बाद भी उन्हें रिहा नहीं किया गया.

इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर प्रियंका को समय पर नहीं छोडा गया है तो ये अवमानना का मामला बनता है. वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल ने आज मीडिया से कहा कि कहा- राज्य पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दे दी लेकिन मुझे जानकारी नहीं दी गई. निचली अदालत में पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की और सुप्रीम कोर्ट को सूचित नहीं किया गया. जबकि पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने कहा कि प्रियंका 9.40 बजे रिहा कर दिया गया है.

जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा अगर क्लोज़र रिपोर्ट दायर की गई है तो प्रियंका शर्मा की गिरफ्तारी को मनमानी कार्रवाई कहा जायेगा. उन्हें कोर्ट के आदेश पर छोड़ा क्यों नहीं गया? इस मामले में भाजपा कार्यकर्ता की गिरफ्तारी प्रथम दृष्टया मनमानी कार्रवाई है.

पश्चिम बंगाल के वकील ने कहा कि ऐसा वहां के हालात की वजह से हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रियंका को आज छोड़ दिया गया है, ऐसा राज्य सरकार कह रही है. ऐसे में आगे क्या अवमानना का मामला चलाया जाए या नहीं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं माना गया. इस मुद्दे पर 1 जुलाई को अगली सुनवाई होगी.

मैं माफी नहीं मांगूंगी: प्रियंका शर्मा
उधर जेल से रिहा होने के बाद प्रियंका शर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कि मुझे 18 घंटे जेल में रखा गया. उन्होंने कहा कि मुझसे जबरन माफीनामा लिखवाया गया उसपर हस्ताक्षर करवाए गए. प्रियंका ने कहा कि मैं ममता बनर्जी से माफी नहीं मागूंगी. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के मीम को शेयर करने वाले सभी लोग क्यों नहीं पकड़े गए. मुझे केवल इसलिए पकड़ा गया क्योंकि मैं बीजेपी की कार्यकर्ता हूं.

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