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दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देगी सेना की यह नई कमान, जानिए क्या है सेना का जल-थल-नभ प्लान

नई दिल्ली। दुश्मन के इलाके में आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक करने के लिए तीनों सेनाओं के चुनिंदा सैनिक अब मिलकर कार्रवाई करेंगे. भारत के पहली स्पेशल ऑपरेशन डिवीज़न के जीओसी की नियुक्ति के साथ ही साझा कमानों के नए युग की शुरुआत हो गई है. सेना की डिवीज़न के आकार की इस कमान में सेना की पैरा स्पेशल फोर्सेज़, नौसेना के मार्कोज़ यानि मरीन कमांडोज़ और वायुसेना के गरुण कमांडो होंगे. इस कमान का नेतृत्व सेना का मेजर जनरल रैंक का अधिकारी करेगा.

मेजर जनरल एके ढींगरा इस डिवीज़न के पहले जीओसी यानि जनरल ऑफिसर कमांडिंग बना दिए गए हैं. इसके साथ ही बाकी दो कमान स्पेस और साइबर बनाने के लिए भी हरी झंडी दे दी गई है. स्पेस डिवीज़न को वायुसेना और साइबर को नौसेना के अधिकारी लीड करेंगे. स्पेशल ऑपरेशन डिवीज़न में पैरा स्पेशल फोर्स के सैनिकों की एक बटालियन होने की संभावना है. मार्कोज़ और गरुण कमांडो की एक-एक कंपनी शामिल की जाएगी. सारे स्टाफ को मिलाकर इस डिवीज़न की तादाद 3000 सैनिकों की होगी.

खास बात ये है कि इस डिवीज़न का हेडक्वॉर्टर दिल्ली के बजाए आगरा में बनाने पर विचार किया जा रहा है. पिछले साल सेना को ज्यादा आधुनिक और कमान को ज्यादा कारगर बनाने के लिए तीन नई कमान बनाने पर चर्चा शुरू हुई थी. इन कमानों की ज़रूरत मौजूदा समय में आने वाली नई चुनौतियों से कारगर ढंग से निबटने के लिए महसूस की गई थी. ये कमान भविष्य की सेना के आधार के तौर पर मानी गई हैं, जब तीनों सेनाओं के साझा ऑपरेशनों की ज्यादा ज़रूरत होगी ताकि बहुत कम वक्त में हर किस्म की कार्रवाईयां की जा सकें.

भारत में पैरा स्पेशल फोर्स सबसे बेहतर मानी जाती है. इसमें कुल 9 बटालियन हैं जिनमें सबसे पुरानी बटालियन का गठन 1966 में हुआ था. इन्हें खासतौर पर दुश्मन के इलाक़े में ऑपरेशन करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. चाहे म्यांमार की सीमा पर नगा विद्रोहियों के खिलाफ़ कार्रवाई हो या पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक, इन्हीं सैनिकों पर भरोसा किया जाता है. पैरा स्पेशल फोर्स में साढ़े तीन साल की शुरुआती ट्रेनिंग होती है जो पूरी दुनिया में होने वाली सबसे लंबी ट्रेनिंग है.

इन्हें सबसे बेहतर हथियारों से लैस किया जाता है और हर तरह के इलाक़े में बेहद खामोशी से ऑपरेशन करने के लिए तैयार किया जाता है. नौसेना के मार्कोज़ समुद्र के ज़रिए होने वाली विशेष कार्रवाइयों के तो तैयार होते ही हैं इन्हें लंबे अरसे से कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी शामिल किया गया है. वायुसेना के गरुण कमांडो को शुरुआत में केवल वायुसेना के महत्वपूर्ण ठिकानों की सुरक्षा के लिए तैयार किया गया था लेकिन बाद में इन्हें दूसरी कार्रवाइयों में भी शामिल किया गया. गरुण कमांडो ज्योति निराला को 2018 में आतंकवाद विरोधी कार्रवाई में मरणोपरांत शांतिकाल का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र दिया गया है.

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