Friday , November 22 2024

मायावती का आशीर्वाद भी नहीं आया काम, समाजवाद का गढ नहीं बचा सकी डिंपल यादव

लखनऊ। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रचंड जीत हासिल की है, साल 2014 में जिस सीट को मोदी लहर भी नहीं हिला पाई थी, उस लोकसभा सीट को इस बार बीजेपी ने कब्जे में ले लिया है, यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से कन्नौज एक ऐसी सीट थी, जिस पर सभी की निगाहें टिकी हुई थी, सपा-बसपा और रालोद गठबंधन की ओर से यहां से यादव परिवार की बहू डिंपल चुनावी ताल ठोंक रही थी, हालांकि जनता ने सुब्रत पाठक पर भरोसा दिखाया और 5 साल के लिये अपना सांसद चुन लिया।

कन्नौज में मोदी लहर
2019 में कन्नौज में मोदी लहर दिखी, समाजवाद के गढ कहे जाने वाले कन्नौज से डिंपल यादव दो बार सांसद रही, हालांकि इस बार उन्हें जनता ने पीछे कर दिया, मतगणना के शुरुआती दौर में डिंपल यादव आगे रही, लेकिन दोपहर के बाद वो पिछड़ने लगी, सुब्रत पाठक और डिंपल के बीच करीबी टक्कर रही, आखिर में बाजी बीजेपी उम्मीदवार ने मार ली।कितने वोट मिले
कन्नौज से डिंपल यादव को 5,50,734 वोट मिले, जबकि बीजेपी उम्मीदवार सुब्रत पाठक को 5,63.087 वोट मिले, जैसे-जैसे सुब्रत पाठक आगे निकल रहे थे, वैसे-वैसे सपा के खेमे में हलचल बढती जा रही थी, इस सीट पर अखिलेश यादव के साथ ही मायावती ने भी जनसभा कर लोगों से अपील की थी, इसके साथ ही मायावती ने डिंपल को जीत का आशीर्वाद भी देते हुए अपने परिवार का सदस्य बताया था।पहली बार फिरोजाबाद से लड़ी थी 
आपको बता दें कि 2009 लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव दो सीटों से लड़े थे, फिरोजाबाद और कन्नौज, वो दोनों सीटों से जीतने में सफल रहे,  बाद में अखिलेश ने फिरोजाबाद सीट छोड़ दी, जिसके बाद उपचुनाव में उनकी पत्नी डिंपल को यहां से मैदान में उतारा गया, हालांकि पहले ही चुनाव में यादव परिवार के बहू के लिये बुरा अनुभव रहा, कांग्रेस नेता राज बब्बर ने उन्हें हरा दिया।2012 में पहुंची संसद 
उपचुनाव में हार के बाद अखिलेश यादव 2012 में सीएम बन गये, जिसके बाद उन्होने कन्नौज सीट छोड़ दी, इस बार डिंपल फिर सपा की ओर से चुनाव में उतरी, हालांकि उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं था, जिसके बाद वो निर्विरोध सांसद बनी, 2014 में फिर कन्नौज से जीती लेकिन इस बार सुब्रत पाठक ने उन्हें हरा दिया।

साहसी पत्रकारिता को सपोर्ट करें,
आई वॉच इंडिया के संचालन में सहयोग करें। देश के बड़े मीडिया नेटवर्क को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर इन्हें ख़ूब फ़ंडिग मिलती है। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें।

About I watch