योगेश किसलय
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा हेलीकॉप्टर दुर्घटना में घायल होकर ICU में थे तो मुझे इंडिया टीवी के एक सीनियर प्रोड्यूसर ने कहा कि आप कोशिश कीजिये कि ICU में जाकर कुछ शॉट्स बन जाए । मैंने साफ कह दिया सभी चैनल के लोग जाएंगे तब भी मैं अंदर नही जाऊंगा । चाहे तो आप मेरी शिकायत चैनल हेड से कर दे । उन्होंने कहा कि आजकल एथिकल पत्रकारिता हो कहाँ रही है जो आप इतने भावुक हुए जा रहे हैं । मैंने कहा – आप एक्सक्लूसिव के चक्कर मे मेरी 25 साल की मेहनत पर पानी मत फेरिये । प्रोड्यूसर शांत हो गया ।
दरअसल यह बहुत आम है कि एक पत्रकार खुद को खुदा समझ जाता है । अंजना ओम कश्यप को आप जानिए । 44 साल की यह महिला रांची में जन्मी पढ़ी। दो बच्चों की माँ अंजना के पति एक आईपीएस अधिकारी हैं । पति का रौब है तो पत्नी पीछे क्यों रहती । मुजफ्फरपुर के अस्पताल के आई सी यू में जाकर चेहरा चमकाने का मौका मिल गया । आप समझ सकते हैं कि आई सी यू की गंभीरता क्या होती है । वहां कोई डॉक्टर या मरीज या उसका परिजन न सत्तू पीने जाता है न भूंजा खाने । अब अंजना काकी डॉक्टर पर बरस पड़ी । लगभग सात मिनट तक आई सी यू के भीतर चिल्लाती रही , चीखती रही । बीमार बच्चों का मसीहा जो बनना था ।
उस दौरान चिकित्सा कार्य मे लगे लोग बेहद परेशान हुए । मरीज और उनके परिजन भी सदमे के इस घड़ी में किसी अनाहूत की उपस्थिति से सभी स्तब्ध थे । और काकी का सवाल जवाब भी आपने सुना । साफ लग रहा था कि वह खबर दिखाने नही अपनी धौंस जमाने आई सी यू में अनधिकृत रूप से घुस गई थी । इस दौरान बच्चों के इलाज में जो बाधा उत्पन्न हुई और अगर किसी बच्चे ने दम तोड़ दिया होगा तो उसकी जवाबदेही अंजना काकी लेगी क्या ? पति की तरह रुआब झाड़ने की कुंठा आई सी यू में निकाल रही है अंजना काकी । खुद को ख़ुदा समझने लगे हैं ये एक्टर सह एंकर । दरअसल काकी की कुंठा इस बात पर है कि वह खुद डॉक्टर बनना चाहती थी । पढ़ाई में फिसड्डी हो गयी तो यह अरमान जाता रहा । पति आईपीएस हैं । स्वाभाविक है कि उनका रुआब होगा । अब अंजना काकी पीछे क्यों रहती । कुंठा की तृप्ति के लिए आई सी यू में बाकायदा कमर में हाथ रखकर जैसा रुआब झाड़ा उसके आगे उसके आईपीएस पति कहाँ ? जिस अरमान को बचपन मे वह पाले हुए थी उनकी क्लास ले रही थी मोहतरमा ।
इसी पोस्ट के एक कमेंट में अमीर नामक मुफस्सिल पत्रकार के बारे में जानकारी डाली है जिसने अपनी बाइक में बीमारों को अस्पताल पहुचाया । मुझे डॉक्टरों से कोई लगाव नही लेकिन डॉक्टर भी इंसान है यह मानने में गुरेज नही । चुस्त व्यवस्था , पर्याप्त संसाधन और कुशल डॉक्टरों की कमी सरकार की जिम्मेवारी है न कि आई सी यू में काम करने वाले चिकित्सा अधिकारियों की । आई सी यू की गंभीरता मैं जानता हूँ काकी । अपने पिता को वेंटिलेशन में देखने तभी जाता था जब परमिशन लेता था । वह भी निहायत सुरक्षा सावधानी के । मुह में मास्क लगाकर , चप्पल जूते उतारकर और बिना शोर किये । बच्चों के लिए तो आप बिलकुल यमराज बनकर ही आई सी यू में घुस गई थी । हम छोटे शहर के बिंदास पत्रकार ही हैं जो पत्रकारिता के कोड ऑफ कंडक्ट का पालन करते हैं । आपलोग तो मसीहा हैं ।आपके सात खून माफ । बालों को लहराने से , उचक उचक कर चिल्लाने से , हर बात पर न्यायाधीश बन जाने से कोई बड़ा पत्रकार नही बन जाता । आपको तो इस हरकत के लिए माफी मांगनी चाहिए । और जो लोग ऐसे खरपतवार को पत्रकारिता का स्तम्भ बताते है उनकी तो ऐसी की तैसी ।
बच्चों की मौत पर नकारा साबित हुई नीतीश सरकार क्या इस मामले में संज्ञान लेगी ? या बच्चों की मौत पर अपराधबोध से ग्रस्त सरकार काकी को डरकर छोड़ देगी ।?
(वरिष्ठ पत्रकार योगेश किसलय के फेसबुक वॉल से)