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बिहार : तेजस्वी यादव के ‘अज्ञातवास’ की वजह परिवार, पार्टी में कलह!

पटना। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव लोकसभा चुनाव में मिली पार्टी की करारी हार के बाद अपने 33 दिनों के ‘अज्ञातवास’ के बाद भले ही पटना लौट आए हैं, परंतु अभी भी विधानमंडल के मानसून सत्र में हिस्सा लेने वह सदन नहीं पहुंचे हैं. इस बीच, देश के दमदार नेता के रूप में शुमार रहे लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के उत्तराधिकारी माने जाने वाले तेजस्वी यादव के अज्ञातवास और फिर ‘घर वापसी’ पर राजनीतिक चर्चा शुरू हो गई है.

तेजस्वी ने पटना वापस लौटने के एक दिन पूर्व शुक्रवार को ट्वीट कर अपने इलाज का हवाला देते हुए पटना से गायब रहने की बात सार्वजनिक की थी, परंतु वह कहां और किस बीमारी का इलाज करा रहे थे, इसका खुलासा अब तक नहीं हो पाया है.

आरजेडी के एक नेता से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने अपने बेबाक अंदाज में कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह बात किसी को मालूम होगी. वह (तेजस्वी) अपनी मां और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को भी यह बताकर नहीं गए होंगे कि वह कहां जा रहे हैं.”

उल्लेखनीय है कि चारा घोटाले में सजा पाने से पहले आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद ने तेजस्वी को बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री बनवाकर और बाद में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाकर अप्रत्यक्ष रूप से अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था. लेकिन लालू के जेल जाने और हाल में हुए लोकसभा चुनाव में बड़े भाई तेजप्रताप यादव के बागी तेवर ने तेजस्वी को परेशान कर दिया.

तेजप्रताप ने जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र से बजाप्ता आरजेडी उम्मीदवार के खिलाफ अपना प्रत्याशी तक उतार दिया.

हालांकि आरजेडी के नेता इसे सही नहीं मानते. आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र कहते हैं कि विरोधियों का यह बयान कहीं से सही नहीं है. उन्होंने दावा किया कि जल्द ही तेजस्वी सदन में आएंगे और बात रखेंगे.

आरजेडी सूत्रों का दावा है कि पार्टी के भीतर रघुवंश प्रसाद सिंह, अब्दुलबारी सिद्दीकी जैसे वरिष्ठ नेता भी तेजस्वी की कार्यशैली को लेकर नाराज हैं. ऐसे में तेजस्वी इन सभी नेताओं के ऊपर खुद को साबित करने की नीति के साथ दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि तेजस्वी का इस तरह रहस्यपूर्ण तरीके से महीना भर अज्ञातवास में रहना, उनके सियासी सरोकार ही नहीं, उनकी नेतृत्व-क्षमता पर भी कई सवालों को जन्म दे चुका है.

बीजेपी नेता और बिहार के मंत्री नंदकिशोर यादव कहते हैं कि अब आरजेडी समाप्त हो चुका है. उन्होंने कहा, “सदन के विरोधी दल का नेता पटना में रहे और सदन में पहुंचकर अपनी बात नहीं रखे, ऐसा कहीं लोकतंत्र में होता है क्या?”

बहरहाल, लालू प्रसाद के सहयोगी रहे आरजेडी के एक नेता ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर कहा कि लालू प्रसाद को जितना तकलीफ विरोधियों ने नहीं दिया है, उतना तकलीफ आज उनके अपने दे रहे हैं.

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