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अब चाहकर भी बीजेपी का आंख नहीं दिखा सकती जदयू और शिवसेना, ये है खास वजह

नई दिल्ली। बीजेपी के दो सहयोगी दल जदयू और शिवसेना कई मुद्दों पर बीजेपी से अलग राग अलापा करती है, लेकिन अब इन दोनों दलों के पास ऐसा करने के कुछ ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं, इन दोनों पार्टियों के प्रभाव वाले राज्यों में इस साल और अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, महाराष्ट्र में इसी साल तो बिहार में अगले साल चुनाव होने हैं, पिछली बार के विधानसभा चुनाव में शिवसेना और जदयू बीजेपी से अलग होकर चुनावी मैदान में उतरी थी, लेकिन इस बार लगता है कि दोनों बीजेपी के साथ मिलकर ही चुनाव लड़ेंगे।

सरकार में शामिल
महाराष्ट्र में शिवसेना 2014 विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद ही बीजेपी सरकार में शामिल हो गई थी, तो बिहार में जदयू को बीजेपी के पास आने में करीब दो साल लगे थे, बीजेपी के सबसे पुराने सहयोगी दलों में शामिल शिवसेना और जदयू ने पिछले विधानसभा चुनाव में भले बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़ा था, लेकिन मौजूदा स्थितियों को देखते हुए इस बार वो ऐसा करने की गलती नहीं करेंगे।

लोकसभा चुनाव के बाद बदले समीकरण
बिहार के सीएम नीतीश कुमार बीजेपी के घोषणापत्र में शामिल कई मुद्दों पर अलग राय रखते हैं, जिसमें तीन तलाक, एनआरसी, धारा 370 और राम मंदिर महत्वपूर्ण है। चर्चा तो ये भी है कि 2020 बिहार विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश बीजेपी से अलग राह चुन सकते हैं, लेकिन पिछले चुनावों के डेटा बता रहे हैं कि शिवसेना की तरह ही जदयू के पास भी विकल्प नहीं है, इसके साथ ही लोकसभा चुनाव में मिलीं बंपर जीत ने समीकरण बदल दिये हैं।

2010 और 2014 के आंकड़े
2010 में बिहार विधानसभा का चुनाव बीजेपी-जदयू ने मिलकर लड़ा था, इस चुनाव में 243 में से जदयू ने 115 और बीजेपी ने 91 सीटें हासिल की थी, जदयू का वोट प्रतिशत 22.58 तो बीजेपी का 16.49 रहा था, फिर 2013 में बीजेपी से अलग होने के बाद जदयू 2014 के लोकसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरी, इस चुनाव में जदयू के वोट प्रतिशत में 6 फीसदी का गिरावट आया, ये आंकड़ा 22.58 से गिरकर 16.04 पर आ गया, 40 लोकसभा सीटों में से नीतीश की पार्टी को सिर्फ दो सीट मिली। वहीं बीजेपी ने 30 फीसदी वोट के साथ 22 सीटें हासिल की।

2015 विधानसभा का गणित
लोकसभा में करारी हार के बाद जदयू ने राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन कर लिया, तो दूसरी ओर बीजेपी लोजपा और कुशवाहा की पार्टी रालोसपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ी, इस चुनाव में जदयू को 71 सीटें मिली, बीजेपी सिर्फ 53 सीटों पर सिमट गई, अगर वोट प्रतिशत की बात करें, तो बीजेपी को 24.5 फीसदी और जदयू को 16.83 फीसदी वोट मिले थे, खास बात ये है कि जदयू का वोट प्रतिशत बीजेपी से नीचे आ गया था । इसलिये कहा जा रहा है कि अब जदयू और शिवसेना बीजेपी से फिलहाल अलग होने की नहीं सोच सकती ।

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