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आज की दिल्ली की ये तस्वीर शीला दीक्षित के इन फैसलों की देन हैं

नई दिल्ली। वक्त ने करवट बदला और सिर्फ दिल्ली को ही नहीं, इस दुनिया को ही अलविदा कह गईं शीला दीक्षित. दिल्ली के राजनीति की पाठशाला थीं शीला दीक्षित. आज इनके निधन से दिल्ली वालों के सामने बदलाव और विकास की पूरी चलचित्र चल रही है. सियासी चर्चा यह हो रही होगी कि कैसे बीजेपी के गढ़ को शीला दीक्षित ने कांग्रेस का गढ़ बना दिया. आम दिल्ली वासियों के बीच फ्लाईओवर, ट्रैफिक, सीएनजी की चर्चा जोरो पर होगी. ये सारे बदलाव शीला दीक्षित के सपनों की गवाही देते हैं.

चलिए एक वक्त का पहिया पीछे घुमाते हैं और आपको शीला दीक्षित के योगदान को एक झलक दिखाते हैं.

दिल्ली में सीएनजी का लागू होना
शीला दीक्षित के नेतृत्व में दिल्ली में सीएनजी लागू किया गया. डीजल से चलने वाले बसों से धुएं के गुबार में बदल गई थी दिल्ली. आज सीएनजी और एसी बसों का संचालन शीला दीक्षित की देन है. इसके साथ ही ट्रैफिक व्यवस्था में भारी सुधार किया गया. ट्रैफिक व्यवस्था बेहतर करने के लिए फ्लाई ओवर निर्माण किया गया. तेजी से फ्लाई ओवर का निर्माण या यूं कहें सड़कों और फ्लाई ओवर का जाल शीला सरकार के दौरान फैला. मेट्रो का विस्तार भी तेजी से हुआ. आज की दिल्ली की जो तस्वीर आप देखते हैं ये तस्वीर शीला दीक्षित की देन है, यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा. यदि एक पंक्ति में कहें तो दिल्‍ली के फ्लाईओवर, मेट्रो, सीएनजी और दिल्‍ली की हरियाली शीला दीक्षित की ही देन है.

कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन 
कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन की वजह से दिल्ली में तेजी से विकास हुआ. दिल्ली के आधारभूत ढांचे में तेजी से परिवर्तन इसी दौरान हुआ. सड़कें, नालियां, घर… इत्यादि तमाम क्षेत्रों में तेजी से काम हुआ. दिल्ली को हरा भरा बनाने में शीला दीक्षित के कार्यकाल का अमूल्य योगदान रहा.

बिजली का हाल सुधारना, 24 घंटे बिजली 
शीला दीक्षित सरकार का बिजली वितरण प्राइवेट हाथों में सौंपना बड़ा कदम था. जिसके बाद राजधानी में बिजली की कटौती खत्म हो गई क्योंकि जो टी एंड डी लॉस था वो कंट्रोल हो गया.

नेतृत्व
शीला सरकार के दौरान दिल्ली की सरकार और केन्द्र के बीच बेहतरीन समन्वय रहा. कार्यकर्ताओं के साथ संवाद स्थापित करके और अपनी बेहतरीन नेतृत्व क्षमता की बदौलत ही शीला दीक्षित बीजेपी का गढ़ मानी जाने वाली दिल्ली को कांग्रेस के गढ़ में बदल दिया. राजनीति में आने से पहले वे कई संगठनों से जुड़ी रही और उन्होंने कामकाजी महिलाओं के लिए दिल्ली में दो हॉस्टल भी बनवाए. 1984 से 89 तक वे कन्नौज से सांसद रहीं. इस दौरान वह लोकसभा की समितियों में रहने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के आयोग में भारत की प्रतिनिधि रहीं. वे बाद में केन्द्रीय मंत्री भी रहीं. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष के पद पर रहते हुए शीला दीक्षित ने 1998 में कांग्रेस को दिल्ली में जीत दिलवाई. शीला साल 1998 से 2013 तक तीन कार्यकाल में दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री का पद संभाल चुकी हैं. इसके बाद साल 2014 के बाद वह केरल की राज्यपाल बनीं. फिलहाल वह कांग्रेस की दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष थीं.

शीला दीक्षित का व्यक्तिगत जीवन

शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च, 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ . शीला दीक्षित ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की. उनका विवाह उन्नाव (यूपी) के आईएएस अधिकारी स्वर्गीय विनोद दीक्षित से हुआ था. विनोद कांग्रेस के बड़े नेता और बंगाल के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय उमाशंकर दीक्षित के बेटे थे.

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