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कन्नौज की सांसद से लेकर दिल्ली की मुख्यमंत्री तक….ऐसा रहा दिवंगत शीला दीक्षित का राजनीतिक सफर

नई दिल्ली। कांग्रेस की दिग्गज नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का आज निधन हो गया. वह 81 साल की थीं. दीक्षित दिल्ली में सबसे लम्बे समय तक काम करने वाली मुख्यमंत्री रही थीं. दीक्षित ने 1998 से 2013 तक दिल्ली में मुख्यमंत्री पद सम्भाला था. वर्तमान में वो दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर पार्टी में काम कर रही थीं. आज सुबह उन्हें दिल्ली के एस्कॉर्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

शीला दीक्षित पहली बार यूपी की कन्नौज सीट से 1984 में सांसद बनी थीं. इसके बाद 1998 में शीला दीक्षित पहली बार दिल्ली की सीएम बनीं. 2003 और 2008 में शीला के नेतृत्व में कांग्रेस ने फिर से सरकार बनाई. 2013 में शीला दीक्षित को नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था.

2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद शीला को 2014 में केरल का राज्यपाल बनाया गया था. हालांकि कुछ महीनों बाद ही उन्हें राज्यपाल के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने शीला दीक्षित को राज्य में अपनी पार्टी की सीएम कैंडिडेट भी घोषित किया था.

दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद शीला दीक्षित ने 6 साल तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ा. हाल ही में हुए 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने शीला दीक्षित को उत्तर-पूर्वी दिल्ली से अपना उम्मीदवार बनाया था. लेकिन बीजेपी के मनोज ने तिवारी ने दीक्षित को उत्तर-पूर्वी दिल्ली से करीब 3.66 लाख वोटों से हरा दिया था.

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने बनाया था दिल्ली इकाई का अध्यक्ष
लोकसभा चुनाव से पहले जनवरी 2019 में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को कांग्रेस की दिल्ली इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. उन्होंने अजय माकन की जगह ली थी जिन्होंने स्वास्थ्य आधार पर पद छोड़ दिया था.

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