भारतीय क्रिकेट टीम इन दिनों दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ (India vs South Africa) टेस्ट सीरीज की तैयारी कर रही है. इस सीरीज से पहले सबसे अधिक चर्चा में रोहित शर्मा (Rohit Sharma) हैं. उन्हें टेस्ट टीम में पहली बार बतौर ओपनर चुना गया है. रोहित शर्मा वनडे फॉर्मेट के बेहतरीन ओपनर हैं. अब यह वक्त बताएगा कि वे टेस्ट क्रिकेट में इस भूमिका में कितने कामयाब होते हैं. इस बीच दुनिया के सबसे बेहतरीन ओपनर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने बताया कि उन्हें यह भूमिका आसानी से नहीं मिली थी. यह पोजीशन पाने के लिए उन्हें तब के कप्तान और कोच से मिन्नतें करनी पड़ी थीं.
सचिन तेंदुलकर ने वनडे करियर में 340 बार ओपनिंग की है. हालांकि, टेस्ट मैचों में वे नंबर-4 पर खेलना ही पसंद करते थे. सचिन तेंदुलकर ने बताया कि उन्हें वनडे में ओपनर की पोजीशन पाने के लिए विनती करनी पड़ी थी. वे यह भूमिका इसलिए चाहते थे, ताकि वे अपनी स्वाभाविक आक्रामकता के साथ खेल सकें.
सचिन तेंदुलकर ने कहा, ‘मैंने 1994 में ओपनिंग करनी शुरू की. उन दिनों विकेट बचाने की रणनीति हुआ करती थी. मैंने थोड़ा अलग करने का प्रयास किया. मैंने सोचा कि मैं थोड़ा आक्रामक खेलता हूं ताकि गेंदबाजों पर दबाव बनाया जा सके. ओपनिंग की यह भूमिका पाने के लिए मुझे विनती करनी पड़ी थी. अगर मैं शुरुआत में बतौर ओपनर नाकाम हो जाता तो फिर कभी ओपनिंग करते हुए नहीं दिखता.’
सचिन तेंदुलकर ने बताया, ‘मैंने बतौर ओपनर अपने पहले मैच में 49 गेंद पर 82 रन बनाए थे. इसलिए मुझे दोबारा यह नहीं पूछना पड़ा कि क्या ओपनिंग करने का मौका मिलेगा. तब सब लोग इस बात पर सहमत हो चुके थे कि मुझे ओपनिंग करनी चाहिए. लेकिन मैं यहां यह बताने की कोशिश कर रहा हूं कि मैं नाकामी से नहीं डरा.’
सचिन तेंदुलकर ने जब 1994 में न्यूजीलैंड के खिलाफ ओपनिंग की, तब टीम के कप्तान अजहरुद्दीन और कोच अजित वाडेकर थे. सचिन ने वाडेकर से कहा था कि उन्हें ओपनिंग करने का मौका दिया जाए. अगर वे नाकाम रहे तो फिर दोबारा ओपनिंग करने की बात नहीं करेंगे. सचिन ने अपने पहले मैच में नवजोत सिंह सिद्धू की जगह ओपनिंग की थी. सिद्धू चोट के कारण उस मैच में नहीं खेले थे. इससे टीम में एक ही स्पेशलिस्ट ओपनर अजय जडेजा बचे. सचिन तेंदुलकर, जडेजा के साथ ही ओपनिंग करने उतरे थे.