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AMU में छात्रों पर नहीं हुआ हथगोलों का इस्तेमाल: अफवाह फैलाने वालों का पुलिस ने किया पर्दाफाश

नंदिनी सुंदर और आद्रे ट्रुस्चके (Audrey Truschke)

लखनऊ/अलीगढ़। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भड़की हिंसा को शांत कराने के लिए पुलिस की कार्रवाई को लेकर काफी सवाल उठ रहे हैं। इसी बीच प्रदर्शन के दौरान घायल छात्रों की स्थिति के लिए कुछ लोगों ने पुलिस को ही जिम्मेदार ठहराया। साथ ही झूठ फैलाने की कोशिश भी की कि पुलिस ने छात्रों को रोकने के लिए हथगोलों का इस्तेमाल किया।

हालाँकि, इसी दौरान आज अलीगढ़ के एसएसपी अकाश कुल्हारी ने इन अफवाहों का खंडन किया । साथ ही बताया कि यूपी पुलिस ने हिंसा रोकने के दौरान आत्मसुरक्षा के लिए केवल नॉन लेथल हथियारों का इस्तेमाल किया, न कि हथगोलों का। इसके अलावा उन्होंने ये भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट को भेजी रिपोर्ट में उन्होंने इस बात का जिक्र किया है कि एएमयू के छात्र उस दिन आक्रामक रूप से अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे थे। जिसके मद्देनजर उन्होंने 15 दिसंबर की वीडियो को भी जारी किया है। जिसमें सारी सच्चाई साफ दिख रही है।

ANI UP

@ANINewsUP

Akash Kulhari, SSP Aligarh: Police used non-lethal weapons for self-defence. Matter is under under sub judice. https://twitter.com/ANINewsUP/status/1209378365259436032 

ANI UP

@ANINewsUP

Akash Kulhari, SSP Aligarh on violence at Aligarh Muslim University (AMU) on December 15: CCTV footage that surfaced reveals truth. In reports to Supreme Court&High Court we have written that AMU students were aggressive&they deliberately created disturbances.

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अब सवाल ये है कि अगर अलीगढ़ एसएसपी द्वारा बताए गए तथ्य सच हैं, तो फिर पुलिस के ख़िलाफ़ अफवाह फैलाने की कोशिश किसने की? तो थोड़ा दिन पीछे जाकर इनकी शुरुआत को देखा जाए, तब पता चलेगा कि ये सब तथाकथित बुद्धिजीवियों का कारनामा है। जिसे शुरु दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर ने 19 दिसंबर 2019 को ट्वीट करके किया। अपने ट्वीट में नंदिनी ने दावा किया कि एएमयू के छात्रों को रोकने के लिए हथगोलों का इस्तेमाल किया जिससे बच्चों के हाथ चले गए।

इसके बाद अलीगढ़ पुलिस द्वारा हिंसा रोकने के लिए हथगोलों का इस्तेमाल करने की बात वामपंथी अखबार ‘द टेलीग्राफ’ में कही गई। जिसका आधार उस रिपोर्ट को बनाया गया जिसे जामिया मिलिया के छात्रों ने तैयार की।

अब इस पूरे मामले में 2 लोग ‘जाँचकर्ताओं’ के रूप में सामने आए। पहले या तो जामिया छात्र या दूसरी नंदिनी सुंदर। बता दें सुंदर द वायर के संस्थापक की पत्नी हैं और माओंवादियों की मदद करने के लिए आरोपित भी।

इसके बाद औरंगजेब परस्त इतिहासकार ऑद्रे ट्रुस्चके (Audrey Truschke) ने भी सुंदर के दावों को दोहराया और अफवाह उड़ाई कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों के घायल होने के पीछे पुलिस द्वारा इस्तेमाल किए गए हथियार हैं। जिसके बाद अलीगढ़ पुलिस ने इन अफवाहों को खारिज करने की ठानी और ऑद्रे को आदर के साथ जवाब दिया कि ये केवल एक अफवाह हैं। इसलिए इनको फैलाने से पहले इनके तथ्यों की जाँच करे और समाज में शांति बनाए रखने में साथ दें।

Natasha Badhwar@natashabadhwar

Students we met in the hospital had deep wounds on their head and abdomen and one of them had had his right hand amputated. Resident doctors told us that some of the injuries had been caused by rubber bullets and stun grenades.https://www.livemint.com/mint-lounge/features/tear-gas-stun-grenades-and-sound-bombs-in-aligarh-11576863630105.html 
My report in @livemint

Tear gas, stun grenades and sound bombs in Aligarh

The Aligarh Muslim University administration defends its decision to ‘invite’ the police force to control the protests

livemint.com

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हालाँकि, अलीगढ़ पुलिस द्वारा खंडन करने के बाद भी सोशल मीडिया पर ये प्रोपगेंडा फैल चुका है और कई लोग इन बुद्धिजीवियों की बात को ही अंतिम सत्य समझ कर बैठे हैं। साथ ही अपनी बात को साबित करने के लिए तरह-तरह की रिपोर्ट शेयर करके हथगोले फेंकने की बात को सही साबित किया जा रहा है और कई बड़ी मीडिया संस्थान के पत्रकार इसपर अपनी रिपोर्ट कर रहे हैं। लेकिन, अब जब आधिकारिक रूप से अलीगढ़ एसएसपी द्वारा पुष्टि कर दी गई है, तो उम्मीद है इन झूठों पर लगाम लगेगी। क्योंकि आकाश कुल्हारी अपने बयान में दो टूक बोल चुके हैं कि वे सोशल मीडिया पर लगाए जा रहे इल्जामों पर जाँच के लिए तैयार हैं, जिनमें उनपर हथगोलों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया जा रहा है।

Cobrapost

@cobrapost

In Aligarh, police used stun grenades against students – and university officials justified this.
Stun grenades are used only in war situations and for militarised policing, never to quell student protests.
https://scroll.in/article/947335/in-aligarh-police-used-stun-grenades-against-students-and-university-officials-justified-this  via @scroll_in

In Aligarh, police used stun grenades against students – and university officials justified this

Stun grenades are used only in war situations, never to quell student protests.

scroll.in

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