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दरभंगा का ‘मिनी पाकिस्तान’: बांग्लादेशियों का पनाहगार, आतंकियों का ठिकाना और अब CAA पर उबाल

एक फरवरी 2020 यानी शनिवार को दरभंगा के मुस्लिम बहुल क्षेत्र जमालचक में लखनऊ से फ्री डिश का सर्वे करने पहुँची 17 सदस्यीय टीम को स्थानीय लोगों ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के लिए डेटा इकट्ठा करने का नाम देकर बंधक बनाया। साथ ही मारपीट भी की। बंधकों से लिखवाया, “हम यह सर्वे RSS और बजरंग दल के लिए कर रहे हैं।” पुलिस ने काफी जद्दोजहद के बाद अराजक भीड़ से उन लोगों को मुक्त कराया। ये इस तरह की तीसरी घटना है दरभंगा में।

बेहतर होगा कि बाहर से आने वाले लोग सीधे इन मोहल्ले में ना जाएँ। इसके पीछे वजह है। अगर आप भी युवा हैं, क्रांतिकारी मिजाज के हैं तो कह सकते हैं कि आखिर क्यों नही इन मोहल्ले में जा सकते हैं? यह भी कह सकते हैं कि क्या दरभंगा के ये मोहल्ले भारत के हिस्से नहीं हैं?

मेरा जवाब होगा, बिल्कुल भारत का ही हिस्सा है, किन्तु एक सच यह भी है कि इसी भारत के कई हिस्सों में मिनी पाकिस्तान बसते हैं, और उनमें बसने वाले कई लोग इसके समर्थक भी हैं। अगर आपको मेरी बात झूठी लगती है तो एक बार वीडियो देखिए कि किस प्रकार निर्दोष और आम व्यक्ति के साथ-साथ पुलिस तक की लिंचिंग करने पर आमादा एक नहीं, दस नहीं, पचास नहीं बल्कि सैकड़ों लोग कौन हैं?

एक और वीडियो देखिए। दरभंगा जिला के मनीगाछी क्षेत्र के दहौड़ा गॉंव में सोमवार को पैसे के लेनदेन को लेकर बहस हो गई। एक यादव था तो दूसरा मुस्लिम। बात बढ़ी तो मुस्लिम ने अफवाह उड़ा दी कि उसे NRC का विरोध करने पर मारा। इसके बाद मुसलमानों ने पथराव शुरू कर दिया। 2 घंटे तक पूरा इलाका रणक्षेत्र में तब्दील रहा। मस्जिद से भी पत्थर फेंके गए।

हाल ही में राम मंदिर पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद इसी दरभंगा शहर के अंदर बसे मिनी पाकिस्तान के लोगों ने PFI का पोस्टर लगाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया। साथ ही उकसाने वाली बातें भी लिखी। इस तरह की पोस्टर शहर के प्रतिष्ठित सीएम कॉलेज के गेट पर से लेकर सुभाष चौक रोड और उर्दू मोहल्ले के कई दीवारों पर सटा हुआ था। क्या ये पोस्टर यूँ ही था? क्या कोई बाहरी आकर इन मोहल्ले वालों को बदनाम करने करने के लिए इन्हें लगा गया था? खैर, बाहरी लोगों के साथ ये लोग क्या करते हैं यह तो वीडियो में साफ दिख रहा है। ऐसे में कोई बाहरी आकर पोस्टर लगा देगा, कम से कम यह बात तो बिल्कुल संभव नहीं है।

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद दरभंगा में लगाए गए पोस्टर

मिनी पाकिस्तान के मंसूबे पाले कुछ दर्जन लोग और उसके कई हजार समर्थक जो इस शहर और उसके 30-40 किलोमीटर के दायरे में रहते हैं उनके अतीत की कुछ चर्चित कहानियाँ रही है। इसे याद कर आप समझ सकते हैं कि आखिर क्यों यूँ ही पैर उठाकर लिंचिंग करने वाले मोहल्ले में नहीं जाना चाहिए।

एक किस्सा है 7 मार्च 2016 का। जब फर्जी पासपोर्ट बनाने के मामले में सदर थाना दरभंगा पुलिस की गिरफ्त में 8 बांग्लादेशी आए थे। पासपोर्ट सत्यापित करने के मामले में सदर थाना के तत्कालीन इंस्पेक्टर इंचार्ज हरिमोहन प्रसाद को पूर्व एसएसपी अजीत कुमार सत्यार्थी ने निलंबित कर दिया था। सभी 8 बांग्लादेशी के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई थी। 9 मार्च 2016 काे ही उन्होंने क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी पटना को पत्र भेज कर पासपोर्ट निरस्त कराने की कार्रवाई पूरी की थी।

तत्कालीन एसएसपी सत्यार्थी ने जो पासपोर्ट ऑफिस पटना को पत्र भेजा था उसमें बताया गया था कि गुप्त सूचना पर सदर थाना अन्तर्गत सारामोहनपुर गाँव के एक घर से सदर थाना की पुलिस ने छापेमारी कर 8 बांग्लादेशी को पकड़ा था। सभी फर्जी पता एवं दस्तावेज पर पासपोर्ट बनवाने की नीयत से ठहरे थे। पासपोर्ट बनाने में मदद करने वाले और भी लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर कई कागजात व मुहर आदि जब्त किए थे। शहर के लालबाग मोहल्ला के मोहम्मद निजामउद्दीन के पुत्र वकील मोहम्मद वसीरूद्दीन उर्फ मोहम्मद अजमेरी को गिरफ्तार कर उसके घर से स्वास्थ्य विभाग के सदर प्रखंड का सादा व भरा पैड, रजिस्ट्रार का मुहर, राज हाई स्कूल का सादा प्रमाण-पत्र, नगर निगम से निर्गत होने वाले जन्म प्रमाण-पत्र के दर्जनों फॉर्म आदि जब्त किए गए थे।

एक टीम तत्कालीन एसडीपीओ दिलनवाज अहमद के नेतृत्व में गठित कर बांग्लादेशी मोहम्मद अख्तर को पासपोर्ट बनवाने में मदद के लिए फर्जी प्रमाण-पत्र देने वाले वकील मोहम्मद अजमेरी को गिरफ्तार किया गया। उससे पूछताछ के बाद सदर थाना के निकट किराए पर रहने वाले एक शिक्षक को भी पकड़ा गया।

NRC (जो कि अभी आया ही नहीं है) के नाम पर विरोध कर रहे ये लोग कौन हैं? कहीं ये वही लोग तो नहीं जिनका जिक्र ऊपर आया है। बांग्लादेशियों को अपने घरों में छुपाने वाले, उनके लिए फ़र्जी कागज तैयार वाले और उन्हें बसाने वाले लोग ही तो मॉब क्रिएट कर कबीलाई अंदाज में लोगों को लिंचिंग के लिए तो नहीं उकसा रहे?

एक और कहानी…

दरभंगा मॉड्यूल तो याद ही होगा! इसकी शुरुआत इंडियन मुजाहिदीन के फाउंडर यासीन भटकल ने की थी। अगस्त 2013 में नेपाल बॉर्डर पर यासीन पकड़ा गया था। बाद में 2016 में NIA ने दरभंगा मॉड्यूल में जाकिर नाइक का कनेक्शन बताया था।

दरभंगा में एक लाइब्रेरी है। दार-उल-किताब-सुन्ना लाइब्रेरी। यहाँ जाकर NIA ने जाकिर नाइक की किताबें, सीडी और फोटोज सील कर दी थी। मुंबई में हुए ब्लास्ट के सिलसिले में दरभंगा के 12 लोग गिरफ्तार किए गए थे। इनमें असादुल्लाह रहमान उर्फ दिलकश, कफील अहमद, तलहा अब्दाली उर्फ इसरार, मोहम्मद तारिक अंजुमन, हारुन राशिद नाइक, नकी अहमद, वसी अहमद शेख, नदीम अख्तर, अशफाक शेख, मोहम्मद आदिल, मोहम्मद इरशाद, गयूर अहमद जमाली और आफताब आलम उर्फ फारूक शामिल हैं। इनमें से एक मोहम्मद आदिल कराची (पाकिस्तान) का था बाकी 12 दरभंगा के ही थे। शक था कि इंडियन मुजाहिदीन दरभंगा मॉड्यूल वाला प्रोग्राम इसी लाइब्रेरी से ऑपरेट करता था।

यहाँ इस बात का जिक्र करना आवश्यक है कि 2014 में गाँधी मैदान में बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी की स्पीच होने वाली थी। उस स्पीच से कुछ ही देर पहले ब्लास्ट कराने वाले इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी थे। उनके पास से भी जाकिर नाइक के बेहद भड़काऊ वीडियो सीडी मिले थे। 2012 में जाकिर नाइक ने मुस्लिम बहुल किशनगंज जिले में रैली भी की थी।

NIA कई बार कह चुका है कि मिथिलांचल में आईएम चुपके-चुपके अपना विस्तार कर रहा है। हैदराबाद में हुए सीरियल ब्लास्ट के बाद तहसीन का नाम इंडियन मुजाहिदीन के सक्रिय सदस्य के तौर पर सामने आया था और वह समस्तीपुर का रहनेवाला था। उसे पढ़ने के लिए पिता ने दरभंगा में ही भेजा था। यह सब देखने व समझने के बावजूद मेरे लिए यह समझना मुश्किल नहीं है कि दरभंगा में NRC के नाम पर बवाल करने वाले लोग कौन हैं।

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