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पाकिस्तान का घमंड हुआ चकनाचूर, पहले लगाया व्यापार में रोक, अब खुद ही बदल रहा नियम

इस्लामाबाद। कश्मीर मुद्दे को लेकर पाकिस्तान द्वारा भारत से व्यापार पर लगाया गया प्रतिबंध उसके ही गले की फांस बन गया है. पाकिस्तान में एक बड़ी कंपनी को एक ऐसा कच्चा माल भारत से आयात करना है जो पाकिस्तान में नहीं पाया जाता. लेकिन, चूंकि भारत से व्यापार पर रोक है, इसलिए पाकिस्तान सरकार ने भारत से माल मंगाने की अनुमति नहीं दी. अब, जब संकट बढ़ा है तो सरकार ने इस पर संबंधित विभाग को नए सिरे से प्रस्ताव बनाने को कहा है. ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट में बताया गया है कि दक्षिण कोरिया की फर्म ‘लोट्टे केमिकल पाकिस्तान’ को सरकार ने भारत से कच्चे माल के आयात की अनुमति नहीं दी.

वाणिज्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि लोट्टे केमिकल पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया का पाकिस्तान में एक बड़ा निवेश है. इसे भारत से 40 हजार टन पैरेक्सिीलीन आयात करनी है. यह प्योर टेरेफ्थालिक एसिड (पीटीए) को बनाने में काम आने वाला कच्चा माल है. यह पाकिस्तान में नहीं पाया जाता, इसलिए इसे आयात करना पड़ता है. पीटीए का इस्तेमाल टेक्सटाइल, पैकेजिंग और बॉटलिंग उद्योग में किया जाता है. लोट्टे केमिकल इसे पाकिस्तान में बनाने और अन्य कंपनियों को बेचने वाली इकलौती कंपनी है.

कंपनी को इस कच्चे माल की जरूरत पड़ी लेकिन भारत से व्यापार पर रोक के कारण इसे मंगाया नहीं जा सकता था. ऐसे में भारत से इसे मंगाने की मंजूरी देने का प्रस्ताव प्रधानमंत्री इमरान खान को भेजा गया. उन्होंने कहा कि इस पर संघीय कैबिनेट में चर्चा होनी चाहिए लेकिन यह प्रस्ताव उस समय हुई कैबिनेट की बैठक में पेश नहीं हो सका.

लोट्टे केमिकल ने एक बार फिर से कच्चे माल को भारत से मंगाने के लिए आग्रह किया जिस पर प्रधानमंत्री के वाणिज्य, उद्योग व निवेश मामले के सलाहकार अब्दुल रज्जाक ने भारत से 40 हजार टन पैरेक्सिीलीन के आयात के लिए नया प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया.

रज्जाक ने इसे भारत से मंगाने का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि लोट्टे केमिकल बड़ी कंपनी है, उसकी जरूरत को पूरा करने के लिए भारत से व्यापार पर रोक में एक बार के लिए छूट दी जा सकती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते महीने प्रधानमंत्री खान की अध्यक्षता में एक अन्य कैबिनेट बैठक में यह मुद्दा उठा जिसमें कहा गया कि भारत से व्यापार पर रोक से विदेशी निवेश प्रभावित होगा, जबकि एक राय यह थी कि जो कंपनियां भारत से सामान मंगाना चाहती हैं, उन्हें इससे जुड़े जोखिमों का अंदाजा पहले से होना चाहिए.

कैबिनेट ने इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया और वाणिज्य विभाग से तमाम विकल्पों पर विचार करते हुए एक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया.

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