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‘Lockdown नहीं होता तो भयावह होते हालात, 15 अप्रैल तक सामने आते कोरोना के इतने लाख मामले’

नई दिल्ली। आज केंद्र सरकार के मंत्रालयों की हुई जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में देश में पैदा हुए हालातों की पूरी तस्वीर रखी गई. स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि किस तरह से कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए अलग-अलग तरह की योजनाओं पर काम किया जा रहा है.

यह भी बताया गया है कि किस तरह से आगरा, जो हॉटस्पॉट बना था और जहां सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे थे, वहां संक्रमण की चेन को तोड़ा गया. यहां स्क्रीन पर प्रेजेंटेशन के जरिए आगरा का पूरा ब्योरा दिया गया कि किस तरह कम्युनिटी हेल्थ वर्कर ने चेन को तोड़ने में सफलता पाई. आगरा में जिस तरह से लगातार कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ रहे थे वहां पर पूरा इलाका हॉटस्पॉट बन गया था.

लॉकडाउन के पालन का हुआ फायदा
इसके साथ ही प्रेजेंटेशन के जरिए एक एनालिसिस का ब्योरा दिया गया कि देश में अगर लॉकडाउन नहीं लागू किया गया होता और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं होता, तो कितने ज्यादा मामले सामने आ सकते थे. स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से यह साफ किया गया कि आईसीएमआर की तरफ से कोई स्टडी नहीं की गई है, बल्कि आंकड़ों के आधार पर एक एनालिसिस किया गया है. प्रेजेंटेशन के जरिए उसकी तस्वीर भी दिखाई गई. इसके साथ ही कहा गया कि अगर लॉकडाउन नहीं होता, तो देश में 15 अप्रैल तक 8.2 लाख केस रिपोर्ट ​होते, जबकि अभी तक 7447 मामले ही सामने आए हैं.

 

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आईसीएमआर ने ​1 दिन में किए 16564 टेस्ट
आईसीएमआर की तरफ से रमन आर. गंगाखेड़कर ने बताया कि देश में आज तक 171718 सैंपल टेस्ट किए जा चुके हैं और यह सरकारी और निजी दोनों लैब में हुए हैं. कल सरकारी और निजी लैब दोनों में देशभर में 1 दिन के भीतर 16564 सैंपल टेस्ट किए गए. स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि दोपहर तक जो देशभर से डाटा आया है, उसके मुताबिक 239 लोगों की अभी तक मौत हुई है. कोरोना संक्रमण के कुल मामले 7447 हो गए हैं. लेकिन इसमें 642 लोग ठीक होकर अब घर भी जा चुके हैं.

डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को पुलिस सिक्योरिटी
गृह मंत्रालय की तरफ से पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि मछली पालन उद्योग को लॉकडाउन से बाहर रखा गया है. साथ ही गृह मंत्रालय ने डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को पुलिस सिक्योरिटी उपलब्ध कराने के लिए राज्यों को पत्र लिखा है. केंद्रीय सशस्त्र बल भी देशभर के कई इलाकों में  राशन पहुंचाने में लगे हुए हैं.

डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पताल 
स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से लव अग्रवाल ने बताया कि मंत्रालय ने पहले एक्शन पर ज्यादा जोर दिया है. सिचुएशन के आधार पर हम लगातार काम कर रहे हैं, राज्यों के साथ पीपीई और एन 95 मास्क के साथ वेंटिलेटर को उपलब्ध कराने का काम लगातार चल रहा है. देश भर में डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पताल हैं, जिनमें एक लाख आइसोलेशन बेड और साथ ही 11000  आईसीयू की व्यवस्था की गई है.

एचसीक्यू को लेकर पैनिक न करें
आईसीएमआर की तरफ से एक बार फिर कहा गया कि एचसीक्यू दवाई के लिए टाइम देना जरूरी है. पहले भी हम कह चुके हैं कि इसका इस्तेमाल सावधानीपूर्वक करना जरूरी है और कोरोना संक्रमण के मामले में यह केवल डॉक्टर और फ्रंट रनर के लिए जरूरी है. पैनिक की जरूरत नहीं है.

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