कच्चे तेल की कीमतों पर वैश्विक स्तर परआई भारी गिरावट का फायदा भले ही आम उपभेक्ताओं को न मिला हो पर इसका फायदा सरकार को जरूर मिला । तेल की कम होती कीमतों के कारण सरकार लाभार्थियों के खातों में घरेलू रसोई गैस सिलेंडर पर सब्सिडी देने से बच गई है । जानकारी के अनुसार चालू महीने यानी कि मई से ही सरकार डाइरेक्ट ट्रांसफर बेनिफिट योजना के तहत सभी महानगरों में घरेलू एलपीजी ग्राहकों के खातों में सब्सिडी का भुगतान नहीं करने वाली । सब्सिडी केवल ट्रांसपोर्ट की बढ़ी हुई लागत वाले दूसरे शहरों में 2-5 रुपये तक सीमित होगी । 8 करोड़ उज्ज्वला लाभार्थियों के लिए ये लगभग 20 रुपये प्रति सिलेंडर होगा ।
बाजार मूल्य के बराबर भुगतान
सभी उपभोक्ताओं को घरों में प्रयोग आने वाले 14.2 किलोग्राम के सिलेंडर का भुगतान बाजार मूल्य के बराबर ही करना होगा । यहां आपको बता दें कि सरकार सब्सिडी को सीधे उपभोक्ताओं के अकाउंट में ट्रांसफर करती है । बाजार और रसोई गैस में दी गई रियायत के बाद मूल्य के बीच के अंतर को ही सरकार सब्सिडी के रूप में उपभेक्ताओं को देती है।
रसोई गैस के दामों में की गई कमी
15 मार्च के बाद से ही लगातार कच्चे तेल की कीमतों में बिरावट देखी जा रही है, जिसके कारण कच्चे तेल की कीमतें 35 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से कुछ समय के लिए 20 डॉलर से भी नीचे आ गई हैं। कच्चे तेल में कमी के कारण एलपीजी की कीमतों में भी गिरावट आई । जिसके बाद कंपनियों की ओर से गैर-सब्सिडी वाले घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत में 162.50 तक की गई है। एक मई से दिल्ली समेत पूरे देश में घरेलू सिलेंडर पर 150 रुपए से ज्यादा की कमी की गई । दिल्ली में ये 162.50 रुपये सस्ता कर दिया है । अब यहां सिलेंडर 581.50 रुपये प्रति सिलेंडर पड़ रहा है।
सब्सिडी देने की आवश्यकता नहीं
लाइव हिंदुस्तान वेबसाइट पर दी गई इस रिपोर्ट में देश के एक बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के तेल शोधनकर्ता और खुदरा विक्रेता कपंनी के अधिकारी के हवाले से लिखा गया है कि रसोई गैस के मौजूदा बाजार मूल्य पर सरकार को किसी भी तरह की सब्सिडी देने की आवश्यकता नहीं है । केवल उज्जवला ग्राहकों के लिए केवल सब्सिडी की आवश्यकता हो सकती है। आपको बता दें बजट 2020-21 में एलपीजी सब्सिडी के लिए 37,256.21 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, जो 2019-20 के लिए 34,085.86 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से 9 प्रतिशत अधिक है । इस वर्ष से सरकार केरोसिन पर दी जाने वाली सब्सिडी को पूरी तरह से खत्म कर सकती है।