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महाराष्ट्र के नांदेड़ में साधु की हत्या पर बोले निरुपम- षडयंत्र के तहत तो नहीं हो रहे कत्ल?

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में लिंगायत समाज के साधु की हत्या अब राजनीतिक रंग लेता जा रहा है. कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने इस हत्या पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि देश में साधु-संन्यासियों की निर्मम हत्या का एक खतरनाक ट्रेंड चल रहा है. नांदेड़ में कल (शनिवार) जिस तरह आश्रम में घुसकर एक लिंगायत साधु की हत्या हुई, उसकी गहराई में जाना जरूरी है. कहीं यह हत्याएं सुनियोजित षडयंत्र के तहत तो नहीं हो रही हैं?

संजय निरुपम ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘देश में साधु संन्यासियों की निर्मम हत्या का एक खतरनाक ट्रेंड चल रहा हैं. ताजा घटना है नांदेड़ की. कल आश्रम में घुसकर एक लिंगायत साधु की हत्या कर दी गई. इन घटनाओं की गहराई में जाना जरूरी है. कहीं एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत तो ये हत्याएं नहीं हो रही हैं?

वहीं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस घटना को लेकर दुख जाहिर करते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘महाराष्ट्र के नांदेड़ में दो और साधुओं की गला रेत कर निर्मम हत्या.’

कैसे हुई हत्या?

हत्यारोपी साईनाथ शनिवार रात 12 से 12.30 के बीच दरवाजा खोलकर आश्रम में दाखिल हुआ और पशुपति महाराज नाम के एक साधु की हत्या कर दी. दरवाजा अंदर से खुला है, यह कैसे खुला फिलहाल इस बारे में जानकारी नहीं है. क्योंकि कहीं भी दरवाजा तोड़ने के निशान नहीं हैं.

पशुपति महाराज की हत्या करने के बाद आरोपी साईनाथ साधु की लाश कार में रखकर बाहर निकलने की फिराक में था. लेकिन कार गेट में फंस गई. इस दौरान छत पर सो रहे आश्रम के दो सेवादार जाग गए. उन्हें जब तक सारी बात समझ में आती आरोपी भागने लगा. जिसके बाद सेवादारों ने आरोपी का पीछा किया. लेकिन वह भाग निकला.

सुबह एक और मृत शरीर मिला

रविवार सुबह जिला परिषद स्कूल के पास एक और डेड बॉडी मिली. मृतक की पहचान भगवान राम शिंदे के तौर पर हुई है. पुलिस के मुताबिक मृत शख्स, आरोपी साईनाथ का साथी है. भगवान राम शिंदे भी लिंगायत समाज से है. उसकी हत्या साईनाथ ने की या किसी और ने, पशुपति महाराज की हत्या से पहले या बाद में, तमाम सवालों पर पुलिस फिलहाल जांच कर रही है. पशुपति महाराज इस मठ में 2008 से रह रहे थे. इस मठ को निर्वामी मठ के नाम से जाना जाता है.

पात्रा पहले भी एक मामले में उठा चुके हैं सवाल

संबित पात्रा ने कुछ दिनों पहले महाराष्ट्र के पालघर लिंचिंग केस में साधुओं का केस लड़ रहे वकील के सहयोगी दिग्विजय त्रिवेदी की सड़क हादसे में हुए मौत को लेकर भी सवाल खड़े किए थे. उन्होंने ट्वीट किया कि पालघर में संतों की हत्या मामले में विश्व हिंदू परिषद के वकील दिग्विजय त्रिवेदी की सड़क हादसे में मौत हो गई. यह खबर विचलित करने वाली है. क्या ये केवल संयोग है कि जिन लोगों ने पालघर मामले को उठाया उनपर या तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हमला किया या एफआईआर कराई गई. खैर ये जांच का विषय है.

कैसे हुआ हादसा

कार वकील दिग्विजय त्रिवेदी चला रहे थे. उन्होंने कार पर नियंत्रण खो दिया और बाईं ओर मुड़ते हुए कार डिवाइडर से जा टकराई. दिग्विजय त्रिवेदी की कुछ देर बाद मौत हो गई, जबकि कार में सवार एक अन्य महिला को गंभीर चोटें आई हैं. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. ये हादसा तब हुआ जब वकील दिग्विजय त्रिवेदी दाहनु कोर्ट की ओर जा रहे थे.

बता दें, अप्रैल महीने में पालघर के गड़चिनचले गांव में भीड़ ने दो साधुओं और उनके ड्राइवर की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. भीड़ के हत्थे चढ़े साधु मुंबई के जोगेश्वरी पूर्व स्थित हनुमान मंदिर के थे. ये साधु मुंबई से सूरत अपने गुरु के अंतिम संस्कार में जा रहे थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते पुलिस ने इन्हें हाइवे पर जाने से रोक दिया. फिर गाड़ी में सवार साधु ग्रामीण इलाके की तरफ मुड़ गए, जहां मॉब लिंचिंग के शिकार हो गए. इस मामले में 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. 16-17 अप्रैल की रात जब ये दो साधु अपने ड्राइवर के साथ गांव से गुजर रहे थे, तब लोगों को चोरों के आने का शक हुआ.

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