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जान की बाजी लगाकर सुनील दत्त ने जीता था नरगिस का दिल, बेहद दिलचस्प है लव स्टोरी

सुनील दत्त किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं, हालांकि उन्हें स्टारडम हासिल करने के लिये लंबा संघर्ष करना पड़ा, कभी रेडियो जॉकी के रुप में फिल्मी सितारों की इंटरव्यू करने वाले सुनील दत्त ऐसे पहले एक्टर थे, जिन्होने सही मायने में एंटी हीरो की भूमिका निभाई, साथ ही उसे स्थापित करने का काम किया, झेलम जिले के खुर्द गांव में 6 जून 1929 को पैदा हुए बलराज रघुनाथ उर्फ सुनील गत्त बचपन से ही एक्टर बनने की ख्वाहिश रखते थे, अपने फिल्मी करियर की शुरुआत उन्होने साल 1955 में फिल्म रेलवे प्लेटफॉर्म से की।

हर किरदार को स्वीकारा
रेलवे प्लेटफॉर्म से शुरुआत करने के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली, वो उसे स्वीकार करते चले गये, इस दौरान उन्होने एक्टिंग से अपना एक खास वर्ग तैयार किया,  सुनील दत्त की किस्मत का सितारा साल 1957 में रिलीज हुई फिल्म मदर इंडिया से चमका, इस फिल्म में उनका किरदार एंटी हीरो था, लेकिन इस फिल्म में सुनील दत्त को नरगिस से प्यार हो गया, दोनों की प्रेम कहानी काफी दिलचस्प है।

मदर इंडिया के सेट पर प्यार
सुनील दत्त और नरगिस के बीच प्यार मदर इंडिया के सेट पर ही हुआ था, दरअसल शूटिंग के दौरान एक ऐसी घटना हुई, जिसने नरगिस को बेहद प्रभावित किया, एक दिन शूटिंग सेट पर आग लग गई, नरगिस को खतरे में देख सुनील दत्त ने अपनी जान पर खेलकर उनकी जान बचाई थी, इस दौरान खुद दत्त साहब चोटिल हो गये थे, इस घटना ने नरगिस की सोच बदल दी, उन्हें लगा कि जिसका वो इंतजार कर रही थी, वो हमसफर सुनील दत्त ही हैं, अपनी किताब द ट्रू लव स्टोरी ऑफ सुनील दत्त और नरगिस में उन्होने लिखा है, कि राज कपूर से अलग होने के बाद वो आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगी थी, लेकिन सुनील दत्त ने ना सिर्फ उन्हें संभाला बल्कि सहारा भी दिया, नरगिस ने लिखा है कि उन्होने सुनील दत्त को राज कपूर के बारे में सबकुछ बता दिया था, फिर भी सुनील उनके साथ पूरी मजबूती से खड़े थे।

फिल्मों से ब्रेक
दोनों ने शादी कर ली, सुनील दत्त पहले की तरह फिल्मों में काम करते रहे, लेकिन नरगिस ने बच्चों को जन्म देने के बाद फिल्मों से ब्रेक ले लिया, सुनील दत्त और नरगिस के तीन बच्चे हैं, सबसे बड़े बेटे संजय दत्त, उनके बाद बेटी नम्रता और सबसे छोटी प्रिया, सुनील दत्त की राजनीतिक विरासत को प्रिया ने संभाला है।

कैंसर ने ली जान
साल 1979 में दिल्ली में राज्यसभा के सत्र में शामिल होने पहुंची नरगिस दत्त अचानक बीमार पड़ गई, पहले तो पीलिया का शक हुआ, इसी रात मुंबई लौटने के बाद उन्हें ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया, अगले दिन इलाज के लिये उन्हें न्यूयॉर्क ले जाया गया, जहां अगली सुबह वो स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर में भर्ती हुई, उस समय ये लग रहा था कि वो जल्द ही ठीक होकर घर लौट जाएंगी, हालांकि एक साल बाद वो कई सर्जरी करवाकर देश लौटी, साल 1981 में नरगिस का देहांत हो गया।

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