Friday , November 22 2024

शी जिनपिंग के करीबी जनरल झाओ ने दिए थे भारतीय सेना पर हमले के आदेश: US खुफिया एजेंसी का खुलासा

ब्रिटेन। गलवान घाटी पर भारत-चीन सेना के बीच हुई आपसी झड़प के बाद अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने एक बड़ा खुलासा किया है। इस खुलासे में मालूम चला है कि भारतीय सैनिकों पर हमला करने के लिए चीन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उन्हें आदेश दिए थे। यानी ये हमला पहले से सुनियोजित था।

यूएस न्यूज के अनुसार, चीन के सबसे ताकतवर जनरल झाओ जोंगकी ने ही इस पूरे ऑपरेशन के लिए सेना को आदेश दिएl जोंगकी वेस्टर्न थिएटर का प्रमुख है। वह इससे पहले भारत के साथ कई तनातनी (डोकलाम जैसी) वाली घटनाओं को अंजाम दे चुका है। उसका उद्देश्य इस बार भी कुछ ऐसा ही था।

वियतनाम, डोकलाम, गलवान...चीन की शर्मिंदगी के सबब बने जनरल झाओ जोंगकी

रिपोर्ट की मानें तो जोंगकी सोचता था कि चीन को USA और उससे जुड़े देशों के सामने कमजोर नहीं दिखाई पड़ना चाहिए। इसलिए वह इस हमले के जरिए भारत को सबक सिखाना चाहता था। लेकिन उसकी चाल उसपर उलटी पड़ गई और पूरे हमले में चीन के 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए। इसके अलावा हमले के बाद भारतीयों ने काफी तादाद में चीनी सामान और चीनी तकनीक का बहिष्कार भी शुरू कर दिया।

रिपोर्ट कहती है कि इस कार्रवाई के जरिए चीन भारत पर दबाव बनाना चाहता था। उसे लग रहा था कि ऐसी कोशिशें करके वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष को दबाया जा सकेगा। मगर, उसके प्लान के मुताबिक कुछ नहीं हुआ। अमेरिका की इंटेलीजेंस रिपोर्ट में दावा किया गया कि चीन की योजना इसलिए भी फेल रही क्योंकि भारत अमेरिका के पाले में आता दिखा।

क्या शी जिनपिंग को थी जानकारी?

यहाँ बता दें कि यूएस खुफिया एजेंसी की इस रिपोर्ट में इस बात को साफ नहीं किया गया है कि पूरी साजिश में राष्ट्रपति शी जिनपिंग किस सीमा तक शामिल थे। लेकिन चीनी सेना के विशेषज्ञों का यह मानना है कि उन्हें निश्चित रूप से इस हमले के आदेशों के बारे में सूचना रही होगी। क्योंकि आदेश देने वाले जनरल झाओ, शी जिनपिंग के बेहद करीबी माने जाते हैं।

दिलचस्प बात ये है कि अमेरिकी अनुमान के मुताबिक इससे पहले वर्ष 1979 में वियतनाम युद्ध के दौरान जनरल झाओ पीएलए में थे और माना जाता है कि उनके कुप्रबंधन की वजह से ही विवाद काफी बढ़ गया था। वर्ष 2017 में डोकलाम विवाद के दौरान भी जनरल झाओ शामिल थे। इस दौरान भी भारतीय सैनिकों ने सफलतापूर्वक चीनी सैनिकों को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया था।

याद दिला दें कि आपसी झड़प की खबर मीडिया में आने के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान दिया था कि भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों पर पहले हमला किया। लेकिन अब यूएस खुफिया एजेंसी की यह रिपोर्ट उन दावों से बिलकुल उलट है।

इस मामले पर अमेरिका का ये भी कहना है कि जनरल झाओ ने इस हमले में मारे गए चीनी सैनिकों की याद में एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया था। मगर, इस बारे में चीनी मीडिया में कुछ भी जानकारी जानबूझकर नहीं दी गई। यही नहीं चीन के सोशल मीडिया वेबसाइटों पर भी इस हार के बारे में काफी आलोचना की गई जिसे बाद में सेंसर कर दिया गया।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत-चीन मामले पर क्या कहा?

14-15 जून की रात हुई इस झड़प को लेकर अमेरिका राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप ने मीडिया से बातचीत में कहा, “ये बहुत मुश्किल स्थिति है। हम भारत से बात कर रहे हैं। चीन से बात कर रहे हैं। उनके यहाँ बहुत समस्या है। वे लोग मारपीट पर उतर आए हैं। हम देखते हैं, आगे क्या होगा। हम उनकी मदद करने की कोशिश कर रहे हैं।”

उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों गलवान घाटी में भारत चीन सैनिकों के बीच जो कुछ भी हुआ। उसमें दोनों देशों के जवान हताहत हुए। इसी के मद्देनजर भारत सरकार ने चीन का रवैया देखते हुए आर्मी को अपने मुताबिक कार्रवाई करनी की छूट भी दी। साथ ही बातचीत का रास्ता भी खुला रखा।

इसके बाद LAC पर जारी खींचतान के बीच सोमवार को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत हुई। एलएसी के दूसरी ओर चीन के हिस्से में मोल्डो इलाके में दोनों सेनाओं के अधिकारियों के बीच बैठक हुई। यह बैठक करीब 12 घंटे के बाद खत्म हुई। हालाँकि, इस बैठक के बाद कोई प्रभावी नतीजे नहीं निकलकर आए।

राहत की बात ये है कि चीन की नापाक इरादों को भाँपते हुए सीमा पर भारतीय सेना पहले से पूरी तरह से मुस्तैद हो गई है। वहीं, सैटेलाइट इमेज से पता चल रहा है कि चीन अपनी सीमा की ओर से कई तरह की हरकतें कर रहा है। जिसे देखते हुए भारतीय एयरफोर्स ने भी अपने फाइटर प्लेनों को तैनात कर दिया है।

साहसी पत्रकारिता को सपोर्ट करें,
आई वॉच इंडिया के संचालन में सहयोग करें। देश के बड़े मीडिया नेटवर्क को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर इन्हें ख़ूब फ़ंडिग मिलती है। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें।

About I watch