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पाई-पाई जनता का, मौज राजीव गाँधी फाउंडेशन की: मनमोहन राज में 7 मंत्रालय, 11 PSU ने भी दिए ‘दान’

नई दिल्ली। गाँधी परिवार के स्वामित्व वाले राजीव गाँधी फाउंडेशन (RGF) को चीन की कम्युनिस्ट सरकार से लेकर PMNRF से दान मिलने के कई साक्ष्य सामने आए हैं। एक समय भारत के वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह ने देश के सरकारी बजट से इस फाउंडेशन के लिए अलग से धन आवंटन की माँग तक की थी।

इसके बाद एक और खुलासे में पता चला है कि देश के कई सरकारी उपक्रमों ने भी राजीव गाँधी फाउंडेशन में दान किया था। इनमें गृह मंत्रालय समेत 7 मंत्रालय, सरकारी विभाग से लेकर 11 बड़े सार्वजानिक उपक्रम भी शामिल थे। यह सब ‘दान’ तब किए गए जब देश में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में UPA की सरकार थी और सोनिया गाँधी ही प्रमुख ‘डिसीजन मेकर’ हुआ करती थीं।

यानी, जिस तरह से हर छोटी बड़ी संस्था के साथ-साथ चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी तक के द्वारा राजीव गाँधी फाउंडेशन में ‘वित्तीय सहायता’ दान करवाई गई है, ऐसा लगता है मानो UPA के दौरान गाँधी परिवार का पहला और एकमात्र लक्ष्य इस फाउंडेशन को धन से सींचना था।

कई सरकारी विभागों, मंत्रालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने वर्ष 2005 से 2013 के बीच राजीव गाँधी फाउंडेशन को ‘दान’ दिया।

उन मंत्रालयों और सरकारी विभागों की सूची यहाँ दी गई है, जो वर्ष 2005 से 2013 तक राजीव गाँधी फाउंडेशन को दान देते थे। जिस वर्ष ये विशिष्ट मंत्रालय और विभाग राजीव गाँधी फाउंडेशन को दान कर रहे थे, उन्हें कोष्ठक में इंगित किया गया है –

सरकारी विभाग और मंत्रालय जो राजीव गाँधी फाउंडेशन को दान करते थे

  1. गृह मंत्रालय (2005-06, 2006-07, 2007-08, 2008-09)
  2. प्रौढ़ शिक्षा निदेशालय, मानव संसाधन मंत्रालय (2005-06, 2006-07, 2007-08, 2008-09)
  3. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (2005-06, 2006-07, 2007-08, 2008-09)
  4. पर्यावरण और वन मंत्रालय (2005-06, 2006-07, 2007-08, 2008-09)
  5. लघु उद्योग मंत्रालय (2007-08, 2008-09)
  6. राष्ट्रीय स्वरोजगार मिशन, ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा एक परियोजना (2008-09, 2010-11)
  7. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा सबला (2011-12, 2012-13)

सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, जो राजीव गाँधी फाउंडेशन को दान करते थे

  1. LIC (2005-06)
  2. सेल (2005-06)
  3. गेल (इंडिया) लिमिटेड (2005-06, 2006-07, 2007-08, 2008-09, 2009-11, 2010-11, 2011-12, 2012-13)
  4. ऑयल इंडिया लिमिटेड (2005-06, 2006-07)
  5. ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (2005-06)
  6. SBI (2005-06, 2006-07, 2007-08, 2008-09, 2010-11, 2011-12, 2012-13)
  7. बैंक ऑफ महाराष्ट्र (2006-07, 2007-08, 2008-09, 2009-11)
  8. आवास और शहरी विकास निगम लिमिटेड (HUDCO) (2006-07)
  9. ONGC (2006-07, 2007-08, 2008-09, 2009-11, 2010-11, 2011-12, 2012-13)
  10. आईडीबीआई बैंक (2006-07)
  11. भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (2007-08, 2008-09, 2009-11, 2010-11, 2011-12, 2012-13)

उल्लेखनीय है कि इस राजीव गाँधी फाउंडेशन की अध्यक्ष सोनिया गाँधी हैं। राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी वाड्रा, मनमोहन सिंह और पी चिदंबरम बोर्ड के सदस्य हैं।

जब ये ‘दान’ दिए गए, मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री थे और सोनिया गाँधी ‘सुपर पीएम’ थीं, जिनके निर्देशों पर ही सभी बड़े और छोटे फैसले लिए जाते थे। कथित तौर पर, यह सोनिया गाँधी ही थीं, जिन्होंने ये सभी निर्णय लिए और देश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।

यानी, जो सरकार सोनिया गाँधी द्वारा चलाई जा रही थी, उन्होंने इन विभागों और मंत्रालयों से जनता के पैसे को निजी स्वामित्व वाले ऐसे फाउंडेशन को दान कर दिए जिसकी अध्यक्ष वो स्वयं हैं, और जिसमें उनके बच्चे और गाँधी परिवार के विश्वसनीय लोग शामिल हैं।

गौरतलब है कि UPA के दौरान राजीव गाँधी फाउंडेशन में चीन की सरकार द्वारा किए गए डोनेशन ऐसे समय में सामने आए हैं, जब कॉन्ग्रेस द्वारा केंद्र सरकार पर भारत की जमीन चीन को सौंपने का दुष्प्रचार किया जा रहा है।

राजीव गाँधी फाउंडेशन ने न केवल चीन के दूतावास से बल्कि चीन सरकार से भी एक बार नहीं बल्कि कम से कम तीन बार वर्ष 2005 और 2009 के बीच ‘वित्तीय सहायता’ प्राप्त की थी।

राजीव गाँधी फाउंडेशन की वार्षिक रिपोर्ट से चीन की सरकार से वित्तीय सहायता मिलने का पता चला है। इसकी अध्यक्षता सोनिया गाँधी ने की और इसमें राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी वाड्रा, मनमोहन सिंह और चिदंबरम ट्रस्टी के रूप में सूचीबद्ध हैं। जैसा कि वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है, यूपीए के दौरान राजीव गाँधी फाउंडेशन को एक बार नहीं बल्कि कई बार प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) से दान मिला था।

वर्ष 2005-2006 में, वार्षिक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि राजीव गाँधी फाउंडेशन को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दान मिला। 2006-2007 की रिपोर्ट में भी यही खुलासा किया गया है। इसके बाद 2007-2008 में भी पीएमएनआरएफ से फाउंडेशन को ‘दान’ मिला था।

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