कानपुर। पुलिस ने ऐलान किया है कि जो शख्स कानपुर मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मियों की मौत के जिम्मेदार कुख्यात अपराधी विकास दुबे की जानकारी देगा, उसे 50 हजार रुपये का इनाम दिया जाएगा. कानपुर के आईजी मोहित अग्रवाल ने शुक्रवार को इस इनाम की घोषणा की. उन्होंने कहा कि विकास दुबे का ठिकाना बताने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा. फिलहाल, विकास दुबे के बारे में पता लगाने के लिए कई लोगों से गहन पूछताछ की जा रही है.
असल में, कानपुर में चौबेपुर के जिस थाना क्षेत्र में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने 8 पुलिस कर्मियों की हत्या को अंजाम दिया है, उसी थाने में उसके के खिलाफ 60 केस दर्ज हैं. कानपुर में इस मुठभेड़ के बाद विकास दुबे यूपी पुलिस का मोस्ट वॉन्टेड बन गया है.
सर्च ऑपरेशन तेज
पुलिस ने मोस्ट वॉन्टेड विकास दुबे के गांव से दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया है. उनसे घटना क्रम और हमले के मास्टर माइंड विकास के बारे में पूछताछ किए जाने की तैयारी है. साथ ही पुलिस ने करीब पांच सौ मोबाइल फोन नंबर सर्विलांस पर लगाए हैं. पूरे बिकरू गांव में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. घटना के बाद से ही गांव और आस-पास के इलाकों में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है.
गांव से करीब 2 दर्जन लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है. यही नहीं पुलिस की फॉरेंसिक टीम भी मौका-ए-वारदात पर छानबीन कर रही है. डीजीपी ने खुद गांव का दौरा किया है. वहीं गांव से जोड़ने वाले नाकों के सीसीटीवी खंगाले जा रहे हैं.
दीवान यशवीर के मुताबिक राहुल ने विकास पर अपने ससुर लालू की जमीन जबरन अपने नाम कराये जाने की एफआईआर कराई थी. एफआईआर में उसने लिखवाया था कि विकास उसे रास्ते से जबरन अपनी गाड़ी में डालकर अपने घर ले गया था, जहां उसने मुझे मार पीटकर एक कमरे में बंद कर दिया था. किसी तरह रात में मौक़ा देखकर वो वहां से भाग आया.
इस घटना के बाद राहुल ने विकास के खिलाफ गुरुवार को थाने में मुकदमा दर्ज कराया था. इसी मामले की जांच के लिए ही पुलिस टीम बिकरू गांव गई थी. हालांकि बिकरू गांव में पुलिस को पहले से विरोध की आशंका थी. इसलिए कई थानों की फ़ोर्स लेकर खुद सीओ देवेंद्र मिश्रा वहां गए थे.
यशवीर सिंह का कहना है कि पूरे मामले की हकीकत से पुलिस वाकिफ हो गई थी. लिहाजा शिकायतकर्ता राहुल के घर पर उसकी सुरक्षा के लिए पुलिस टीम भेजी गई थी. लेकिन उसके घर पर कोई मौजूद नहीं था.
बहरहाल, हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के खिलाफ FIR दर्ज होने के बाद पुलिस जब उसके गांव में गई थी, तो जेसीबी मशीन लगाकर रास्ता बंद कर दिया गया था. जैसे ही पुलिसकर्मी सीओ मिश्रा के नेतृत्व में पैदल आगे बढ़े तो विकास के गुर्गों ने तीन दिशाओं से उन पर फायरिंग शुरू कर दी थी. इस हमले में यूपी पुलिस के सीओ समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए.