Friday , August 1 2025

सब रची-रचाई साजिश थी जिसमें गांववाले भी थे शामिल, पूरे गांव की स्ट्रीट लाइटों को बंद कर दिया

कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर में बीते शुक्रवार को चौबेपुर में पुलिस और बदमाशों की मुठभेड़ ने सभी को दहलाकर रख दिया। चौबेपुर में हुई मुठभेड़ में बदमाशों ने बड़ी साजिश रची थी। इस साजिश के तहत वे पुलिसकर्मियों को मारकर जलाने की भी फिराक में थे। जिसके चलते सारे शवों को एक के ऊपर एक ढेर लगा दिए थे। साथ ही पुलिस की गाड़ियों को भी जलाने की कोशिश थी। लेकिन तभी भारी पुलिस फोर्स पहुंच गया, जिससे बदमाश भाग गए। गांव को आधे से ज्यादा सारी सड़के खून से लथपथ थी। जिससे पता चल रहा है कि बदमाशों ने किस तरह से साजिश रचकर पुलिस के साथ क्रुरता की थी।

माफिया विकास दुबे के घर तीन ओर से सड़के जाती है। जिसमें इन सड़कों पर 100 मीटर की दूरी तक खून ही खून फैला था। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि पुलिसकर्मी अपनी जान बचाते हुए इधर-उधर भाग रहे थे।

मौजूद एक पुलिसकर्मी भाग रहा था, तो बदमाशों ने उसे खटिया पर गिरा लिया और गोलियों से भून दिया। पुलिसकर्मी भाग-भाग कर किसी के घरों में, किसी के बाथरूम में छिप गए। तब बदमाशों ने एक तरह से सर्च ऑपरेशन चलाकर उनको खोज-खोज कर मारा और फिर शवों को एक जगह इकठ्ठा किया।

रची गई साजिश के अनुसार, ग्रामीणों ने पूरे गांव की स्ट्रीट लाइटों को बंद कर दिया था। इससे पुलिसकर्मी समझ ही नहीं पा रहे थे कि उनको भागना किधर है। जबकि बदमाशों गांव के सभी इलाकों से परिचित थे, जिससे पुलिसकर्मियों को उन्होंने आसानी से मारने में साजिश कामयाब रही।

साथ ही सीओ देवेंद्र मिश्र और एसओ महेश यादव के अलावा अन्य पुलिसकर्मियों ने मोर्चा लेने का प्रयास किया था। चूंकि पुलिस को इस तरह के भीषण हमले का अंदाजा नहीं था इसलिए उनकी उंगलियां असलहों के ट्रिगर पर नहीं थीं। जिससे ताबड़तोड़ फायरिंग की वजह से पुलिसकर्मियों को आखिरी में भागना ही पड़ा।

बता दें, 2001 में बीजेपी के दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री संतोष शुक्ला की थाने में घुसकर हत्या करने के आरोपी रहे और अब दोषमुक्त विकास दुबे का परिवार गांव में नहीं रह रहा है। सिर्फ पिता रामकुमार दुबे ही गांव में रहते हैं।

विकास की मां सरला देवी छोटे बेटे दीपू दुबे के साथ कानपुर में रहती हैं। दीपू दुबे प्रॉपर्टी का बिजनेस करता है। गांव में पिता की देखभाल के लिए विकास ने रेखा और उसके पति कल्लू को उनकी देखभाल के लिए रखा हुआ है। जिस समय ये मुठभेड़ हुई, दोनों विकास के पिता रामकुमार के साथ ही थे।

साहसी पत्रकारिता को सपोर्ट करें,
आई वॉच इंडिया के संचालन में सहयोग करें। देश के बड़े मीडिया नेटवर्क को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर इन्हें ख़ूब फ़ंडिग मिलती है। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें।

About I watch