लखनऊ। अखिलेश यादव ने कानपुर में आठ पुलिसकर्मियो की शहादत का अपमान किया है। अपने पिता से सियासी मुठभेड़ करनेवाले अखिलेश यादव के लिए पुलिसकर्मियों की शहादत की कोई क़ीमत नही। होगा भी कैसे- जब इन्होंने हमेशा आतंकवादियों और अपराधियों का साथ दिया। अभी मात्र कुछ दृष्टांत।
1-23-11-2007 को हूजी के आतंकवादियों ने फ़ैज़ाबाद, लखनऊ , वाराणसी की कचहरियों में बम ब्लास्ट करके वकीलों सहित एक दर्जन से अधिक लोगों की हत्याएँ की थी। मैंने बाराबंकी से आतंकवादी ख़ालिद मुजाहिद और तारिक क़ासमी की गिरफ़्तारी RDX के साथ करायी थी।
18-5-2013 को दोनो आतंकी फ़ैज़ाबाद से पुलिस के बज्र बाहन से लौट रहे थे जिनमे ख़ालिद मुजाहिद की लू लगने से मौत ही गयी थी। अखिलेश यादव के निर्देश पर मेरे सहित कुल 42 पुलिसकर्मियों पर बाराबंकी कोतवाली में हत्या का मुक़दमा क़ायम करा कर यूपी पुलिस, एसटीएफ़, एटीएस को संदेश दे दिया की आतंकियों के तरफ़ नज़र भी न उठना। उनके मुक़दमे भी वापस लिए परंतु अदालत ने वापसी की अनुमति न देकर आतंकी तारिक क़ासमी को तीन मामलों में आजन्म कारावास की सजा दे दी।
2- 8-7-2011 को मैनाठेर मुरादाबाद में धर्मविशेष के सैकड़ों गुंडों ने डीआईजी ए॰के॰सिंह को गोली मारीऔर उन्हें मरा समझ कर छोड़ा। तीन- चार साल इलाज के बाद भी वे पूर्णरूप से स्वस्थ नही हो पाये।
अखिलेश यादव सत्ता में आते ही तुष्टिकरण के तहत न्यायालय से मुक़दमा वापस लिया, परंतु यहाँ भी कोर्ट आड़े आ गयी और अब मुक़दमा चल रहा है।
गुंडों ने थाना- चौकी, पुलिसवाहनों में आग लगा दी। पुलिस द्वारा आठ मुक़दमे लिखाये गये, अखिलेश जी ने मुख्यमंत्री बनते ही पुलिस द्वारा लिखाये गये FIR में अंतिम रिपोर्ट लगवाकर समाप्त करवा दिया।
3- डीआईजी के एस्कोर्ट कर्मी उन्हें छोड़कर भाग गये थे। उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। समाजवादी उन्ही गुंडों की सिफ़ारिश पर अखिलेश जी ने उन कायर पुलिसकर्मियों को सेवा में बहाल करके मनचाही पोस्टिंग नोयडा, ग़ाज़ियाबाद और अपने गृहजनपद इटावा में दे दी।
अखिलेश यादव क्या जाने की मुठभेड़ क्या होती है। ज़िंदगी- मौत में चंद सेकंड का अंतर होता है, मुठभेड़ों में।मैंने खुद मुठभेड़ों में नेतृत्व किया है और 19 शातिर अपराधियों को जहन्नुम पहुँचाया है। मेरे सेवा काल में मेरे निर्देशन में 300 से अधिक दुर्दांत अपराधी और आतंकवादी मारे गये है। मैं जानता हूँ की मुठभेड़ में जीवन को दाँव पर लगाना पड़ता है। शहादत देने वाले के परिवारों की व्यथा की जरा भी कद्र यदि अखिलेश जी को होती तो ऐसा ट्वीट करके पुलिसकर्मियों की शहादत का अपमान नही करते| उत्तर प्रदेश के 22 करोड़ लोग और तीन लाख पुलिसफ़ोर्स इस अपमान को कभी नही भूलेगा।