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जानिए, एनकाउंटर से पहले क्यों बदली गई विकास दुबे की गाड़ी, किसने चलाई पहली गोली

लखनऊ। विकास दुबे एनकाउंटर के कुछ बिन्दु सवालों के घेरे में भी आ गए हैं। पुलिस की थ्योरी पास तो होती है मगर कुछ बिन्दुओं पर यह समझ से परे है। बिकरू कांड के 8 दिन के भीतर 5 एनकाउंटर किए गए। इनमें विकास दुबे और उसके पांच गुर्गे मारे गए। गुरुवार को उसके करीबी प्रभात का कानपुर में और बऊआ दुबे का इटावा में एनकाउंटर हुआ। प्रभात के एनकाउंटर से पहले पुलिस ने गाड़ी पंचर होने की बात कही थी। इससे एक दिन पहले बुधवार को विकास के राइट हैंड शॉर्प शूटर अमर दुबे हमीरपुर में ढेर हुआ। इन चारों में लगभग एक थ्योरी सामने आई कि ये सभी पुलिस पर हमला कर भागने की कोशिश कर रहे थे।

इससे पहले घटना के दूसरे ही दिन विकास के मामा प्रेमप्रकाश पांडे और सहयोगी अतुल दुबे को पुलिस ने बिकरू गांव के करीब मुठभेड़ में मार गिराया था। उन्होंने भी पुलिस को देखकर फायर कर दिया था। इनमें से तीन एनकाउंटर में आरोपित पुलिस की पिस्टल छीनकर फायर करते हुए भागे।

इसलिए बदली गई गाड़ी
शुक्रवार के एनकाउंटर में पुलिस की थ्योरी पर सबसे बड़ा सवाल यही उठा कि ‌विकास को लेकर एसटीएफ उज्जैन से चली तो उसे सफारी गाड़ी में बैठाया गया था। एनकाउंटर के पहले जो गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हुई, वह महिन्द्रा की टीयूवी-100 थी। इस पर पुलिस अफसरों ने कहा कि जब किसी बड़े अपराधी को एक जगह से दूसरी जगह लाया जाता है, तो काफिले में मौजूद गाड़ियों में बदल-बदल कर बैठाया जाता है। इससे उसके गुर्गे हमला न कर सकें।

एनकाउंटर के दौरान यह थ्योरी भी सामने आई कि पुलिस ने भाग रहे विकास को रोकने के लिए गोली चला दी। इस पर अधिकारियों ने बाद में स्पष्ट किया कि पहले गोली विकास ने चलाई थी। पुलिस ने जवाब में फायरिंग की।

पुलिस ने विकास के सीने पर गोली मारी, इस पर सवाल उठा कि क्या उसे जान से मार देना चाहती थी? इस पर अधिकारी का कहना था कि विकास ने सीधे फायरिंग शुरू कर दी थी। पुलिस जवाब में फायरिंग न करती तो कर्मियों के गोली लगने की पूरी आशंका थी।

एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा हुआ कि एक्सीडेंट किसी ने देखा ही नहीं। न्यूज एजेंसी एएनआई द्वारा जारी एक वीडियो में वहां मौजूद राहगीर आशीष पासवान ने बताया कि उन्होंने गोलियों की आवाज सुनी, मगर पुलिस की कोई गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुई। पुलिस का कहना है कि गाड़ी पलटी थी।

पुलिस को देने होंगे इन सवालों के जवाब
– उज्जैन में विकास ने खुद सरेंडर किया तो भौंती के पास दुर्घटना के बाद भागने की कोशिश क्यों की

– उज्जैन पुलिस ने गिरफ्तारी क्यों नहीं दिखाई, उसे ट्रांजिट रिमांड के लिए कोर्ट क्यों नहीं ले गई

– कानपुर की सीमा में आने के बाद ही एसटीएफ के काफिले की गाड़ी क्यों और कैसे पलटी

– पलटने से पहले 50-100 मीटर तक गाड़ी घिसटी पर उसके निशान सड़क पर नहीं दिखे

– तेज गति में गाड़ी पलटती है तो काफी नुकसान होता है, लेकिन इसमें सिर्फ शीशा टूटा क्यों

– भारी ट्रैफिक के बीच हाईवे पर पुलिस के अलावा किसी औऱ को यह हादसा क्यों नहीं दिखा

– विकास का एक पैर खराब था, क्या हादसे के बाद हथियार छीनकर भागने में समर्थ था

– एसटीएफ ने इतनी सावधानी भी क्यों नहीं बरती, उसके हाथ क्यों नहीं बांधे गए थे

– विकास के साथी एवं शॉर्प शूटर प्रभात वाले घटनाक्रम से पुलिस ने सबक क्यों नहीं लिया

– 24 घंटे में एक गाड़ी पंचर हुई और दूसरी पलट गई, आखिर किस तरह की हैं पुलिस की गाड़ियां

– एनकाउंटर के ठीक 10 मिनट पहले मीडिया को बारा टोल प्लाजा पर जबरन क्यों रोका गया

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