सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायाधीश एल नागेश्वर की पीठ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआइ बनाम बिहार क्रिकेट संघ (बीसीए) मामले की सुनवाई करेगी। मालूम हो कि बीसीसीआइ अध्यक्ष सौरव गांगुली का कार्यकाल 27 जुलाई को खत्म हो रहा है। वहीं सचिव जय शाह को भी राहत मिलने की उम्मीद है।
भारतीय क्रिकेट बोर्ड के संविधान के अनुसार, कोई भी पदाधिकारी राज्य संघ या बीसीसीआइ या दोनों को मिलाकर लगातार छह वर्ष तक ही पद पर रह सकता है। गांगुली बीसीसीआइ अध्यक्ष बनने से पहले 2015 से 2019 तक बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इससे पहले वह 2014 में कैब के संयुक्त सचिव भी रहे हैं। गांगुली ने अक्टूबर 2019 में बीसीसीआइ अध्यक्ष का पदभार संभाला था।
वहीं, जय शाह भी बीसीसीआइ सचिव से पहले गुजरात क्रिकेट संघ से जुड़े थे। इसी को देखते हुए बीसीसीआइ पदाधिकारियों को राहत देने के लिए बोर्ड ने याचिका लगाई थी। बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि कुछ अपीलें लंबित पड़ी हैं, जिन पर सुनवाई की जाएगी। बीसीसीआइ के नए संविधान के मुताबिक, यह जरूरी है कि बोर्ड किसी भी सुधार के लिए शीर्ष अदालत के पास जाए।
भारतीय क्रिकेट के लिए गांगुली व शाह जरूरी : आदित्य वर्मा
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (BCA) बनाम बीसीसीआइ मामले में सीएबी के सचिव व सुप्रीम कोर्ट में मुख्य याचिका कर्ता आदित्य वर्मा ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के बीच भले ही वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज शुरू होने से आशा की किरण जगी है, लेकिन भारतीय सरजमीं पर क्रिकेट के साथ-साथ अन्य खेलों की मैदान पर वापसी कब तक होगी, इस पर संशय बना हुआ है। साथ ही वर्मा ने कोरोना के दौर में कठिनाइयों के बावजूद जिस तरह मौजूदा बीसीसीआइ अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह क्रिकेट संचालन कर रहे हैं उसकी तारीफ की है।
वर्मा ने कहा कि गांगुली और शाह जिस तरह इस त्रासदी के समय भी वर्चुअल बैठक कर अनेक तरह के क्रिकेट से जुड़े मामलों को गंभीरता से विचार-विमर्श कर सफलतापूर्वक निपटा रहे हैं, वह काबिले तारीफ है। उन्होंने कहा कि वह बीसीसीआइ की उस याचिका को अपना पूरा समर्थन देते हैं जिसमें कहा गया है कि भारतीय क्रिकेट की भलाई के लिए गांगुली व शाह का उनके पदों पर बने रहना जरूरी है।