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दूसरे राज्यों से आए नेताओं से नहीं मिलते हैं सोनिया-राहुल: लाल बहादुर शास्त्री के बेटे ने कहा- प्रियंका बनें अध्यक्ष

नई दिल्ली। कॉन्ग्रेस में बढ़ती कलह के बीच अब पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिवंगत प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री ने अपनी बात रखते हुए कहा है कि पार्टी नेतृत्व में कुछ कमी है। उन्होंने कहा कि सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी पार्टी नेताओं से नहीं मिलते हैं। उन्होंने सलाह दी कि अगर सोनिया-राहुल नेताओं से मिलना-जुलना शुरू कर दें तो आधी समस्या अपने-आप हल हो जाएगी। अनिल शास्त्री कॉन्ग्रेस के हिंदी विभाग के अध्यक्ष हैं।

हालाँकि, उन्होंने ये भी कहा कि प्रियंका गाँधी या राहुल गाँधी में से किसी एक को पार्टी अध्यक्ष बनना चाहिए। उन्होंने गाँधी परिवार से ही किसी को अध्यक्ष बनाए जाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि कुछ चीजें हैं, जो पार्टी नेतृत्व में कमी की ओर इशारा करती है और नेताओं के बीच बैठकें ही नहीं होती हैं। उन्होंने कहा कि जब दूसरे राज्यों से कोई नेता दिल्ली आता है, तो राहुल-सोनिया से उनका मिलना मुश्किल हो जाता है।

अनिल शास्त्री का बयान ऐसे समय में आया है, जब वर्किंग कमिटी की बैठक में सोनिया गाँधी के अध्यक्ष बने रहने का फैसला किया गया और कॉन्ग्रेस का अधिवेशन होने तक उनकी मदद के लिए नेताओं की एक टीम गठित करने की बात कही गई। बैठक में उन नेताओं के प्रति नाराजगी जताई गई, जिन्होंने पत्र लिख कर पार्टी में सुधार की माँग की थी। कॉन्ग्रेस अधिवेशन में राहुल गाँधी के फिर से अध्यक्ष बनने की बात तय मानी जा रही है।

अनिल शास्त्री दिल्ली, बरेली, इंदौर और प्रयागराज में लाल बहादुर शास्त्री के नाम पर स्थापित शिक्षण संस्थानों के अध्यक्ष हैं। वो काफी समय से राजनीति में सक्रिय हैं। 1989 में उन्होंने वाराणसी से लोकसभा का चुनाव जीता था, जिसके बाद वो केंद्रीय मंत्री भी बने थे। उन्होंने कहा है कि कॉन्ग्रेस में एक सिंडिकेट उभर रहा है, ऐसे में प्रियंका गाँधी को अध्यक्ष बनाना सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है।

उन्होंने कहा कि प्रियंका गाँधी की पूरे कॉन्ग्रेस कैडर में गजब की स्वीकार्यता है और वो पहले ही साबित कर चुकी हैं कि वो एक परिपक्व नेता हैं। उन्होंने 23 नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि पत्र लिख कर उसे सार्वजनिक करना मतलब पार्टी को मजबूत करना नहीं है। उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी की वापसी से डरे लोग उन्हें रोकने के लिए ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि गाँधी परिवार के बिना कॉन्ग्रेस अस्तित्व में ही नहीं रहेगी।
कॉन्ग्रेस में कलह पर अनिल शास्त्री ने रखी अपनी बात

ज्ञात हो कि बगावत के ये तेवर जो आज दिख रहे हैं, इसकी नींव 5 महीने पहले ही पड़ गई थी। कॉन्ग्रेस में रिफॉर्म की माँग के लिए एजेंडा शशि थरूर द्वारा आयोजित एक डिनर पार्टी में ही तैयार कर लिया गया था, जिसमें कई कॉन्ग्रेस नेता शामिल हुए थे। इसका ही परिणाम सोनिया गाँधी को पत्र भेजे जाने के रूप में सामने आया। थरूर के डिनर में इस बात पर चर्चा हुई थी कि पार्टी का जीर्णोद्धार कैसे किया जाए और इसकी सेक्युलर विचारधारा की तरफ कैसे लौटा जाए।

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