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महागठबंधन में मचेगा हड़कंप, छोटी पार्टियों को भाव देने के मूड में नहीं दिख रही राजद

पटना। ऐसा माना जा रहा है कि सितंबर के तीसरे या चौथे हफ्ते में बिहार विधानसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान हो सकता है, इसके बावजूद अभी तक महागठबंधन में सीटों का सियासी समीकरण फाइनल नहीं हो पाया है, सूत्रों के अनुसार महागठबंधन में राजद के रुख ने छोटी पार्टियों तथा उसके नेताओं को परेशान कर दिया है, खासतौर से परेशानी रालोसपा और मुकेश सहना की पार्टी वीआईपी को हो रही है, दोनों ही पार्टियां जल्द से जल्द सीट बंटवारे की मांग कर रही है, मुकेश सहनी बार-बार बात बन जाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन अभी भी राजद और कांग्रेस ने कुशवाहा और मुकेश सहनी को कोई भरोसा नहीं दिया है।

राजद सबसे बड़ी पार्टी

महागठबंधन के भीतर के समीकरण को देखें, तो सबसे बड़ी पार्टी राजद है, उसके बाद कांग्रेस है, इन दोनों के अलावा कुशवाहा की पार्टी रालोसपा और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी है, इसके अलावा वामदलों के साथ भी चुनाव लड़ने पर सहमति बनी हुई है, Biharझारखंड मुक्ति मोर्चा भी इस बार बिहार में राजद से कुछ सीटों की मांग कर रही है, झारखंड में राजद के एक मात्र विधायक होने के बावजूद सीएम हेमंत सोरेन ने उन्हें अपने कैबिनेट में जगह दिया है, इस बार जेएमएम बिहार में अपने पांव पसारना चाह रही है।

90 से 93 सीटों पर बंटवारा

सूत्रों का दावा है कि राजद किसी भी कीमत पर 150 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं है, ऐसे में बाकी बचे हुए दलों में बची हुए 90 से 93 सीटों में ही बंटवारा करना होगा, सीट बंटवारे की असल समस्या यही है, कांग्रेस भी अपने लिये पिछली बार की तुलना में ज्यादा सीटों पर दावा ठोंक रही है, पिछली बार कांग्रेस 41 सीटों पर लड़ी थी, लेकिन इस बार कम से कम 80 सीटों पर दावा ठोंक रही है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस 50 से 60 सीटों पर मान सकती है, इसके अलावा वामदलों को भी गठबंधन में रखने पर सहमति पहले ही बन गई है।

ज्यादा भाव नहीं दे रहे लालू

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव छोटे क्षेत्रीय दलों को ज्यादा भाव देने के मूड में नहीं दिख रहे, उनका मानना है कि रालोसपा और वीआईपी जैसी छोटी पार्टियों को अगर सीटें दी जाती है, तो कम संख्या होने की वजह से उनके विधायक पाला बदलकर दूसरे खेमे में जा सकते हैं, इसलिये इन पार्टियों के उम्मीदवारों को राजद या कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ाना चाहते हैं, इससे पहले राजद के इसी टालमटोल के बाद जीतन राम मांझी ने पाला बदलकर एनडीए का दामन थाम लिया। सूत्रों की मानें तो अब कांग्रेस भी राजद की इस बात से सहमत दिख रही है, ऐसे में कुशवाहा और सहनी की पार्टी को कम से कम सीटें ऑफर की जा सकती है, लेकिन ये दोनों नेता राजद-कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ने को राजी नहीं हो रहे हैं, ऐसे में क्या कम सीटों पर ही ऑफर को स्वीकार कर महागठबंधन का हिस्सा बनेंगे, ये भी देखने वाली बात होगी।

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