नई दिल्ली। चीन के साथ सीमा पर जारी गतिरोध पर कॉन्ग्रेस की भूमिका पर सवाल उठाने के बाद कॉन्ग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा कंगना रनौत के खिलाफ चलाए जा रहे द्वेषपूर्ण अभियान पर भी बेहद अस्पष्ट ढंग से अपनी ही पार्टी के पक्ष पर कटाक्ष किया है।
बुधवार (सितम्बर 09, 2020) को कॉन्ग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक तंज भरा ट्वीट किया। मिलिंद देवड़ा ने बिना किसी का नाम लेते हुए लिखा, “बताइए, एक तर्कहीन सांस्कृतिक जंग छेड़ने के लिए महामारी से बेहतर समय नहीं हो सकता?”
दरअसल, मिलिंद देवड़ा का इशारा महाराष्ट्र सरकार द्वारा सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जाँच से लेकर बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को लेकर छेड़ी गई लड़ाई की ओर है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में इस समय एनसीपी, शिवसेना और कॉन्ग्रेस की सरकार है। और महाराष्ट्र के नेता इस समय अपनी मराठा छवि, क्षेत्रीय गौरव और जय मराठा जैसे राग अलाप रहे हैं। वहीं, कॉन्ग्रेस में राहुल गाँधी के समकक्ष युवा नेता मिलिंद देवड़ा ने अपनी ही पार्टी के पक्ष पर चोट करते हुए ट्वीट किया है।
मिलीं देवड़ा के इस ट्वीट पर उनके समर्थक कई प्रकार की प्रतिक्रियाएँ दे रहे हैं। उनके इस ट्वीट को देखते हुए कॉन्ग्रेसी ट्रोल भी उन पर कूद पड़े। किसी ने उनसे पूछ दिया कि हाल-फिलहाल उन्होंने राहुल गाँधी के कितने ट्वीट या वीडियो को शेयर किया है तो कोई उन्हें दूसरा सचिन पायलट बताने पर लगा हुआ है।
उल्लेखनीय है कि गत जून के माह ही चीन के साथ सीमा संघर्ष के बीच भी कॉन्ग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने अपनी ही पार्टी को घेरते हुए ट्विटर पर लिखा था कि एकजुट होने के वक्त हो रही राजनीतिक कीचड़बाजी से हम दुनिया में तमाशा बन गए हैं। देवड़ा ने कहा कि चीन के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है।
देवड़ा ने ट्विटर पर लिखा था, “यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब चीन के अतिक्रमण के खिलाफ राष्ट्र की एक आवाज होनी चाहिए, तब उसकी जगह राजनीतिक कीचड़बाजी हो रही है। हम दुनिया में तमाशा बन गए हैं। चीन के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है।”
देवड़ा ने यह बयान तब दिया था जब कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी चीन के खिलाफ भारत सरकार को घेरने का प्रयास कर रहे थे। वहीं, अब वर्तमान में महाराष्ट्र सरकार द्वारा कंगना रनौत के खिलाफ छेड़ी गई जंग में द्वेषपूर्ण तरीके अपनाने पर भी कॉन्ग्रेस महाराष्ट्र सरकार के साथ खड़ी नजर आ रही है। कम से कम कॉन्ग्रेस की अब तक इस मामले पर चुप्पी तो यही साबित करती है कि वह इस पूरे प्रकरण में शिवसेना को रोकने के मूड में नहीं है।