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वर्जिनिटी सर्टिफिकेट, जबरन निकाह और मस्जिदों में शिक्षा पर रोकः इस्लामी कट्टरपंथ पर फ्रांस की चोट

इस्लामी कट्टरता के खिलाफ फ्रांस नया कानून बनाने जा रहा है, जिसका ड्राफ्ट वहाँ की संसद में बुधवार (दिसंबर 9, 2020) को पेश किया गया। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का कहना है कि जो कट्टर इस्लामी ताकतें देश को कमजोर कर रही हैं, ये कानून उन अलगाववादियों से निपटने के लिए है। हालाँकि, कई मानवाधिकार संगठन सक्रिय हो गए हैं और इसे भेदभाव वाला बता रहे हैं। हालाँकि, फ्रांस अपनी सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाता जा रहा है।

नए बिल के अनुसार, कोई भी बच्चा अगर 3 वर्ष का हो जाता है तो उसके बाद उसे स्कूल में भर्ती कराना ही पड़ेगा। कुछ खास मामलों में ही बच्चे को स्कूल न भेज कर घर पर ही स्कूलिंग की सुविधा देने की अनुमति प्रदान की जाएगी। कई इस्लामी कट्टरपंथी वहाँ गुपचुप मदरसे चलाते हैं और बच्चों को मुस्लिम परिवार वहीं भेज देते हैं। इसी कारण बच्चों को स्कूल जाने के लिए उम्र निर्धारित कर के इसे अनिवार्य कर दिया गया है।

इस बिल में कहा गया है कि मस्जिद प्रार्थना करने की जगह है और इसे एक धार्मिक स्थल के रूप में ही पहचाना जाना चाहिए, इसे इसी रूप में सक्रिय रहना चाहिए। फ्रांस में 2600 से भी अधिक मस्जिद हैं और वो सभी उनके एसोसिएशन के नियम-कायदों से हिसाब से संचालित किए जाते हैं। मस्जिदों की विदेशी फंडिंग पर रोक तो नहीं लगाई गई है, लेकिन अब गुपचुप तरीके से ये नहीं चलेगा। 10,000 यूरो (8.93 लाख रुपए) से ज्यादा की फंडिंग पर एक-एक पाई का हिसाब देना होगा।

फ्रांस में मुस्लिम समुदाय के लोग निकाह से पहले अक्सर लड़की के ‘वर्जिनिटी सर्टिफिकेट’ माँगते हैं, जिसे किसी डॉक्टर से बनवाया जाता है। अब ऐसा करने पर 1 साल की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही किसी युवा महिला का ‘वर्जिनिटी सर्टिफिकेट’ बनाने पर जुर्माना भी लगेगा। अब मुस्लिम संगठनों ने इस प्रतिबन्ध के खिलाफ तर्क देते हुए कहा है कि ये हिंसा झेलने वाली महिलाओं के विरुद्ध होगा।

साथ ही जबरन निकाह को लेकर भी प्रावधान है। अब कपल को सम्बंधित अधिकारी के समक्ष एक इंटरव्यू के लिए बैठना होगा, जिसके बाद इसकी पुष्टि की जाएगी कि ये शादी सहमति से हो रही है। अगर अधिकारियों को जरा भी शक होता है तो वो प्रॉसिक्यूटर को बताएँगे, जो इस शादी पर रोक लगा सकता है। फ्रेंच रेसिडेंस कार्ड लेकर बहुविवाह पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। एक से ज्यादा पत्नी नहीं रख सकते हैं।

फ्रांस में एक कट्टरपंथी द्वारा शिक्षक सैमुअल पैटी की हत्या के बाद से ही वहाँ की सरकार इस्लामी कट्टरता को लेकर सजग है। इस कानून के लागू होने के बाद जज को ये अधिकार होगा कि वो आतंकवाद, भेदभाव, घृणा या हिंसा के आरोपित को मस्जिद में जाने से रोके। महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग स्विमिंग पूल वाले नियम को भी हटाया जाएगा। बच्चों को मस्जिद में नहीं पढ़ाया जा सकेगा।

पिछले 8 वर्षों में फ्रांस में 30 से भी अधिक इस्लामी हमले हुए हैं, इसी कारण इस कानून को लाया गया है। इसके लिए उदारवादी मुस्लिम नेताओं के साथ विचार-विमर्श भी किया गया। सभी धार्मिक स्थलों को ‘गणतांत्रिक मूल्यों’ के पालन वाले दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने होंगे। फ्रांस की स्थानीय मीडिया के अनुसार, वहाँ के अधिकतर मुस्लिम इस्लामी किताबों को देश के कानून से ऊपर मानते हैं, इसीलिए कड़े प्रावधान किए जा रहे हैं।

हाल ही में सैमुअल पैटी के हत्यारे अब्दुल्लाख को उसके गृह क्षेत्र चेचन्या में दफ़न किया गया है, जहाँ उसे पूरा हीरो वाला सम्मान दिया गया। सैकड़ों लोगों ने उसके जनाजे में भाग लिया और मुस्लिम भीड़ ने ‘इस्लाम का शेर’ के नारे लगाए। उसके सम्मान में गाने गाए गए। उसके गाँव शालाजी में ग्रामीणों ने उसके सम्मान में कार्यक्रम किए और अपने गाँव के इस्लामी रीति-रिवाजों के साथ दफ़न किया। भारी बर्फबारी के बावजूद 200 लोगों ने उसके अंतिम-संस्कार में हिस्सा लिया।

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