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‘उनको कृषि कानूनों से पीड़ा नहीं, वे इस बात से परेशान हैं कि मोदी ने कैसे कर दिया’

नई दिल्ली। किसान आंदोलन के बीच मोदी सरकार पर किसान विरोधी होने के इल्जाम लग रहे हैं। ऐसे में आज (दिसंबर 17, 2020) पीएम मोदी ने किसान महासम्मेलन को संबोधित करते हुए मध्यप्रदेश के 35 लाख किसानों के बैंक खातों में 16 करोड़ रुपए भेजे ताकि वह प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान से बच पाएँ। कार्यक्रम में कई किसानों को क्रेडिट कार्ड दिया गया और सुविधाओं की बाबत कई नियमों में बदलाव किए गए।

पीएम मोदी ने कहा, “तेजी से बदलते हुए वैश्विक परिदृष्य में भारत का किसान, सुविधाओं के अभाव में, आधुनिक तौर तरीकों के अभाव में असहाय होता जाए, ये स्थिति स्वीकार नहीं की जा सकती। पहले ही बहुत देर हो चुकी है। जो काम 25-30 साल पहले हो जाने चाहिए थे, वो अब हो रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि भारत का किसान और कृषि अब और पिछड़ी नहीं रह सकती। दुनिया को जो सुविधा प्राप्त है, वह सारी सुविधा भारतीय किसानों को मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने नए कानूनों को लेकर और उस पर उठे विवाद पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा, “बीते दिनों से देश में किसानों के लिए जो नए कानून बने, उनकी बहुत चर्चा है। ये कृषि सुधार कानून रातों-रात नहीं आए। पिछले 20-22 साल से हर सरकार ने इस पर व्यापक चर्चा की है। कम-अधिक सभी संगठनों ने इन पर विमर्श किया है।”

वह बोले, “सचमुच में तो देश के किसानों को उन लोगों से जवाब माँगना चाहिए जो पहले अपने घोषणा पत्रों में इन सुधारों की बात लिखते रहे, किसानों के वोट बटोरते रहे, लेकिन किया कुछ नहीं। सिर्फ इन माँगों को टालते रहे और देश का किसान, इंतजार ही करता रहा।”

पीएम मोदी ने विरोधियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “मुझे लगता है कि उनको पीड़ा इस बात से नहीं है कि कृषि कानूनों में सुधार क्यों हुआ। उनको तकलीफ इस बात से है कि जो काम हम कहते थे लेकिन कर नहीं पाते थे, वो मोदी ने कैसे किया, मोदी ने क्यों किया।”

उन्होंने राजनीतिक दलों से कहा, “मैं सभी राजनीतिक दलों को कहना चाहता हूंँ कि आप अपना क्रेडिट अपने पास रखिए। मुझे क्रेडिट नहीं चाहिए। मुझे किसान के जीवन में आसानी चाहिए, समृद्धि चाहिए, किसानी में आधुनिकता चाहिए। कृपा करके किसानों को बरगलाना, उन्हें भ्रमित करना छोड़ दीजिए।” पीएम ने कहा कि आज भ्रम और झूठ का जाल बिछाकर अपनी राजनीतिक जमीन जोतने के खेल खेले जा रहे हैं।

किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर वार किए जा रहे हैं। उन्होंने कॉन्ग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि किसानों की बातें करने वाले लोग कितने निर्दयी हैं इसका बहुत बड़ा सबूत है स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट। ये लोग स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को 8 साल तक दबाकर बैठे रहे। किसान आंदोलन करते थे, प्रदर्शन करते थे लेकिन इन लोगों के पेट का पानी नहीं हिला। जबकि किसानों के लिए समर्पित मोदी सरकार किसानों को अन्नदाता मानती है। इसलिए सरकार ने फाइलों के ढेर में फेंक दी गई स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट बाहर निकाला और उसकी सिफारिशें लागू कीं, किसानों को लागत का डेढ़ गुना MSP दिया।

उन्होंने बताया कि सरकार लगातार पूछ रही है, पब्लिक में, मीटिंग में पूछ रही है कि आपको कानून के किस क्लॉज में दिक्कत है, तो उन राजनीतिक दलों के पास कोई ठोस जवाब नहीं होता, यही इन दलों की सच्चाई है।

पीएम ने किसानों के साथ हुई धोखाधड़ी पर ध्यान आकर्षित करवाया और मध्य प्रदेश कॉन्ग्रेस सरकार के हालात व किसानों की अपेक्षाएँ बताईं। उन्होंने पीएम किसान योजना का जिक्र करते हुए कहा, “हमारी सरकार ने जो पीएम-किसान योजना शुरू की है, उसमें हर साल किसानों को लगभग 75 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे। यानि 10 साल में लगभग साढ़े 7 लाख करोड़ रुपए। किसानों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर। कोई लीकेज नहीं, किसी को कोई कमीशन नहीं।”

7-8 साल पहले देश में यूरिया के हालातों पर पीएम ने गौर करवाया है और आज के साथ उसकी तुलना की। पुरानी सरकार की नाकामयाबियाँ भी पीएम ने अपने संबोधन में गिनवाईं और उन प्रोजेक्ट्स को बताया जो लंबे समय से लटके हुए हैं।

पीएम मोदी ने कहा, “किसानों की लागत कम हो, इसके लिए भी सरकार ने निरंतर प्रयास किए हैं। किसानों को सोलर पंप बहुत ही कम कीमत पर देने के लिए देशभर में बहुत बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। हम अपने अन्नदाताओं को ऊर्जादाता बनाने पर भी काम कर रहे हैं।”

उन्होंने बोला, “मैं विश्वास से कहता हँ कि हमने हाल में जो कृषि सुधार किए हैं, उसमें अविश्वास का कारण ही नहीं है, झूठ के लिए कोई जगह ही नहीं है। स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करने का काम हमारी ही सरकार ने किया। अगर हमें MSP हटानी ही होती तो स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू ही क्यों करते?”

उन्होंनेे पूछा, “हमारी सरकार MSP को लेकर इतनी गंभीर है कि हर बार, बुवाई से पहले MSP की घोषणा करती है। इससे किसान को भी आसानी होती है, उन्हें भी पहले पता चल जाता है कि इस फसल पर इतनी MSP मिलने वाली है।”

 

अपने भाषण में पीएम ने MSP और APMC को लेकर कुछ तथ्यात्मक आँकड़े पेश किए और कहा कि सरकार ने न सिर्फ MSP में वृद्धि की, बल्कि ज्यादा मात्रा में किसानों से उनकी अपज को MSP पर खरीदा है।

उन्होंने पुराने समय में आए दलहन संकट जैसे विषयों पर गौर करवाया और कहा कि नए कानून के बाद 6 महीने हो गए हैं, देश में एक भी मंडी बंद नहीं हुई है। फिर क्यों ये झूठ फैलाया जा रहा है?हमारी सरकार APMC को आधुनिक बनाने पर, उनके कंप्यूटरीकरण पर 500 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर रही है। फिर ये APMC बंद किए जाने की बात कहाँ से आ गई।

पीएम ने कई पुरानी रिपोर्ट्स पर भी गौर करवाया और आखिर में खुशी व्यक्त की कि किसानों ने नए कृषि सुधारों को न सिर्फ गले लगाया है बल्कि भ्रम फैलाने वालों को भी सिरे से नकार रहे हैं। जिन किसानों में अभी थोड़ी सी आशंका बची है उन्हें फिर से सोचने की सलाह पीएम ने दी।

वह कहते हैं, “मेरी इस बातों के बाद भी, सरकार के इन प्रयासों के बाद भी, अगर किसी को कोई आशंका है तो हम सिर झुकाकर, हाथ जोड़कर, बहुत ही विनम्रता के साथ, देश के किसान के हित में, उनकी चिंता का निराकरण करने के लिए, हर मुददे पर बात करने के लिए तैयार हैं।”

आखिर में उन्होंने बताया, “अभी 25 दिसंबर को, श्रद्धेय अटल जी की जन्मजयंती पर एक बार फिर मैं इस विषय पर और विस्तार से बात करूँगा।उस दिन पीएम किसान सम्मान निधि की एक और किस्त करोड़ों किसानों के बैंक खातों में एक साथ ट्रांसफर की जाएगी।”

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