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अफजल ने दलित महिला को अगवा कर इस्लाम कबूलने का डाला दबाव: यूपी में ‘लव जिहाद’ विरोधी कानून के तहत पहली चार्जशीट

बिजनौर/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बिजनौर में पुलिस ने पिछले महीने अपने घर के पास से एक दलित महिला का अपहरण करने के आरोप में गिरफ्तार 22 वर्षीय बढ़ई अफजल के खिलाफ नए धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत पहली चार्जशीट दायर की है। बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले साल नवंबर में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ अध्यादेश को मंजूरी दी थी।

यह आरोप पत्र इस सप्ताह की शुरुआत में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दायर किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक कुछ साल पहले 21 साल की महिला अपने माता-पिता के साथ चंडीगढ़ शिफ्ट हो गई थी। आरोपित, जो उसके घर के पास रहता था, वह भी वहाँ शिफ्ट हो गया। पिछले महीने, महिला और उसके माता-पिता एक रिश्तेदार की शादी में शामिल होने बिजनौर गए थे। जहाँ 6 दिसंबर को अपने घर के पास के बाजार जाने के दौरान उसका अपहरण कर लिया गया।

गायब होने के दो दिनों बाद, महिला के पिता ने अफजल के खिलाफ FIR दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी बेटी को आखिरी बार आरोपित के साथ ही देखा गया था। वहीं पुलिस ने इस मामले में अपहरण के आरोपों और नए धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया। जिसके बाद 9 दिसंबर को पुलिस ने महिला का जिले में पता लगाया।

अफजल ने यौन उत्पीड़न किया और इस्लाम में परिवर्तित करने की कोशिश की

पीड़ित महिला ने मजिस्ट्रेट को दिए अपने बयान में कहा कि अफजल ने अपनी असली पहचान छिपा ली थी और दावा किया था कि उसका नाम सोनू है। उसने कहा कि वह उसके घर जाया करता था, और जल्द ही वे दोस्त बन गए। पीड़िता ने दावा किया कि आरोपित ने उसके साथ यौन उत्पीड़न किया और जब वह उसके साथ गई तो उसे उसकी असली पहचान के बारे में पता चला। फिर अफजल ने महिला से कहा कि वह धर्मांतरण के बाद उससे शादी करेगा।

जाँच अधिकारी कुलदीप कुमार गुप्ता ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 366, उत्तर प्रदेश निषेध धर्म परिवर्तन अध्यादेश, 2020 और SC-ST अधिनियम के संबंधित प्रावधानों के तहत आरोप पत्र दायर किया गया है। मजिस्ट्रेट के सामने महिला के बयान के आधार पर, बलात्कार के आरोप भी लगाए गए हैं। अफजल को पुलिस ने 10 दिसंबर को गिरफ्तार किया था और अदालत में पेश किया गया था, जहाँ से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

UP में ‘लव-जिहाद’ कानून के तहत उवैस अहमद पर पहली FIR

गौरतलब है कि बरेली में 29 नवंबर, 2020 को ‘ग्रूमिंग जिहाद’ कानून के तहत पहला केस दर्ज किया गया। केस के मुताबिक, उवैस अहमद गाँव की ही एक छात्रा पर धर्म परिवर्तन का दबाव बना रहा था। शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने इस प्रकरण के संबंध में मामला दर्ज कर लिया। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने ‘ग्रूमिंग जिहाद (लव जिहाद)’ के विरुद्ध बने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 पर हस्ताक्षर कर इसे मंजूरी दी थी। इसके बाद ये राज्य में औपचारिक रूप से लागू हो गया।

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