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50+ के फेसबुक फ्रेंड थे शिकार, अश्लील वीडियो था इनका हथियार: वारिस, रईस, वाहिद, अकरम सहित 6 राजस्थान से गिरफ्तार

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने एक साइबर सेक्सएक्सटॉर्शन रैकेट का भांडाफोड़ करते हुए 6 साइबर बदमाशों को गिरफ्तार किया है। कथिततौर पर पकड़े गए आरोपित फेसबुक पर लोगों को ब्लैकमेल करके उनसे पैसे ऐंठते थे। दिल्ली पुलिस ने भरतपुर राजस्थान से वारिस, रईस, अन्नय खान, वाहिद, मुफीद और अकरम को गिरफ्तार किया है जो कथित तौर पर एक ऑनलाइन जबरन वसूली रैकेट चला रहे थे।

अपराधी कथित रूप से फेसबुक पर फर्जी प्रोफाइल बनाते थे और लोगों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते थे। ये लोग ज्यादातर 50 वर्ष से ज्यादा की उम्र वालों को अपना शिकार बनाते थे, जो आमतौर पर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं।

इसमें साइबर अपराधी किसी ना किसी माध्यम से सामने वाले शख्स को वीडियो कॉल पर जुड़ने के लिए कहते हैं, पहले फेसबुक पर दोस्ती करते हैं फिर वीडियो कॉल करने को कहते है, उनके झाँसे में आकर जब वो शख्स वीडियो कॉल जॉइन करता है तो उन्हें वीडियो कॉल पर अश्लील वीडियो दिखाया जाता था।

यह गैंग अश्लील वीडियो देख रहे व्यक्ति का वीडियो दूसरे फोन से बना लेते थे। जिसके बाद गैंग का सदस्य खुद को संबंधित सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म का सीनियर ऑफिसर बताता और पीड़ित से उनका अश्लील वीडियो डिलीट करवाने के लिए उनसे पैसे की डिमांड करता था।

रिपोर्ट के मुताबिक, साइबर सेल के आलाधिकारियों को आरोपितों के फोन से तकरीबन 40 पीड़ितों की वीडियो हाथ लगे हैं। अब तक 25 लाख से ज्यादा की धोखाधड़ी ये कर चुके है, 10 एकाउंट्स को फ्रीज किया गया है। इनके पास से 17 मोबाइल फोन, 2 एटीएम कार्ड, चेक बुक आदि जब्त किए गए हैं। ज्यादातर पीड़ित की उम्र 50 वर्ष से ज्यादा की है जो फेसबुक पर ऐक्टिव रहा करते हैं। फेसबुक पर इन पीड़ितों में कुछ के प्रोफाइल कैटरिंग सर्विस देनेवाले, स्टेशनरी बिजनेस करने वाले के हैं।

अश्लील वीडियो रिकॉर्ड कर, करते थे लोगों को ब्लैकमेल

साइबर सेल के डीसीपी अन्येष रॉय ने कहा कि साइबर क्राइम यूनिट को बीते कुछ हफ्तों से ऑनलाइन उगाही रैकेट से संबंधी कई शिकायतें मिल रही थीं। लोग बता रहे थे कि कैसे कुछ लोग उनके अश्लील वीडियोज को इंटरनेट पर डालने की धमकी देकर ब्लैकमेलिंग कर रहे हैं। उन्होंने बताया, “जाँच में पता चला कि पीड़ितों को फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स के जरिए जाल में फँसाया गया। वो गैंग के सदस्यों के साथ चैट करते और उन्हें मेसेंजर या वॉट्सऐप के जरिए वीडियो कॉल करने को कहा जाता। उन्हें वीडियो कॉल के दौरान पॉर्न वीडियोज दिखाए जाते और उसी वक्त रिकॉर्डिंग भी की जाती। कुछ देर बाद उनके पास ब्लैकमेलिंग की कॉल आ जाती और 2000 से 3000 रुपए माँगे जाते।”

रॉय ने कहा कि ज्यादातर पीड़ितों ने पैसे दे दिए जबकि कुछ ने इसकी शिकायत पुलिस से की। उन्होंने कहा, तकनीकी सूचनाओं की मदद से आरोपितों का लोकेशन भरतपुर में मिला। आरोपितों ने फर्जी पहचान पत्रों के जरिए सिम कार्ड खरीदे और बैंक खाते तक खुलवा लिए। आरोपित एक-दो दिन में ही सिम कार्ड बदल लिया करते थे। सिम कार्ड फर्जी पहचान पत्रों पर देश के अलग-अलग इलाकों से लिए जाते थे। जिस बैंक में अपराधियों ने पैसे जमा करवाए, वह अलवर का था। छापेमारी के दौरान अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

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