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पंजाब के 4.74 लाख ‘धंधेबाज’ किसान, फर्जीवाड़ा कर PM किसान निधि का लिया पैसा: RTI से खुलासा, अब लौटाना होगा

‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना’ के लिए केंद्र सरकार ने तो धनराशि जारी कर दी और किसानों तक कई किस्तों में रुपए पहुँचे भी, लेकिन कुछ राज्यों में इसे लेकर बड़ी गड़बड़ी की बात पता चली है। इनमें 20.48 लाख अपात्र लोगों को 1364 करोड़ रुपए ट्रांसफर हो गए हैं। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने ही एक RTI के जवाब में ये खुलासा किया। गलत तरीके से पीएम किसान योजना का लाभ उठाने वालों में सबसे ज्यादा अपात्र किसान पंजाब के हैं।

पीएम किसान योजना के तहत हर साल गरीब किसानों को 6000 रुपए की राशि 2000 रुपए के तीन किश्तों में दी जाती है। 2019 में मोदी सरकार ने ये योजना लॉन्च की थी। जिन किसानों के पास 2 हेक्टेयर से कम जमीन है, उन्हें इसका लाभ दिया जाता है। हाल ही में दिसंबर 25, 2020 को इस योजना के तहत किसानों को किश्त मिली। अब मंत्रालय ने बताया कि इसके तहत अपात्र लोगों को दी गई धनराशि वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

इनमें दो श्रेणियों में उनकी पहचान की गई है। पहली श्रेणी में वो लोग हैं, जो इस योजना की योग्यता पूरी नहीं करते। दूसरी श्रेणी में वो हैं, जो आयकर भरते हैं। RTI आवेदक वेंकटेश नायक के साथ सरकार ने ये आँकड़े साझा किए। अयोग्य लाभार्थियों में से 55.58 प्रतिशत तो ऐसे हैं, जो आयकर देते हैं। योजना की अर्हता पूरी न करने वाले लोगों की सख्या 44.41% है। इनके खातों से रुपए वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

पंजाब, असम, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश – ये वो 5 राज्य हैं, जहाँ अपात्र लाभार्थियों की संख्या सबसे ज्यादा है। इस सूची में 23.16% अपात्र किसान तो अकेले पंजाब में हैं, जिनकी संख्या 4.74 लाख है। इसके बाद असम और महाराष्ट्र का नंबर आता है। आधे से ज्यादा अयोग्य लाभार्थी (54%) इन्हीं 3 राज्यों में हैं। सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के तहत ये जानकारी साझा की गई है।

पिछले कई सप्ताह से पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली की सीमा पर बैठे हुए हैं और केंद्र सरकार के उन तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, जो कृषि सुधारों की दिशा में लाया गया था। हरियाणा में करनाल जिले के कैमला गाँव में ‘किसान महापंचायत’ के कार्यक्रम स्थल पर तोड़फोड़ की गई। कई किसान नेताओं ने पीएम मोदी पर अभद्र टिप्पणियाँ की हैं। सरकार के साथ 8 दौर के बातचीत के बावजूद कोई निष्कर्ष नहीं निकला है।

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