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बाढ़ से बचाव के लिए कराये जा रहे निर्माण कार्यो में पूरी पारदर्शिता एवं गुणवत्ता सुनिश्चित कराये जाये : जलशक्ति मंत्री डा. महेन्द्र सिंह

सीतापुर में बाढ़ कार्यो का स्थलीय निरीक्षण करते जलशक्ति मंत्री डा. महेन्द्र सिंह

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डा. महेन्द्र सिंह न अधिकारियों को कडे़ निर्देश  देते हुए कहा कि बाढ़ से बचाव के लिए कराये जा रहे निर्माण कार्यो में पूरी पारदर्शिता एवं गुणवत्ता सुनिश्चित कराये जाये। महामारी का बहाना बना कर कार्यों में यदि किसी ठेकेदार के कार्य में गुणवत्ता की कमी पाई जाने पर उनका भुगतान रोक दिया जाएगा। उन्होंने जनपद सीतापुर के ग्राम कोल्हूपुरवा, ग्राम लखनीपुर तथा ग्राम फत्तेपुरवा में बाढ़ से बचाव के लिए कराए जा रहे निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया।
जलशक्ति मंत्री ने अधिकारियों को बाढ़ सुरक्षा के कार्याे का मानसून से पूर्व जनता को बाढ़ से सुरक्षा प्रदान किये जाने के दृष्टिगत बाढ़ परियोजनाओं के कार्य मानसून पूर्व 31 मई, 2021 तक पूर्ण किये जाने के निर्देश दिये। साथ ही बाढ़ सम्बन्धी समस्त तैयारियां मानसून से पूर्व सुनिश्चित किये जाने एवं ग्रामीण क्षेत्रों में नालों की सफाई भी वर्षा काल से पूर्व पूर्ण किये जाने के निर्देश दिए।
डा0 महेंद्र सिंह ने कहा कि कोविड महामारी के बावजूद सिंचाई विभाग द्वारा बाढ़ की तैयारियों के समस्त कार्य समयानुसार कराये जा रहे है। वर्ष 2020-21 में सिंचाई विभाग के अन्तर्गत 254 बाढ़ परियोजनाएं संचालित थीं जिनमें से 83 परियोजनाओं के कार्य बाढ़ काल 2020 के प्रारम्भ होने से पूर्व माह जून तक पूर्ण कर लिए गये थे तथा शेष परियोजनाओं के कार्य सुरक्षित स्तर तक इस प्रकार सम्पादित कराये गये कि उनका लाभ जनता को प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि अतिसंवेदनशील स्थलों जिन पर बाढ़ परियोजनाएं स्वीकृत नहीं थी उन स्थलों पर अनुरक्षण मद से अति आवश्यक कार्य कराकर बाढ़ से सुरक्षा प्रदान की गयी। उन्होंने बताया कि माह दिसम्बर, 2020 तक 146 परियोजनाएं पूर्ण की गयी तथा वर्ष के अन्त तक अर्थात माह मार्च, 2021 तक 193 परियोजनाएं पूर्ण की गयी। शेष कार्य प्रगति में हैं जो कि आगामी मानसून से पूर्व पूर्ण किये जाने हैं।
जलशक्ति मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार निरन्तर इस उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध है कि बाढ़ बचाव कार्य समय से प्रारम्भ हों, गुणवत्तापरक हों तथा पूर्ण पारदर्शिता से सम्पादित कराये जाएं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 2020-21 के बाढ़ काल की तैयारियों के दृष्टिगत मुख्यमंत्री जी द्वारा एक साहसिक एवं अभूतपूर्व निर्णय लेते हुए पिछले वर्ष के माह जनवरी, 2021 में ही बाढ़ कार्य हेतु पुनर्विनियोग के माध्यम से धनराशि उपलब्ध करायी गयी,जिसके अन्तर्गत 184 नई बाढ़ परियोजनाओं पर धनराशि स्वीकृत की गयी तथा समस्त कार्य माह फरवरी, 2021 में प्रारम्भ कर दिये गये थे। उन्होंने कहा कि विश्वव्यापी कोरोना महामारी के संकट काल में भी और पंचायत चुनाव सम्पन्न होने के बावजूद बाढ़ परियोजनाओं में तेजी से कार्य किया गया, जिसके फलस्वरूप 6 परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी है तथा शेष अधिकांश परियोजनाएं पूर्णता की ओर अग्रसर है। समस्त परियोजनाओं के कार्य मानसून पूर्व 31 मई, 2021 तक  कराये जाने हेतु लक्षित है। परियोजनाओं के कार्य मानसून के पूर्व होने से जनता जनार्दन बाढ़ से सुरक्षित होगी और जनधन की हानि नहीं होगी। उन्होंने कहा कि दूरदृष्टि रखकर समय से धनराशि निर्गत करने का यह निर्णय नहीं लिया गया होता तो वर्तमान कोरोना महामारी के कारण बाढ़ कार्यो के समय से क्रियान्वयन में कठिनाई का सामना पड़ता।
डा0 महेन्द्र सिंह ने यह भी बताया कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षा के दौरान जलप्लावन की समस्या के निराकरण करने के उद्देश्य से समस्त ड्रेनों/नालों की सफाई कराये जाने का अभियान भी प्रारम्भ किया गया है। ड्रेनों/नालों के इस सफाई कार्यक्रम में उन पर निर्मित क्षतिग्रस्त पुल/पुलियों के जीर्णोद्धार भी कराया जायेगा। विभाग के अन्तर्गत कुल 10787 नाले है जिनकी कुल लम्बाई 60205 किमी0 है। इनमें से वित्तीय वर्ष 2019-20 में 2751 नालों की 13300 किमी0 लम्बाई, वित्तीय वर्ष 2020-21 में 2481 नालों की 12073 किमी0 लम्बाई में सफाई कराई गयी। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में 4811 नालो की 23944 किमी0 लम्बाई में सफाई करायी जा रही है। नालों पर सफाई के कार्यो से ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि भूमि जलप्लावन से मुक्त हो सकेगी जिससे कृषको की फसलों की क्षति को रोका जा सकेगा।
जलशक्ति मंत्री ने अधिकारियों को कार्याे में मानक के अनुरूप गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिये तथा आगाह किया गया बाढ़ कार्यो में किसी भी अधिकारी/कर्मचारी के द्वारा कदापी कोई शिथिलता न बरती जाये। यदि इन कार्याे मंे किसी अधिकारी/कर्मचारी द्वारा कोई लापरवाही की जाती है तो उसके विरूद्ध कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जायेगी। ठेकेदारों को भी सचेत किया कि महामारी की आड़ में यदि किसी ठेकेदार के कार्य में गुणवत्ता प्रभावित होती है तो उनका भुगतान बिल्कुल नहीं किया जायेगा। कार्य स्थल पर उपस्थित अधिकारियों को निर्देशित करते हुए डा0 महेन्द्र सिंह जी ने कहा कि कोरोना के संक्रमण से बचाव के दृष्टिगत कार्य स्थल पर प्रोटोकाल के निर्देशों का कड़ाई से सतत् अनुपालन सुनिश्चित किया जाये तथा श्रमिकों को मास्क, सेनेटाईजर आदि उपलब्ध कराते हुए उन्हे बार-बार इसके प्रयोग के निर्देश भी दिये जाये।
निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने बताया कि सीतापुर में घाघरा नदी पर स्थित चेहलारी-गनेशपुर तटबंध की बाढ़ से सुरक्षा हेतु किमी0 30.00 एवं 34.50 पर डेªजिंग एवं चैनेलाइजेशन कार्य की स्वीकृत परियोजना के सापेक्ष डेªजिंग पाथ के अनुसार 4.7 किमी0 डेªजिंग एवं चैनेलाइजेशन कार्य किया जाना प्रस्तावित है। वर्तमान में परियोजना का 79 प्रतिशत कार्य पूर्ण करा दिया गया है। अभी तक 4.7 किमी0 का एक्सकेवेशन एवं लगभग 3.0 किमी0 डेªजिंग का कार्य पूर्ण हो चुका है अवशेष कार्य प्रगति में है। डेªजिंग कार्य के फलस्वरूप अब तक लगभग 6,50,000 घनमी0 ड्रेज्ड मैटेरियल निकाला गया है निकाले डेªज्ड मैटेरियल में से 5,07,544 घनमी0 बालू की माप नीलामी हेतु कर ली गयी एवं नीलामी की कार्यवाही प्रगति मंे है। इस परियोजना के कार्य पूर्ण होने से चेहलारी-गनेशपुर तटबंध एवं फत्तेपुरवा, कनरकी, अटौरा आदि ग्रामों को बाढ़ एवं कृषि योग्य जमीन को कटान से बचाया जा सकेगा।
निरीक्षण के समय सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियन्ता (परि0 एवं नियो0) श्री अशोक कुमार सिंह, प्रबन्ध निदेशक उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कारपोरेशन लि0 श्री नवीन कपूर, अधिशासी अभियन्ता श्री विशाल पोरवाल, परियोजना प्रबन्धक श्री पंकज वर्मा आदि उपस्थित रहे।

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