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AltNews वाले जुबैर, राणा अयूब, द वायर सहित 9 पर FIR: ताबीज की लड़ाई में ‘जय श्रीराम’ घुसेड़ दंगा भड़काने की मंशा

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक AltNews वाले मोहम्मद जुबैर और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Twitter के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। मोहम्मद जुबैर ने एक वीडियो शेयर कर के आरोप लगाया था कि लोनी में अब्दुल समद नाम के एक बुजुर्ग से जबरन ‘जय श्री राम’ बुलवाया गया, जबकि आरोपितों में आरिफ, आदिल और मुशाहिद भी शामिल थे। पुलिस की जाँच में ये मामला सांप्रदायिक नहीं निकला। ताबीज देने को लेकर मारपीट हुई थी।

गाजियाबाद के लोनी थाने में मंगलवार (जून 15, 2021) को दर्ज FIR में लिखा है कि पुलिस को विश्वस्त सूत्रों से पता चला कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ। उस वीडियो में कुछ लोग अब्दुल समद नाम के बुजुर्ग व्यक्ति की पिटाई करते हुए और उसकी दाढ़ी काटते हुए दिख रहे हैं। FIR के अनुसार, सोशल मीडिया में इस वीडियो के साथ दावा किया गया कि आरोपित हिन्दू समुदाय से हैं, जिन्होंने बुजुर्ग से जबरन ‘जय श्री राम’ बुलवाया।

जिन्होंने इस घटना की सत्यता को जाँचे बिना ही इसे सांप्रदायिक रंग दे दिया, उसमें मोहम्मद जुबैर, मीडिया पोर्टल ‘द वायर’, राणा अयूब, सलमान निजामी और सबा नकवी, सबा मोहम्मद और मक़सूर उस्मानी शामिल हैं। FIR में इन सभी के नाम का जिक्र है। आरोप लगाया गया है कि इन लोगों ने अचानक लोक शांति को अस्त-व्यस्त करने और धार्मिक समूहों में विभाजन के लिए संदेशों को प्रचारित-प्रसारित किया गया।

मोहम्मद जुबैर फैक्ट-चेक का दावा करने वाले प्रोपेगंडा पोर्टल AltNews का सह-संस्थापक है। राणा अयूब विदेशी मीडिया के लिए लिख कर भारत विरोधी प्रोपेगंडा फैलाती हैं। वहीं सबा नकवी कई साल तक भाजपा को कवर करती रही हैं, लेकिन अब सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ फैलाती है। सलमान निजामी कॉन्ग्रेस के नेता हैं। मक़सूर उस्मानी AMU छात्र संघ के अध्यक्ष थे और दरभंगा से सम्बन्ध रखते हैं।

FIR के अनुसार, जो बयान ट्विटर पर प्रचारित किए गए, वो किसी व्यक्ति विशेष मात्र के नहीं थे बल्कि इनके पीछे एक स्पष्ट मंशा थी, जो आपराधिक षड्यंत्र की ओर भी इशारा करती है। हिन्दुओं और मुस्लिमों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने के लिए ऐसा किया गया। धार्मिक सौहार्द को अस्त-व्यस्त करने के लिए इन्हें बड़े पैमाने पर प्रचारित किया गया। ये स्पष्ट रूप से विभिन्न समुदायों में वैमनस्य पैदा करने के लिए किया गया है। FIR में लिखा है:

“इन भ्रामक ट्वीट्स को कुछ ही समय में हजारों लोगों ने रीट्वीट किया। ऐसे ट्वीट करने वाले वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनेता लोग हैं, जिन्होंने जानबूझ कर बिना किसी प्रमाणिकता और तथ्यों के सत्यापन के दो समुदायों के बीच शत्रुता, वैमनस्य और घृणा पैदा किया गया। पुलिस की जाँच में पता चला कि आरोपित और पीड़ित पहले से परिचित थे। अब्दुल समद ने ताबीज देकर इसके सकारात्मक परिणाम का आश्वासन दिया था। ताबीज ने काम नहीं किया तो आरोपितों ने उसे पीट दिया। व्यक्तिगत विवाद की इस घटना में आरोपितों में हिन्दू और मुस्लिम, दोनों समुदायों के लोग थे। झूठी खबर जम कर फैलाई गई और Twitter ने भी इसे रोकने के लिए कोई कोशिश नहीं की।”

FIR में इसका जिक्र किया गया है कि किस तरह इस फेक न्यूज़ के फैलने से न सिर्फ तनावपूर्ण माहौल पैदा हो गया है, बल्कि उत्तर प्रदेश में एक वर्ग विशेष के भीतर भय की भावना भर दी है। आरोपित मुख्यतः मुस्लिम मजहब के भीतर अपना प्रभाव रखते हैं, ऐसे में उनसे अधिक जिम्मेदारी की अपेक्षा की जाती है। पुलिस ने कहा कि सोशल मीडिया पर इतने फॉलोवर्स वाले लोगों से सोच-समझ कर पोस्ट करने की अपेक्षा की जाती है।

बता दें कि इस FIR में ट्विटर इंडिया के अलावा ट्विटर इंक के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। वहीं मोहम्मद जुबैर ने बड़ी चालाकी से 20 घंटे से भी अधिक समय के बाद अपने ट्वीट को डिलीट तो कर दिया, लेकिन माफ़ी नहीं माँगी। उन्होंने कहा कि ‘फ़िलहाल’ पीड़ित का जबरन ‘जय श्री राम’ बुलवाने वाला आरोप पुलिस और स्थानीय पत्रकारों के वर्जन से मेल नहीं खाता है, इसीलिए वो इस ट्वीट को डिलीट कर रहे हैं।

गाजियाबाद पुलिस ने बताया कि ये घटना जून 5, 2021 की है, जिसके बारे में पुलिस के समक्ष 2 दिन बाद रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो की जब पुलिस ने जाँच की, तो पाया कि पीड़ित अब्दुल समद बुलंदशहर से लोनी बॉर्डर स्थित बेहटा आया था। वो एक अन्य व्यक्ति के साथ मुख्य आरोपित परवेश गुज्जर के घर बंथना गया था। वहीं पर कल्लू, पोली, आरिफ, आदिल और मुशाहिद आ गए। वहीं मारपीट हुई।

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