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‘मंदिर की मूर्ति अपनी रक्षा नहीं कर सकती, मेरी ख़ाक करेगी’: जेल से ताहिर बनकर निकला ताराचंद

मेरठ/लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहाँ जेल जाने से पहले व्यक्ति हिंदू था और सज़ा काट कर बाहर आया तो वो मुस्लिम बन चुका था। 46 वर्षीय ताराचंद एक अपराध के सिलसिले में 3 वर्ष पहले मेरठ की एक जेल में बंद हुआ था। जेल से बाहर निकलने के बाद ताहिर बन चुका था। इस्लामी धर्मांतरण के आरोप लगे। हालाँकि, पकड़े जाने पर उसने दाढ़ी कटा ली और कहने लगा कि वो सिर्फ नमाज पढ़ता था, उसने इस्लाम नहीं अपनाया था।

दरअसल, जेल में रहने के दौरान ही ताराचंद की मुलाकात और जान-पहचान कुछ कैदियों से हुई थी, जो बाद में दोस्ती में भी बदल गई। इसमें उसके कुछ मुस्लिम दोस्त ऐसे थे, जिन्होंने मुक़दमे में उसकी सहायता की और बाहर निकलने में मदद की। अब ताराचंद ने कहा है, “मैं मंदिर और मस्जिद दोनों जगह जाता हूँ। इसमें बुराई क्या है? ईश्वर तो दो नहीं हो सकता है। यह केवल एक ही है। इससे क्या अंतर पड़ता है कि हम कौन सा तरीका अपनाते हैं।”

ताराचंद का दावा है कि 43 महीने तक जेल में रहने के बावजूद उसके परिवार से कोई उसे पूछने तक नहीं आया और उसे अकेला छोड़ दिया गया। उसने एक उस्मान का नाम लिया और कहा कि उसने अपने दोस्तों के साथ मिल कर उसकी मदद की। बकौल ताराचंद, उसने उस्मान व उसके दोस्तों के साथ काफी समय बिताया। उन्होंने उसके लिए फंड्स भी इकट्ठे किए। उसका कहना है कि दाढ़ी बढ़ाई और नमाज पढ़ी, लेकिन धर्मांतरण नहीं किया।

जेल प्रशासन ने जेल में धर्मांतरण की घटना से इनकार किया है। किठौर इलाके के सीओ बृजेश सिंह का कहना है कि ताराचंद ने जेल में रहते हुए कानूनी रूप से धर्मांतरण नहीं कराया। साथ ही किसी अन्य मजहब को कबूल करने की बात भी उन्होंने नकार दी। इधर ताराचंद इस्लाम के बारे में बात करते हुए कहता है कि यहाँ कौमी एकता है और लोग एक-दूसरे के काम आते हैं। उसने पूछा कि मंदिर में अपनी सुरक्षा न कर पाने वाली प्रतिमा किसी दूसरे की सुरक्षा क्या करेगी?

बता दें कि ताराचंद हत्या के मुक़दमे में जेल गया था। वो 5 वक़्त का नमाज भी पढ़ने लगा था। इस घटना पर ख़ुफ़िया विभाग की भी नजर है। मुंडाली थाना क्षेत्र के मऊखास गाँव निवासी ताराचंद का कहना है कि वो बतौर ड्राइवर बाहर कार्य करता था, इसी दौरान उसकी बीवी की नजदीकी किसी और के साथ बढ़ गई। आरोप है कि पैरोल पर बाहर आए ताराचंद ने गाँव के कुछ युवकों पर इस्लाम अपनाने के लिए दबाव भी डाला।

ताराचंद 2015 में ही किसी मोहम्मद के संपर्क में आया था। लगभग 2 साल तक दोनों ने साथ काम किया। इसके बाद वो दिल्ली के अप्सरा बॉर्डर होते हुए असम भी गया था। उसका कहना है कि गुवाहाटी में ही उसने पहली बार नमाज पढ़ी थी। ग्राम प्रधान रवींद्र के बेटे का कहना है कि गाँव के कुछ लोग ताराचंद से मिले हुए हैं। आरोप है कि उसका ब्रेनवॉश किया गया है। कोर्ट में पैरवी के लिए उसके पास रुपया कहाँ से आया था, इसकी भी जाँच की माँग की जा रही है।

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