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आतंकियों से लड़े Pak… नहीं तो चीन की मिसाइल और स्पेशल फोर्स का होगा एक्शन: 9 चायनीज की आतंकी हमले में मौत, भड़का ड्रैगन

पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा के कुर्रम आदिवासी जिले के पाराचिनार में स्थानीय मौलवियों और बुजुर्गों के एक संगठन ने बिना पुरुष साथी के महिलाओं के शॉपिंग सेंटर और बाजारों में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। स्थानीय निवासियों ने कहा कि हुसैनी तहरीक संगठन ने अपने फेसबुक पेज के साथ-साथ व्हाट्सएप पर भी निर्णय शेयर किया है और इसे उनके सदस्यों द्वारा सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर व्यापक रूप से साझा किया गया है।

हुसैनी तहरीक संगठन ने कहा, “हम तालिबान के शासन में नहीं रह रहे हैं। हम पाकिस्तान में हैं लेकिन कुछ लोगों ने अफगानिस्तान में चल रही घटनाओं से प्रेरणा ली है, जहाँ महिलाओं को शटलकॉक बुर्का पहनने और पुरुष साथी के बिना बाहर नहीं जाने के लिए कहा गया है।”

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हुसैन तहरीक का नेतृत्व एक स्थानीय मौलवी और पूर्व सीनेटर मौलाना आबिद हुसैनी करते हैं, जिन्हें स्थानीय रूप से एक प्रभावशाली व्यक्ति माना जाता है। उन्हें क्षेत्र के अन्य मौलवियों का समर्थन प्राप्त है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि कुर्रम के निवासियों को पूर्व फाटा में एकमात्र लोग माना जाता है, जो तालिबान के खिलाफ हथियार उठा चुके थे और परिणामस्वरूप उन्हें बहुत नुकसान हुआ था।

एक अन्य स्थानीय ने कहा, “कुर्रम जिले में अधिकांश शिक्षित लोग इस तरह के प्रतिबंधों के खिलाफ थे। न केवल दोस्त बल्कि दुश्मन भी अफगानिस्तान में तेजी से तालिबान की बढ़त से प्रभावित हैं। लेकिन कुर्रम पाकिस्तान का हिस्सा है और अधिकारियों को इन स्वयंभू ‘सुधारवादियों’ के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।” एक अन्य स्थानीय ने दावा किया कि संगठन ने चेतावनी दी है कि अकेले बाजारों में जाने वाली महिलाओं से सख्ती से निपटा जाएगा और इस अनादर के लिए कोई और नहीं बल्कि उनके शौहर और परिवार के सदस्य जिम्मेदार होंगे।

जब डिप्टी कमिश्नर (DC) कुर्रम अफाक वजीर से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि यह कुछ बदमाशों का मजाक था और पाराचिनार और कुर्रम जिले में हुसैनी तहरीक को भी लोग अच्छी तरह से नहीं जानते हैं। उन्होंने कहा, “यह लगभग 14-15 लोगों का एक तुच्छ संगठन है, जिसे लोग नहीं जानते। किसी ने इस फैसले को प्रसारित किया लेकिन वास्तव में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है और महिलाएँ बिना किसी रुकावट के खुलेआम बाजारों में जा रही हैं। किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। मौलवियों ने जिले में महिलाओं पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है और यह क्षेत्र पूरी तरह से शांतिपूर्ण है।”

बता दें कि कुर्रम अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत के निकट स्थित एक सीमावर्ती जिला है और यह अफगानिस्तान के साथ प्राचीन व्यापार मार्गों में से एक है।

वहीं पाकिस्तान में आतंकी हमले में चीनी नागरिकों के मारे जाने से चीन अपने ‘सदाबहार’ दोस्त से नाराज हो गया है। बस में हुए विस्फोट को गैस लीक का नतीजा बता चुके पाकिस्तान को चीन के सरकारी मुखपत्र ने दो टूक कहा है कि यदि वह आतंकवादियों से नहीं निपट सकता है तो चीनी सैनिकों को अपने मिसाइलों के साथ मिशन पर भेजा जा सकता है। बता दें कि इससे पहले चीन आतंकवाद पर पाकिस्तान का हर स्तर पर बचाव करता आया है। यूएन में मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित कराने के भारतीय प्रयासों में उसने कई बार रोड़े अटकाए थे।

चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने एक ट्वीट में कहा, ”इस हमले में शामिल कायर आतंकी अब तक सामने नहीं आ पाए हैं। लेकिन जरूर उन्हें तलाशा जाएगा और खत्म कर दिया जाना चाहिए। यदि पाकिस्तान की क्षमता पर्याप्त नहीं है, तो इसकी मंजूरी से चीन की मिसाइलों और स्पेशल फोर्स को काम पर लगाया जा सकता है।”

चीनी सरकारी मुखपत्र का यह बयान ऐसे समय पर सामने आया है, जब बीजिंग ने कहा है कि पाकिस्तान के उत्तर पश्चिमी इलाके में एक बस में हुए विस्फोट ने इसके 9 कर्मचारियों और 4 अन्य की जान ले ली। हालाँकि, इस्लामाबाद ने इसे गैस लीक का नतीजा बताया था। पाकिस्तान की जाँच पर अविश्वास जाहिर करते हुए चीन ने कहा था कि वह भी अपनी जाँच टीम भेजेगा।

उल्लेखनीय है कि निर्माणाधीन दासू बाँध स्थल तक चीन के इंजीनियर और कामगारों को लेकर जा रही बस में विस्फोट होने से 9 चीनी नागरिकों और फ्रंटियर कोर के दो सैनिकों सहित कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई और 39 अन्य व्यक्ति घायल हो गए।

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