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JEE Main में फर्जीवाड़ा, 19 स्थानों पर सीबीआइ के छापे; बेहतर रैंकिंग दिलाने के लिए वसूलते थे 15 लाख रुपये

नई दिल्ली। सीबीआइ ने जेईई मेन में धांधली करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस सिलसिले में एफआइआर दर्ज करते हुए सीबीआइ दिल्ली, एनसीआर, पुणे, बेंगलुरु, जमशेदपुर और इंदौर में कुल 19 स्थानों पर छापे मारे। एनआइटी के शीर्ष संस्थानों में नामांकन के लिए यह गिरोह 12 से 15 लाख रुपये लेता था। वैसे तो सीबीआइ ने एक सितंबर को ही इस मामले में एफआइआर दर्ज कर ली थी, लेकिन छापे मारने के लिए 2021 की मेन के चौथे चरण की परीक्षा खत्म होने का इंतजार किया।

नोएडा स्थित एफिनिटी एजुकेशन के निदेशक थे गिरोह के सरगना

सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नोएडा स्थित एफिनिटी एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों ने जेईई मेन में बेहतर रैंकिंग दिलाने का पूरा सिस्टम बना लिया था। इसके एजेंट कई राज्यों में फैले थे। ये एजेंट जेईई मेन में कम रैंकिंग वाले छात्रों से संपर्क कर उन्हें बेहतर रैंकिंग और शीर्ष एनआइटी संस्थान में नामांकन का भरोसा दिलाते थे। इसके एवज में 12 से 15 लाख रुपये की मांग करते थे। परीक्षा में धांधली के लिए एफिनिटी एजुकेशन के निदेशकों ने हरियाणा के सोनीपत के एक परीक्षा केंद्र में कुछ कर्मचारियों से साठगांठ कर ली थी। छात्रों को इसी परीक्षा केंद्र को चुनने के लिए कहा जाता था।

सोनीपत स्थित परीक्षा केंद्र में कर्मचारियों की मदद से होती थी धांधली

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे सुदूर राज्यों के कई छात्रों ने जेईई मेन के लिए सोनीपत को परीक्षा केंद्र के तौर पर चुना था। परीक्षा केंद्र पर मौजूद साजिश में शामिल अधिकारियों की मदद से वे संबंधित छात्र के कंप्यूटर का रिमोट कंट्रोल ले लेते थे और कहीं दूर बैठा व्यक्ति उस छात्र की जगह सारे प्रश्नों का जवाब देता था।

बेहतर रैंकिंग दिलाने के लिए एक छात्र से वसूलते थे 12 से 15 लाख रुपये

एफिनिटी एजुकेशन के निदेशकों का यह फर्जीवाड़ा इतना फुलप्रूफ था कि वे छात्रों से एडवांस में पैसे लेने के बजाय उनसे 12 से 15 लाख रुपये पोस्ट डेटेड चेक ले लेते थे और गारंटी देते थे कि जेईई मेन में बेहतर रैंकिंग आने के बाद ही वे इसे भुनाएंगे। सीबीआइ के छापे में 30 पोस्ट डेटेड चेक बरामद हुए हैं। इसके अलावा छात्रों का 10वीं और 12वीं का मूल प्रमाणपत्र, जेईई मेन का यूजर आइडी और पासवर्ड भी रख लिया जाता था, जिन्हें पैसा पूरी तरह से मिल जाने के बाद ही लौटाया जाता था।

छापा मारने के लिए सीबीआइ ने किया परीक्षा खत्म होने का इंतजार

सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों को एक साल में चार बार जेईई मेन में बैठने का अवसर दिया था। इसका उद्देश्य छात्रों को अपनी रैंकिंग सुधारने का अवसर मुहैया कराना था। इस हफ्ते चौथे अवसर की परीक्षा चल रही थी, जिसका गुरुवार को अंतिम दिन था। जाहिर है यह गिरोह पिछले तीन अवसरों में खराब रैंकिंग वाले छात्रों को निशाना बनाता था। वैसे तो सीबीआइ को इस फर्जीवाड़े की भनक पहले ही लग गई थी और पूरी छानबीन के बाद बुधवार को एफआइआर भी दर्ज कर ली गई थी। लेकिन छापे के लिए परीक्षा खत्म होने का इंतजार किया गया। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि परीक्षा केंद्र पर गिरोह के शिकार छात्रों के अलावा भी बहुत सारे छात्र परीक्षा दे रहे थे। छापे के कारण उनकी परीक्षा बाधित हो जाती। सीबीआइ ने छापे में छात्रों के प्रमाणपत्रों के अलावा सात पीसी और 25 लैपटाप भी जब्त किए हैं। इसके आलावा एजेंसी ने बड़ी मात्रा में फर्जीवाड़े से संबंधित दस्तावेज बरामद होने का भी दावा किया है।

सीबीआइ ने एफिनिटी एजुकेशन के अलावा उसके निदेशकों सिद्धार्थ कृष्णा, विशंभरमणि त्रिपाठी और गोविंद वार्षेय को भी आरोपित बनाया है। इसके साथ ही आरोपितों की सूची में पानीपत परीक्षा केंद्र से कुछ कर्मचारियों और देश के विभिन्न भागों में फैले दलालों और रिमोट पर परीक्षा देने वालों के नाम भी शामिल हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जांच आगे बढ़ने के साथ-साथ आरोपितों की सूची में भी इजाफा हो सकता है।

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