आम्रपाली समूह के 40,000 से अधिक घर खरीदारों को दशहरा तक अच्छी खबर मिलने वाली है। दरअसल, छह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एक कंसोर्टियम बनाया गया है। ये छह बैंक- पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक और पंजाब एंड सिंध बैंक हैं। ये बैंक अक्टूबर तक फंडिंग करने में सक्षम होंगे।
शुक्रवार को रिसीवर और सीनियर अधिवक्ता आर वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, “सार्वजनिक क्षेत्र के छह बैंकों ने एक कंसोर्टियम बनाने पर सहमति जताई है। इस महीने के अंत तक इसके दस्तावेज की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। कुल मिलाकर ये कंसोर्टियम लगभग एक महीने में फंड जारी करने की स्थिति में होगा। ” आपको बता दें कि शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त रिसीवर को प्रोजेक्ट को पूरा कराने की जिम्मेदारी है। वहीं, राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) इस प्रोजेक्ट का कंस्ट्रक्शन कर रहा है। बहरहाल, जस्टिस यूयू ललित और अजय रस्तोगी की पीठ ने रिसीवर का बयान दर्ज कर आगे के घटनाक्रम से कोर्ट को अवगत कराने का आदेश दिया है।
बीते 13 अगस्त को इसी मामले में सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने बैंकों द्वारा उठाए गए कुछ चिंताओं का जिक्र किया था। बैंक चाहते थे कि आम्रपाली को दिए गए फंड को प्राथमिकता-वित्त पोषण क्षेत्र के तहत कैटेगराइज्ड किया जाए। इसके बाद कोर्ट ने रिसीवर को एक विशेषज्ञ को नियुक्त करने के अलावा आम्रपाली समूह और उसके सीएमडी अनिल कुमार शर्मा नोएडा और ग्रेटर नोएडा में स्थित पांच संपत्तियों का मूल्यांकन करने का निर्देश दिया था।
किश्तों का नहीं हो रहा भुगतान: बीते 13 अगस्त को सुनवाई के दौरान रिसीवर वेंकटरमणी ने अदालत को बताया था कि आम्रपाली प्रोजेक्ट में 15,748 मकानों के मालिक अपनी किश्तों का भुगतान नहीं कर रहे हैं। उनमें से, 9,538 फ्लैट खरीदारों ने कस्टमर डेटा भी नहीं दिया है। इस डेटा को रिकॉर्ड रिसीवर के कार्यालय द्वारा मेंटेन किया जाता है। वेंकटरमण के मुताबिक इनमें से कुछ खरीदारों ने या तो रिफंड के लिए आवेदन किया है या मौजूदा परियोजनाओं में फ्लैटों का पजेशन ले लिया है।
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