कर्ज में डूबी सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया की बिक्री की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है। इस एयरलाइन को खरीदने वालों की रेस में कई कंपनियां शामिल हैं लेकिन टाटा संस को सबसे बड़े दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है। टाटा ग्रुप की इस कंपनी ने एयर इंडिया को खरीदने के लिए दिलचस्पी दिखाई है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो इस साल के अंत तक टाटा समूह के कब्जे में तीसरी बड़ी एयरलाइन आ जाएगी। वर्तमान में टाटा समूह की एयर एशिया और विस्तारा में हिस्सेदारी है। आइए जानते हैं कि किस एयरलाइन में टाटा समूह की कितनी हिस्सेदारी है।
विस्तारा एयरलाइन: विस्तारा एयरलाइन टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड और सिंगापुर एयरलाइंस लिमिटेड (एसआईए) का एक ज्वाइंट वेंचर है। इसमें टाटा संस की 51 फीसदी हिस्सेदारी है तो सिंगापुर एयरलाइन का स्टेक 49 फीसदी है। कंपनी टाटा एसआईए एयरलाइंस लिमिटेड के रूप में रजिस्टर्ड है। विस्तारा के पास 47 एयरक्राफ्ट हैं तो वहीं हर दिन 200 से अधिक फ्लाइट उड़ान भरती हैं।
एयर एशिया: साल 2013 में मलेशियाई एयरलाइंस कंपनी एयर एशिया बेरहाद और टाटा संस के ज्वाइंट वेंचर ने एयर एशिया की शुरुआत की थी। इस कंपनी में टाटा संस का हिस्सा 51 फीसदी था तो वहीं एयर एशिया बेरहाद की हिस्सेदारी 49 फीसदी थी। हालांकि, बीते साल एयर एशिया बेरहाद ने अपनी 32.67% हिस्सेदारी टाटा संस को 276 करोड़ रुपए में बेच दी। अब कंपनी में टाटा संस की हिस्सेदारी बढ़कर 83.67% हो गई है।
एयर इंडिया पर रहा है मालिकाना हक: भले ही एयर इंडिया अभी सरकार के कब्जे में है लेकिन करीब 70 साल पहले इस एयरलाइन की शुरुआत जे आर डी टाटा ने की थी। उन्होंने साल 1932 में टाटा एयर सर्विसेज शुरू की थी, जो बाद में टाटा एयरलाइंस हुई और 29 जुलाई 1946 को यह पब्लिक लिमिटेड कंपनी हो गई थी। हालांकि, 1953 में सरकार ने टाटा एयरलाइंस का अधिग्रहण कर लिया। अब एक बार फिर टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा संस ने एयर इंडिया को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है।
साहसी पत्रकारिता को सपोर्ट करें,
आई वॉच इंडिया के संचालन में सहयोग करें। देश के बड़े मीडिया नेटवर्क को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर इन्हें ख़ूब फ़ंडिग मिलती है। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें।