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आनंद गिरि बोले- महंत नरेंद्र गिरि की हत्या हुई, मैं दोषी तो सजा भुगतने को तैयार

प्रयागराज/लखनऊ। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का सोमवार शाम निधन हो गया. उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. उनके कमरे से सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें उन्होंने अपने शिष्य आनंद गिरि पर परेशान करने का आरोप लगाया है. आनंद गिरि को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. हालांकि, इससे पहले जब इन आरोपों को लेकर आनंद गिरि से बात की गई तो उन्होंने इसे अपने खिलाफ ‘साजिश’ बताया.

आनंद गिरि ने आज तक को बताया कि उन्हें पहले हार्ट अटैक होने की सूचना मिली थी और बाद में आत्महत्या की जानकारी मिली है. उन्होंने कहा, ये एक बहुत बड़ा षड़यंत्र है. इसमें पुलिस के आला अधिकारी शामिल हैं. इसमें सीधे-सीधे वो लोग हैं जिन्हें सीधे तौर पर मठ का लाभ मिल रहा था और लगातार मठ की संपत्ति बेचने को आतुर रहते थे. गुरुजी के आसपास रहते थे. इसलिए उन्हें पहले मेरे खिलाफ भड़काया गया और मुझसे दूर किया गया और जब मैं दूर हो गया तो आज वो उस स्थिति में पहुंच गए.

उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया…

आनंद गिरि अभी हरिद्वार में हैं और प्रयागराज के लिए निकलने वाले हैं. उन्होंने दावा करते हुए कहा, ‘मेरी उनसे बात हुई थी. वो किसी प्रकार की मानसिक पीड़ा में नहीं थे. उन्हें प्रताड़ित किया गया. उनपर दबाव डाला गया और उनको आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया. साथ-साथ में उनको मेरा नाम लिखने के लिए मजबूर किया गया. हो सकता है कि किसी और ने ही लिख दिया हो.’

उन्होंने कहा कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होना बहुत जरूरी है. आनंद गिरि ने आईजी केपी सिंह पर आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘प्रदेश सरकार को इस मामले को अच्छी तरह से देखना चाहिए. मैं अगर दोषी हूं तो मुझे जो सजा मिलेगी, उसे मैं भुगतने के लिए तैयार हूं. लेकिन जो दोषी हों उनको सजा होनी चाहिए. अगर मैं दोषी नहीं हूं तो उनको सजा होनी चाहिए.’

मठ की संपत्तियों का लाभ कौन ले रहा है? मठ का पैसा किसके पास गया? मठ किसके नाम पर बिका है? ये सारा बड़ा षड़यंत्र है. ये जांच का विषय है. ये भी घोषणा करता हूं कि अगर मैं दोषी हूं तो मैं सजा पाने को तैयार हूं. मुझे किसी प्रकार का भय नहीं है. इसमें बड़े लोग शामिल हैं. इसमें मठ की संपत्ति शामिल है. ये षड़यंत्र है मेरे और मेरे गुरुजी के खिलाफ. उनकी हत्या हो गई और मुझे खत्म करने की साजिश की जा रही है.

ये सीधा-सीधा संपत्ति, पैसे और लूट का खेल है

आनंद गिरि  ने आगे बताया, ‘एक अमर गिरि  है जो वहां रहता है. जो मेरा नीचे था. एक सिपाही अजय सिंह है. ये सिपाही कई सालों से गुरुजी के साथ चलता था और उसने कई संपत्तियां बनाई हैं. एक सिपाही होने के साथ-साथ उसने मठ का बहुत पैसा लूटा है. एक मनीष शुक्ला है जिसका 5 करोड़ से ऊपर का घर बना है. फिर उनके अपने परिवार के भाई लोग हैं, जिनकी संपत्तियां करोड़ों में बंट गई है. जो सड़क पर रहते थे. रिक्शा चलाते थे, उनके पास करोड़ों की संपत्तियां बनी हैं. एक जौनपुर का अभिषेक मिश्रा है, जिसके पास 5-7 करोड़ का बंगला है. साथ ही कई सारे ऐसे लड़के हैं जिन्हें सीधा-सीधा लाभ मिला है.’

मतभेदों को लेकर आनंद गिरि  ने कहा, ‘मतभेद हमारा था जमीन को बेचने को लेकर. गुरुजी मान गए थे कि हम जमीन नहीं बेचेंगे. लेकिन कुछ लोगों ने गुरुजी के हाथ में एडवांस पैसा दे दिया था और उन पर दबाव बनाया जा रहा था. वही दबाव के कारण उन्होंने पैसा उठाया. लोग उनको लगातार पैसों के लिए प्रताड़ित कर रहे थे. और वो इतने बेचैन हो गए कि आज उन्होंने आत्महत्या कर ली. और जो लोग पैसों का लाभ ले रहे थे, उन्हीं लोगों ने जबरदस्ती उनसे सुसाइड नोट लिखवाया हो और उनकी हत्या कर दी हो.’

मैं दोषी तो सजा भुगतने को तैयार

अपने ऊपर लगे मठ के मंदिर के पैसों के दुरुपयोग के आरोप पर आनंद गिरि ने कहा, ‘मैं अकेला व्यक्ति था जो मठ जो मठ की संपत्ति को बचाने की कोशिश कर रहा था. मैंने कभी हनुमान मंदिर का एक रुपया नहीं लिया. मेरे खाते में कभी नहीं आया. वो लोग जो लाभ ले रहे थे, मैं उन लोगों को रोकना चाह रहा था. मठ के पैसों से अस्पताल बने, स्कूल बने, गौशालाएं बने, धर्म का काम हो, इसी ओर जोर देता था. लेकिन इसी जोर के चलते उन लोगों ने ऐतराज जताया और करोड़ों की संपत्तियां-बंगले बना लिए.’ आनंद गिरि ने कहा, ‘मैं कह रहा हूं न कि जांच करिए. मैं दोषी हूं तो मैं हर प्रकार की सजा भुगतने को तैयार हूं.’

आनंद गिरि ने दावा किया कि उनका जो महंत नरेंद्र गिरि के साथ विवाद था, वो खत्म हो गया था और उन्होंने माफ कर दिया था. उन्होंने कहा, ‘मेरे साथ तीन बड़े लोग थे जिन्होंने समझौता कराया. उसमें एक पुलिस के बड़े नेता हैं. एक समाजवादी पार्टी के नेता हैं और एक भाजपा के बड़े नेता हैं.’ उन्होंने दावा किया कि उन्होंने कभी भी मठ की संपत्ति का दुरुपयोग नहीं किया. आनंद गिरि ने दावा किया कि पैसों को लेकर एक साधु की हत्या हो गई थी. उसी वक्त उन्होंने अंदेशा जताया था कि हो सकता है कि उनकी भी हत्या हो या गुरुजी की हत्या हो.

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