राजस्थान कांग्रेस में आपसी घमासान कोई नहीं बात नहीं है। पिछले कुछ दिनों से राज्य की राजनीति में ‘निकम्मा’ शब्द भी काफी तेजी से प्रचलित हुआ है। ‘निकम्मा’ शब्द का इस्तेमाल अशोक गहलोत पहले सचिन पायलट के लिए कर चुके हैं। हाल ही में दो जुलाई को उन्होंने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर निशाना साधते हुए ‘निकम्मा’ शब्द का प्रयोग किया था।
पार्टी में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच यह टशन काफी पुराना है। अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं और इस बीच ऐसा माना जा रहा है कि गहलोत और पायलट गुट के बीच एक बार फिर तलवारें खीच गई हैं। अब सचिन पायलट ने खुद बताया है कि उनका लक्ष्य क्या है? उन्होंने पार्टी के सीएम अशोक गहलोत के तंज का जवाब भी दिया है।
पायलट ने बताया अपना लक्ष्य…
सचिन पायलट ने कहा कि राजस्थान में पिछले 25 सालों में कांग्रेस कभी एक बार के बाद लगातार दूसरी बार सत्ता में नहीं आई है। पार्टी के दिग्गज नेता और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि पार्टी एक टीम की तरह काम करें तो साल 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी दोबारा सत्ता में आ सकती है। सचिन पायलट ने कहा कि मेरा लक्ष्य है कि अगले साल विधानसभा चुनाव में राज्य में दोबारा कांग्रेस की सरकार बने।
पायलट ने आगे कहा कि सभी कोशिशें करने के बावजूद हम राज्य में कांग्रेस की सरकार को लगातार दोहराने में नाकाम रहे हैं और यह एक गंभीर विषय है। मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा हूं, मैंने अपने विचार और राय कांग्रेस अध्यक्ष, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को इस संबंध में दे दिया है। मुझे पूरा विश्वास है कि अगर हम एक साथ मिल कर काम करेंगे तो सत्ता में हमारी वापसी होगी।
गहलोत के तंज पर कही यह बात…
एक न्यूज वेबसाइट से बातचीत में सचिन पायलट ने कई मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी। जब उनसे अशोक गहलोत के द्वारा उन्हें निकम्मा कहे जाने को लेकर सवाल किया गया तब सचिन पायलट ने कहा, ‘मुझे अभी कितना लंबा धैर्य रखना है? मैं चुपचाप अपना सिर झुकाकर अपना काम कर रहा हूं। जब भी पार्टी नेतृत्व से आज्ञा मिलती है मैं अपना काम करता हूं।
इसके अलावा जिस नाम से मुझे बुलाया जा रहा है..उसका जवाब मैं कई बार ज्यादा मुस्कुराहट के साथ दे चुका हूं। लेकिन मुझे सम्मान देना आता है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपको कितना ज्यादा उकसाया जाता है। लोग और मतदाता हमारे भाग्यविधाता है। वो लोग सुनते हैं कि हम क्या कह रहे हैं और क्या कर रहे हैं।’
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