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सेब नहीं, संतरा है सपा, अखिलेश के रायबरेली दौरे में क्यों दो खेमों में बंटी पार्टी? स्वामी प्रसाद मौर्या और मनोज पांडेय के अलग कार्यक्रम

Samajwadi Party Defeat Under The Leadership Of Akhilesh Yadav, 2012 To 2023  After Mulayam Singh Yadav | UP Politics: अखिलेश यादव के नेतृत्व में कब-कब  बुरी तरह हारी समाजवादी पार्टी, यहां पढ़ें पूरी लिस्टलखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पार्टी की ताकत बढ़ाने के लिए साेमवार को रायबरेली के एक दिवसीय दौरे पर थे पर इस दौरान पार्टी दो खेमों बंटी दिखी। अखिलेश यादव रायबरेली में पार्टी के ही नेताओं के दो अलग-अलग कार्यक्रमों में शिरकत की। पहला पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने आयोजित किया था। दूसरा सपा नेता व ऊंचाहार विधायक मनोज पांडे की ओर से था। सपा के ही दो नेताओं के अलग-अलग कार्यक्रम करना, विधायक और महासचिव पद पर होने के बावजूद एक-दूसरे के कार्यक्रम में ना जाना, ना ही बैनर पर एक दूसरे के नामों का जिक्र होना, सियासी गलियारों में रायबरेली को लेकर चर्चा तेज कर दी।

अखिलेश यादव सोमवार को रायबरेली पहुंचे। कांशीराम की मूर्ति का अनावरण कर दलितों को साधा। यह कार्यक्रम स्वामी प्रसाद की ओर से आयोजित किया गया था। वहीं इस कार्यक्रम के पहले सपा नेता व ऊंचाहार विधायक मनोज पांडे की ओर से जगतपुर में एक और कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें भी राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सहभाग किया और जनसभा को संबोधित किया। पार्टी के ही दोनों नेताओं के कार्यक्रम अलग-अलग हुए। एक दूसरे के कार्यक्रम में दोनों नेता शरीक नहीं हुए और ना ही बैनर पर एक दूसरे के नामों का जिक्र किया गया। पार्टी को एकजुट करने के लिए आए राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पार्टी को एक नहीं कर सके। दो कार्यक्रम होने से जिले के लोग अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अलग-अलग कार्यक्रमों ने पार्टी को दो खेमों में विभाजित कर दिया है।

सपा महासचिव स्वामी प्रसाद और सपा विधायक मनोज पांडेय का ऊंचाहार क्षेत्र में दोनों का अपना-अपना अलग-अलग राजनीतिक क्षेत्र है। सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्या का पुराना चुनाव क्षेत्र ऊंचाहार है। पहली बार वह यही से विधायक बने थे। इसी क्षेत्र में उनके खुद के कई शिक्षण प्रतिष्ठान हैं। इन शिक्षण संस्थानों का वह राजनीतिक उपयोग पहले भी करते रहे हैं और अब भी। उन्हें सपा के टिकट पर ही मनोज पांडे ने शिकस्त दी थी। सपा के टिकट से यहीं से तीसरी बार विधायक बने मनोज पांडे भी सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। विधानसभा चुनाव के पहले सपा में स्वामी प्रसाद के शामिल होने पर ही दोनों में रस्साकशी शुरू हो गई थी। टिकट को लेकर भी दोनों में खूब जोर आजमाइश हुई थी। उस वक्त टिकट की यह लड़ाई सपा मुखिया तक भी पहुंची थी। टिकट पाने में मनोज पांडे कामयाब रहे थे।

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