Friday , November 22 2024

दिल्ली के दो टीचर बन गए कातिल, फ्लैट में दो महिलाओं को मारा और एक सप्ताह बाद मिली लाश

दिल्ली के दो टीचर बन गए कातिल, फ्लैट में दो महिलाओं को मारा और एक सप्ताह बाद मिली लाशनई दिल्ली। टीचर अर्थात गुरु को समाज का सबसे बड़ा सुधारक माना जाता है। टीचर ही हमें शिक्षित कर सही-गलत में अंतर करना सिखाते हैं। टीचर से यह उम्मीद की जाती है कि वह शिक्षा और ज्ञान के जरिए समाज को गलत रास्ते पर जाने से बचाएगा, लेकिन तब क्या हो जब खुद टीचर ही हैवान बन जाए। दो टीचरों की हैवानियत का ऐसा ही एक बेहद खौफनाक मामला राजधानी दिल्ली में सामने आया है, जहां लालच में अंधे होकर उन्होंने अपनी छात्रा और उसकी बुजुर्ग मां को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था।

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान अंकित सिंह राजपूत और किशन के रूप में हुई है, उन्होंने कहा कि दोनों म्यूजिक और इंग्लिश के टीचर हैं, जो मृतका गिन्नी करार को पढ़ाने उसके घर पर आते थे।

 मां-बेटी के ठाट-बाट देख मन में आ गया था लालच

पुलिस के मुताबिक, मृतक मां-बेटी के ठाट-बाट और आलीशान फ्लैट को देखकर उनके मन में लालच आ गया था। आरोपियों ने यह सोचकर उन मां-बेटी के कत्ल का प्लान बनाया था कि उन्हें घर में काफी कैश और गहने मिल जाएगी। इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम देने के लिए उन्होंने लक्ष्मी नगर इलाके से अपराध में इस्तेमाल चाकू खरीदा था।

बताया जा रहा है कि दोनों मां-बेटी की हत्या करने के बाद घर में रखा कैश और गहने लूटने के बाद आरोपी टीचर किशन और अंकित ने बुजुर्ग महिला के बैंक खाते से उसके मोबाइल फोन के जरिये 50 लाख रुपये ट्रांसफर करने की भी कोशिश की थी, लेकिन किसी वजह से वो सफल नहीं हो सके।

बुजुर्ग महिला की बेटी गिन्नी ऑटिस्टिक (बोलने में दिक्कत) थी और उसके नाम पर कई प्रॉपर्टी भी थीं। उसकी दो बड़ी बहन थीं जो शादीशुदा हैं और दिल्ली में रहते हैं, लेकिन राजरानी के अपनी दो बड़ी बेटियों के सथ रिश्ते अच्छे नहीं थे।

चार साल पहले रहने आई थीं कृष्णा नगर

राजरानी के पति हुकुम चंद की 2011 में मौत हो गई थी। पति की मौत के बाद राजरानी और गिन्नी 2019 में कृष्णा नगर ई ब्लॉक के इस फ्लैट में शिफ्ट होने से पहले रोहिणी में रहती थीं। एक सप्ताह तक इस दोहरे हत्याकांड का पता नहीं चलने की एक वजह यह रही कि दोनों मां-बेटी कभी किसी से बात नहीं करती थीं और अपने आप तक सीमित रहती थीं। वो अधिकतर घर के अंदर ही रहती थीं।

साहसी पत्रकारिता को सपोर्ट करें,
आई वॉच इंडिया के संचालन में सहयोग करें। देश के बड़े मीडिया नेटवर्क को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर इन्हें ख़ूब फ़ंडिग मिलती है। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें।

About I watch