नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने शुक्रवार (11 अगस्त 2023) को असम में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की अंतिम रिपोर्ट जारी कर दी। इसके साथ राज्य के 14 लोकसभा और 126 विधानसभा क्षेत्रों का नए सिरे से सीमांकन हो गया है। वहीं, एक लोकसभा और 19 विधानसभा सीटों के नाम भी बदल गए हैं। परिसीमन से मुस्लिमों में खलबली मच गई है।
जिन सीटों के नाम बदले गए हैं, एक लोकसभा सीट का नाम काजीरंगा होगा। इसके अलावा, 19 में से एक विधानसभा क्षेत्र मानस कहलाएगा। ये नाम राज्य के दो बाघ समृद्ध यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के नाम पर रखे गए हैं। वहीं, पंचायत एवं शहरी निकाय स्तर पर किसी तरह तरह का बदलाव नहीं किया गया है।
नई परिसीमन में राज्य की 28 विधानसभा सीटों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (ST/SC) के लिए आरक्षित घोषित कर दिया गया है। इनमें से पाँच विधानसभा सीटों के मुस्लिम बहुल होने के कारण यहाँ से हमेशा अल्पसंख्यक समुदाय से विधायक चुने जाते रहे हैं। अब ये आरक्षित कैटेगरी में आ गए हैं।
चुनाव आयोग ने बयान में कहा कि राज्य की 19 विधानसभा और 2 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित किए गए हैं। वहीं, राज्य में एक लोकसभा और 9 विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित किए गए हैं। इससे पहले विधानसभा में ST के लिए आरक्षित सीटें 16 और SC के लिए 8 सीटें थीं।
बोडोलैंड क्षेत्र में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 11 से बढ़ाकर 15 कर दी गई है। मानकचार विधानसभा क्षेत्र का नाम बदलकर बीरसिंह जरुआ, साउथ सलमारा का नाम मानकचार, मानिकपुर का सृजनग्राम, रूपसी का पकाबेटबारी, गोबरधन का मानस, बदरपुर का करीमगंज नॉर्थ, नॉर्थ करीमगंज का करीमगंज साउथ, साउथ करीमगंज का पत्थरकंडी कर दिया गया है।
निर्वाचन आयोग ने कहा कि सबसे निचली प्रशासनिक इकाई को ग्रामीण क्षेत्रों में ‘गाँव’ और शहरी क्षेत्रों में ‘वार्ड’ के रूप में लिया गया है। इसके अनुसार, गाँव और वार्ड को पहले जैसा ही रखा गया है और इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। जिन मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को आरक्षित घोषित किया गया है, वहाँ से अब मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
इसमें कहा गया कि रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले 1,200 से अधिक आवेदन पर विचार किया गए। आयोग को प्राप्त सुझावों और आपत्तियों में से 45 फीसदी का अंतिम आदेश में समाधान किया गया। बताते चलें कि साल 1976 के बाद से असम में पहली बार परिसीमन किया गया है।
परिसीमन को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का कहना है कि अंतिम अधिसूचना में लोगों की माँगों के अनुरूप राज्य सरकार की ओर से रखे गए कुछ सुझावों को स्वीकार किया गया है। उन्होंने कहा, “हमारे कुछ अनुरोध मान लिए गए हैं।” सीएम सरमा ने कहा कि 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के चुनावी वादों में परिसीमन भी शामिल था।
असम के बोडो समुदाय ने चुनाव आयोग के इस निर्णय का स्वागत किया है। निखिल बोडो छात्र संस्था, बोडो जातीय परिषद, बोडो साहित्य सभा, बोको क्षेत्रीय बोडो जातीय परिषद, दुलाराई बोडो हरिमु अफाद, दुलाराई बाथो महासभा और बोडो महिला कल्याण परिषद ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस पर खुशी जाहिर की। वहीं, कुछ राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं।