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स्वक्षता ही सेवा है के नाम पर मासूम बच्चों की भावनाओं के साथ नगर निगम प्रशासन ने किया खिलवाड़

नन्हे मासूम बच्चों के हाथों मे नगर आयुक्त ने झाड़ू पकड़ा कर महात्मा गाँधी का किया अपमान

डा. मो. कामरान

लखनऊ। उ. प्र. के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वक्षता ही सेवा है, का आवाहन देश की 140 करोड़ जनता से राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को समर्पित करने के लिया किया और उसी गाँधी के हत्यारे की पूजा करते है चलो इसी बहाने गाँधी के आगे सर तो झुकाते है l
स्वच्छता के नाम ढकोसला करने के बजाये अपने मन की गन्दगी को साफ कर ले तो यह देश एक खूबसूरत देश कहलायेगा जहाँ न जात पात के झगडे होंगे न धर्म के नाम पर एक दूसरे के प्रति नफरतें होंगी l महज़ स्वच्छता का आवाहन करने से तस्वीरें खिचवाने से या अख़बार की सुर्खियां बटोर लेने से इस देश की गन्दगी को साफ नहीं किया जा सकता l और इस बार राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को उनके जन्म दिन पर उन्हें ट्रिब्यूट देने के लिए जो रास्ता अपनाया गया वह काफ़ी शर्मनाक है l नन्हे नन्हे मासूमों के हाथ मे झाड़ू पकड़ा कर तस्वीरें खिंचवा कर सरदार जी क्या सन्देश देना चाहते है l
बच्चों से सफाई कराया जाना बाल श्रम अपराध की श्रेणी मे आता है तो क्या योगी बाबा इस पर कोई कड़ा कदम उठाएंगे इस बात पर भी सवाल खड़े होने चाहिए, चर्चा होनी चाहिए l
क्या मुख्य धारा के टी वी चैनलों के एंकरों को बहस नहीं करनी चाहिए डिबेट नहीं होनी चाहिए या फिर सरकार को खुश करने के लिए ये एंकर सरदार जी को चाचा नेहरू की उपाधि देंगे l शर्म बेच कर खा चुके गोदी मीडिया के ये एंकर कब तक अपने ज़मीर का सौदा करते रहेंगे इस पर बुद्धजीवियों और पत्रकारों को लिखना चाहिए या फिर तस्वीरों मे बने रहने के लिए ऐसे ही सम्मान सम्मान खेलते रहेंगे l
देश के लोगों से एक घंटा श्रमदान करने की उम्मीद रखने वाले प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री क्या अपने भ्रष्ट सिस्टम को ठीक करने का भी कोई प्रयास करेंगे या फिर मन की बात करके देश की 140 करोड़ जनता को मन मसोसने के लिए मजबूर करते रहेंगे इस पर भी चर्चा होनी चाहिए l
गाँधी बनने के लिए बकिंघम पैलेस की सीढ़ियों पर एक चादर लपेट कर चढ़ना होता है न कि दस लाख का सूट पहन कर हमारा इशारा आप समझ गए होंगे l विदेशों मे जाकर गाँधी का यशगान करने वाले गाँधी के देश मे उनके सपनों को कैसे चकनाचूर करते है इस बात से आप बखूबी वाकिफ है बस हमारा काम था सरदार जी और और देश के उन माननीयों को आईना दिखाना जो नन्हे मासूमों की भावनाओं से खेलने का कोई भी अवसर हाथ से नहीं जाने देते l अंत मे इतना ही कहना चाहूँगा कि जहाँ भी गलत होता दिखे उसका विरोध करो उस पर कलम चलाओ क्यूंकि आईना इसी लिए अस्तित्व मे आया कि आप अपनी कलम का असरदार इस्तेमाल करें जय हिन्द, जय भारत जय पत्रकारिता l

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