Friday , November 22 2024

मुन्ना बजरंगी और जीवा की हत्या से बुरी तरह डर गया था मुख्तार, सताने लगी थी अपनी जान की चिंता

मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौतहार्ट अटैक आने की वजह से बांदा जेल में बंद माफिया-डॉन मुख्तार अंसारी की मौत हो चुकी है लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब उसका नाम ही लोगों के दिलों में खौफ भर देता था. यूपी में आतंक का पर्याय बन चुके मुख्तार अंसारी को किसी से डर नहीं लगता था लेकिन जब उसके दाहिने हाथ मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या हुई तो वो बुरी तरह टूट गया था.

उस वक्त पंजाब की जेल में बंद मुख्तार अंसारी को जब पुलिसकर्मियों ने मुन्ना बजरंगी की हत्या की जानकारी दी तो उसे यकीन नहीं हुआ. जब मुन्ना बजरंगी के शव की वायरल तस्वीर उसे दिखाई गई तो पहली बार मुख्तार अंसारी के चेहरे पर पुलिसकर्मियों को डर नजर आया था और वो घबरा गया था.

दरअसल मुख्तार अंसारी के सभी काले कामों को उसका दाहिना हाथ यानी की मुन्ना बजरंगी ही संभालता था. मुन्ना को मुख्तार अंसारी के पूरे नेटवर्क की जानकारी थी. यही वजह है कि यूपी के माफियाओं और बदमाशों में ये बात फैल गई थी कि अब मुख्तार गिरोह और उसके विरोधियों के बीच गैंगवार तय है.

दरअसल अब से करीब  6 साल पहले गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में ही हत्या कर दी गई थी. उसकी हत्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर सुनील राठी ने कर दी थी. इसमें कई लोगों के शामिल होने का आरोप लगता रहा लेकिन ये आखिर तक पहेली बनकर ही रह गया कि मुन्ना बजरंगी को मारने के लिए सुनील राठी को किसने ऑर्डर दिया था.

कई रिपोर्टस में दावा किया जाता है कि मुन्ना बजरंगी के काफी करीबी और उसके गहरे दोस्त गैंगस्टर संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या ने मुख्तार अंसारी को अंदर से हिला दिया था और उसे अपनी जान की चिंता सताने लगी थी. पश्चिमी यूपी के चर्चित गैंगस्टर जीवा की बीते साल राजधानी लखनऊ में उस वक्त हत्या कर दी गई थी जब वो पेशी के लिए कोर्ट लाया गया था. उसे गोलियों से भून दिया गया था. बीजेपी नेता ब्रह्म दत्त द्विवेदी की हत्या मामले में जीवा आरोपी था. हमलावर वकील की ड्रेस में आए थे और उसे गोली मार दी थी.

जीवा की मौत के बाद मुख्तार अंसारी बेहद डरा-सहमा रहने लगा था. इसके बाद उसे कड़ी सुरक्षा के बीच पंजाब से यूपी की जेल लाया गया था. बांदा जेल में बंद रहने के दौरान भी मुख्तार अंसारी ने कोर्ट में अपनी जान को खतरा बताया था और कहा था कि उसे जेल में धीमा जहर दिया जा रहा है.

‘ऐरे-गैरे नहीं पूर्व उप राष्ट्रपति, गवर्नर और जज के परिवार से हूं’, SC में मुख्तार अंसारी ने क्यों दी थी दलील

'ऐरे-गैरे नहीं पूर्व उप राष्ट्रपति, गवर्नर और जज के परिवार से हूं', SC में मुख्तार अंसारी ने क्यों दी थी दलीलबात 2021 की है। माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को लेकर पंजाब और उत्तर प्रदेश की सरकारें सुप्रीम कोर्ट में आमने-सामने आ गई थीं। दरअसल, उस वक्त मुख्तार अंसारी बहुजन समाज पार्टी का विधायक था और जबरन वसूली के एक मामले में पंजाब की रोपड़ जेल में बंद था। उत्तर प्रदेश  की योगी आदित्यनाथ सरकार मऊ, वाराणसी और गाजीपुर में दर्ज दर्जनों मामलों में मुख्तार अंसारी का ट्रायल कराना चाहती थी लेकिन पंजाब पुलिस इस तर्क पर उसे यूपी भेजने को तैयार नहीं थी कि मुख्तार अंसारी का स्वास्थ्य इस लायक नहीं है कि उसे यूपी तक भेजा जाय।

जब दोनों राज्य सरकारों के बीच मुख्तार को लेकर सहमति नहीं बनी, तब यूपी सरकार ने डॉन की कस्टडी लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। पंजाब की तत्कालीन अमरिंदर सिंह सरकार ने इस मामले में एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि  मुख्तार अंसारी को हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज समेत कई बीमारियां हैं। इस वजह से डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है और उन्हें अभी यूपी नहीं भेजा जा सकता। इस मामले में तब यूपी सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जबकि पंजाब सरकार की तरफ से मुकुल रोहतगी ने जिरह की थी।

इस अर्जी पर मुख्तार अंसारी की तरफ से भी सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा पेश किया गया था, जिसमें मुख्तार अंसारी ने ना सिर्फ यूपी सरकार की अर्जी का विरोध किया था बल्कि आरोप लगाया था कि योगी सरकार एक प्रायोजित मुठभेड़ में उसे मारने की साजिश रच रही है। अपने हलफनामे में तब मुख्तार ने अपने परिवार के गौरवशाली अतीत का भी हवाला दिया था और कहा था कि वह उस परिवार का हिस्सा हैं, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अतुलनीय योगदान दिया है। इसके अलावा पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी जैसे नेता उसके परिवार के अंग हैं।

मुख्तार अंसारी ने अपने हलफनामे  में तब कहा था कि योगी सरकार में उसकी जान को खतरा है और यूपी सरकार की अर्जी उसकी मौत का वारंट मांगने के लिए है। अंसारी ने अपनी वंशावली का उल्लेख करते हुए तब कहा था, “वह उस परिवार का हिस्सा हैं, जिसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत बड़ा योगदान दिया है। भारत को मुहम्मद हामिद अंसारी के रूप में उप राष्ट्रपति दिया है। शौकतुल्ला अंसारी के रूप में ओडिशा को एक राज्यपाल और न्यायमूर्ति आसिफ अंसारी के रूप में इलाहाबाद हाई कोर्ट को एक जज दिया है।” अंसारी ने हलफनामे में अपने पिता सुभानुल्लाह अंसारी का भी जिक्र किया था जो एक स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता थे।

मुख्तार अंसारी ने तब सुप्रीम कोर्ट से वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के जरिए ट्रायल की इजाजत देने की मांग की थी और कहा था कि यूपी में स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है,क्योंकि भाजपा नेताओं और राज्य सरकार की मिलीभगत से उसकी जिंदगी को वहां खतरा है। अंसारी ने बार-बार जोर देकर कहा था कि यूपी सरकार उसकी व्यक्तिगत हिरासत केवल उसे मारने के इरादे से मांग रही है। इस मामले में बाद में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को यूपी की जेल में शिफ्ट कराने का आदेश दिया था।

जब कोर्टरूम में ही मुख्तार अंसारी ने IPS पर कर दी थी फायरिंग, जेलकर्मियों को गाय-भैंस खरीदकर देता था डॉन

जब कोर्टरूम में ही मुख्तार अंसारी ने IPS पर कर दी थी फायरिंग, जेलकर्मियों को गाय-भैंस खरीदकर देता था डॉनउत्तर प्रदेश के बांदा जेल में बंद माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। गुरुवार की शाम तबीयत बिगड़ने के बाद अंसारी को जिला जेल से रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था, जहां उसकी मौत हो गई। 63 साल के अंसारी मऊ सदर सीट से पांच बार विधायक रह चुका था। अंसारी 2005 से लगातार उत्तर प्रदेश और पंजाब में जेलों में बंद था, उसके खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक मामले लंबित थे। उत्तर प्रदेश की विभिन्न अदालतें सितंबर 2022 से उसे आठ मामलों में सजा सुना चुकी थी।

अंसारी का नाम पिछले साल उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा जारी 66 गैंगस्टरों की सूची में था। वह राज्य का एक चर्चित और दुर्दांत माफिया था जिसके आतंक के कई किस्से चर्चा में रहे हैं। 1996 में तो उसने गाजीपुर के एडिशनल एसपी पर ही फायरिंग कर दी थी। आजतक से बातचीत में रिटायर्ड IPS अधिकारी उदय शंकर जायसवाल ने बताया कि 1996 में वह गाजीपुर में बतौर एडिशनल एसपी तैनात थे। उन्हें हेडक्वार्टर से सूचना मिली थी कि गाजीपुर डिग्री कॉलेज में होने वाले छात्रसंघ चुनाव में कुछ गड़बड़ी और हिंसक वारदात हो सकती है।

इसके अलावा एक चुराई गई गाड़ी जिसका नंबर यूपी 61- 8989 था, के बारे में भी इनपुट मिला था। बकौल जायसवाल, 27 फरवरी 1996 को वह पूरी टीम के साथ गाजीपुर में कोतवाली थाना क्षेत्र में लंका बस स्टैंड पर मुस्तैदी से गाड़ियों की चेकिंग करवा रहे थे, तभी यूपी 61- 8989 नंबर की एक जिप्सी आती हुई दिखाई दी। उस गाड़ी पर बसपा अध्यक्ष लिखा हुआ था।

रिटायर्ड IPS अधिकारी के मुताबिक, “जब एक इन्स्पेक्टर ने उस गाड़ी को रोका तो गाड़ी से आवाज आई, ‘किसकी औकात है, जो मुख्तार की गाड़ी की चेकिंग करे’ और ऐसा  कहते हुए गाड़ी से फायरिंग शुरू हो गई।” पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की। खुद जायसवाल ने उस गाड़ी के टायर को निशाना बनाकर फायरिंग की, जिसमें टायर पंक्चर हो गई। बावजूद इसके मुख्तार तीन पहियों पर गाड़ी को भगा ले गया। थोड़ी ही देर बाद मुख्तार गाजीपुर डीएम के आवास पर पहुंच गया, जहां उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी ने बताया कि जब मुख्तार अंसारी के गुर्गों संग मुठभेड़ हो रही थी, तभी उसकी जिप्सी में सवार एक शख्स को गोली लग गई, जिसे बाद में अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां पता चला कि वह जेलकर्मी साहिब सिंह है, जो जेल की ड्यूटी के बाद मुख्तार की ड्यूटी करता था। उसके पास लाइसेंसी बंदूक थी। बकौल जायसवाल, जांच में ये बात सामने आई कि मुख्तार अंसारी जेल के कई कर्मचारियों को गाय-भैंस खरीदकर देता था। ताकि उसके परिवार का खर्चा चलता रहे। इसके अलावा वह अपनी राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर लोगों को हथियारों का लाइसेंस भी दिलवाता था। ऐसे कई लोग अपने हथियारों के लेकर अंसारी की टीम में शामिल हो गए थे।

बकौल जायसवाल, एक बार ऐसा भी हुआ था, जब डॉन मुख्तार अंसारी ने कोर्टरूम में ही उस पर फायरिंग कर दी थी। उन्होंने बताया कि एक मामले में अंसारी की कोर्ट में पेशी हुई थी, जहां उनका उससे आमना-सामना हो गया। अंसारी अपनी गिरफ्तारी से जायसवाल से खफा था, इसलिए उन्हीं पर फायरिंग कर दी थी। उस मामले में मुख्तार अंसारी को 10 साल की सजा हुई थी।

रमजान में मरा अपराधी, बाबा गोरखनाथ का न्याय; मुख्तार अंसारी के मरने पर बोला कृष्णानंद राय का बेटा

रमजान में मरा अपराधी, बाबा गोरखनाथ का न्याय; मुख्तार अंसारी के मरने पर बोला कृष्णानंद राय का बेटाउत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में दशकों तक खौफ का पर्याय रहे माफिया मुख्तार अंसारी की मौत हो गई है। गुरुवार की रात को उसे हार्ट अटैक आ गया था और बांदा मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसे लेकर मुख्तार अंसारी का परिवार हत्या का आरोप लगा रहा है, लेकिन कृष्णानंद राय का परिवार इस घटना से खुश है। भाजपा के विधायक रहे कृष्णानंद राय की 2005 में हत्या कर दी थी और उन पर करीब 500 गोलियां चलाई गई थीं। इस हत्याकांड के बाद से ही मुख्तार अंसारी के बुरे दिन शुरू हुए थे, जबकि वह 1988 से ही राजनीति में सक्रिय था।

मुख्तार अंसारी की मौत के बाद कृष्णानंद राय के परिवार का रिएक्शन भी आया है। उनके बेटे पीयूष राय ने बयान जारी कर कहा कि यह बाबा गोरखनाथ का न्याय है। पीयूष राय ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘आज आप लोगों के माध्यम से यह पता चला है कि माफिया मुख्तार अंसारी की मौत हो चुकी है। मेरा मानना है कि बाबा गोरखनाथ का आशीर्वाद है कि उनके दरबार से यह न्याय सुनने को मिला है। रमजान के पावन महीने में ऐसे अपराधी का यह अंत हुआ है। यह अल्लाह का भी न्याय है। मेरा मानना है कि बाबा गोरखनाथ का आशीर्वाद का मुझे और मेरे परिवार को मिला है। जय गोरखनाथ, जय श्री राम।’

इस बीच कृष्णानंद राय के परिवार के लोग काशी विश्वनाथ धाम भी दर्शन करने के लिए गए हैं। 2005 में कृष्णानंद राय की बेरहमी से हत्या हो गई थी और इससे राजनीति में भूचाल आ गया था। भले ही उस दौर में मुख्तार अंसारी के खिलाफ दर्ज मामले तेजी से आगे नहीं बढ़े, लेकिन 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के आने के बाद उस पर शिकंजा कसता गया।

पंजाब से यूपी लाया गया था मुख्तार अंसारी

सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट में मुख्तार अंसारी को पंजाब से यूपी लाने के लिए अर्जी दाखिल की गई। इसके बाद उसके खिलाफ ट्रायल तेजी से आगे बढ़ाए गए। वह इन दिनों उम्रकैद की सजा काट ही रहा था। लेकिन कई और मामलों में उसे उम्रकैद समेत कई सजाएं और मिल चुकी थीं। अंत में जेल में ही रहने के दौरान उसकी मौत हो गई।

सरकार ने जब्त किए 608 करोड़, फिर भी इतनी दौलत छोड़ गया मुख्तार अंसारी

Mukhtar Ansari Net Worth: सरकार ने जब्त किए 608 करोड़, फिर भी इतनी दौलत छोड़ गया मुख्तार अंसारीमऊ जिले में सदर विधानसभा के पूर्व विधायक रहे मुख्तार की गुरुवार को बांदा के सरकारी अस्पताल में हार्ट अटैक से मौत हो गई। गाजीपुर के यूसूफपुर मोहम्मदाबाद निवासी माफिया पिछले करीब तीन साल से बांदा जेल में बंद था। अंसारी की मृत्यु के साथ ही अपराध के एक युग और राजनीति के साथ उसके गठजोड़ के एक अध्याय का अंत हो गया।

मुख्तार के बारे में कहा जाता है कि उसने अपनी अपराध की दुनिया से लेकर राजनीतिक सांठगांठ से सैकड़ों करोड़ की प्रॉपर्टी जुटाई। मुख्तार की बेशुमार दौलत का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि सरकारी एजेंसियों ने उसके पास से 2020 से 608 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध संपत्तियों को जब्त या ध्वस्त किया है। मुख्तार अंसारी ने आखिरी चुनाव 2017 में जेल से लड़ा था और जीता भी था। वह पांच बार विधायक रहा। मुख्तार द्वारा चुनाव में दायर हलफनामे के मुताबिक, उसके पास कुल 21.88 करोड़ रुपये से अधिक की एसेट्स यानी संपत्ति थी। इस एसेट्स का अधिकांश हिस्सा, लगभग 20 करोड़ रुपये, रियल एस्टेट में लगा है।

चुनावी हलफनामे के अनुसार, मुख्तार अंसारी और उसकी पत्नी के पास संयुक्त रूप से लगभग 3.23 करोड़ रुपये की कृषि भूमि थी। इसके अलावा, उनके पास 4.90 करोड़ रुपये की गैर-कृषि भूमि थी। सिर्फ जमीन ही नहीं, बल्कि गाजीपुर से लेकर लखनऊ तक, उसके परिवार के पास कई कॉमर्शियल बिल्डिंग्स भी हैं, जिनकी कीमत 2017 में 12.45 करोड़ रुपये थी। उसके पास कई आवासीय इमारतें भी हैं, जिनकी कीमत 1.70 करोड़ रुपये है। एसेट्स के इतर मुख्तार पर 6.91 करोड़ रुपये की देनदारी थी। मुख्तार अंसारी की 2015-16 में कुल आय 17.75 लाख रुपये थी। इसके अलावा उनके 2 आश्रितों की आय 2.75 लाख और 3.83 लाख रुपये थी।

2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में दायर अंसारी के हलफनामे के अनुसार, उनके और उनके परिवार के सदस्यों के तीन प्रमुख बैंकों में खाते थे। उसका एसबीआई में व्यक्तिगत खाता था, जबकि पत्नी के एसबीआई, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और एचडीएफसी बैंक में खाते थे। इसके अलावा, उसके बच्चों के खाते आईसीआईसीआई बैंक और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में थे। 2017 में इन खातों में कुल 10.61 लाख रुपये जमा थे। इसके अलावा 3.45 लाख रुपये नकद के अलावा बीमा में 1.90 लाख रुपये का निवेश था। उसके परिवार के पास कुल 72 लाख रुपये का सोना था। उनके पास 27.50 लाख रुपये की कुल कीमत के अलावा एक एनपी बोर रिवॉल्वर, एक बन्दूक और राइफल जैसे हथियार भी थे।

मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्या से लेकर जबरन वसूली तक के 65 मामले दर्ज थे, फिर भी वह विभिन्न राजनीतिक दलों के टिकट पर पांच बार विधायक चुना गया। साल 1963 में एक प्रभावशाली परिवार में जन्मे अंसारी ने राज्य में पनप रहे सरकारी ठेका माफियाओं में खुद को और अपने गिरोह को स्थापित करने के लिए अपराध की दुनिया में प्रवेश किया।

साल 1978 की शुरुआत में महज 15 साल की उम्र में अंसारी ने अपराध की दुनिया में कदम रखा। अंसारी खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत गाजीपुर के सैदपुर थाने में पहला मामला दर्ज किया गया था। लगभग एक दशक बाद 1986 में, जब तक वह ठेका माफियाओं के बीच एक जाना-पहचाना चेहरा बन चुका था, तब तक उसके खिलाफ गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत एक और मामला दर्ज हो चुका था। अगले एक दशक में वह अपराध की दुनिया में कदम जमा चुका था और उसके खिलाफ जघन्य अपराध के तहत कम से कम 14 और मामले दर्ज हो चुके थे।

हालांकि अपराध में बढ़ता अंसारी का कद राजनीति में उसके प्रवेश में बाधा नहीं बना। अंसारी पहली बार 1996 में मऊ से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर विधायक चुना गया था। उसने 2002 और 2007 के विधानसभा चुनावों में एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इस सीट पर अपनी जीत का सिलसिला कायम रखा।

मुलायम की सरकार बचाई, पर नेताजी मुख्तार अंसारी को नहीं बचा पाए; आडवाणी के चलते बढ़ा था दबाव

मुलायम की सरकार बचाई, पर नेताजी मुख्तार अंसारी को नहीं बचा पाए; आडवाणी के चलते बढ़ा था दबावयूपी की बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत के बाद अपराध के साथ ही राजनीति के भी एक दौर का समापन हो गया है तो वहीं कुछ पुराने किस्से भी फिर चर्चा में हैं। मुख्तार अंसारी अपराध के साथ ही राजनीति में भी मजबूत हैसियत बना चुका था। उसकी ताकत यहां तक थी कि 2003 में जब मुलायम सिंह यादव को विधानसभा में अपनी सरकार का विश्वासमत साबित करना पड़ा तो मुख्तार अंसारी ने निर्दलीय विधायकों के साथ उनका समर्थन किया था। इस तरह मुलायम सिंह यादव ने सरकार बचा ली थी। यही वजह थी कि मुलायम सिंह यादव से उनकी निकटता बन गई थी। माना जाता था कि सपा सरकार में मुख्तार को थोड़ा संरक्षण रहता है।

मुख्तार अंसारी उस दौर में बेहद मजबूत था। गाजीपुर से लेकर मऊ और काशी तक में लोग उसका खौफ मानते थे। लेकिन दो घटनाओं ने मुख्तार अंसारी के ताबूत में 19 साल पहले ही कील ठोक दी थी। मऊ में 2005 में वह खुली जीप में घूमा था और दंगा करा दिया था। इस घटना में बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे। इस पर मुख्तार अंसारी बुरी तरह से घिर गया था। इसके बाद उसे जेल में डाल दिया गया। फिर भी माना जा रहा था कि मुलायम सिंह यादव सरकार में वह वापसी कर सकता है, लेकिन इसी बीच उसने कृष्णानंद राय की हत्या करा दी।

जब आडवाणी भी कृष्णानंद राय की हत्या पर काशी आए

कृष्णानंद राय की हत्या से पूरे यूपी में तनाव पैदा हो गया। भाजपा के नेता की इस तरह हत्या ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व तक को सकते में ला दिया। राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह, कलराज मिश्र जैसे नेता आंदोलन कर रहे थे। इसी बीच खुद लालकृष्ण आडवाणी ने वाराणसी में पदयात्रा में शामिल होने का फैसला लिया, जिसके चलते मुलायम सिंह यादव दबाव में आ गए। कहा जाता है कि इस वाकये से राज्य में पोलराइजेशन का भी खतरा था। पहले मऊ दंगा और फिर कृष्णानंद की राय सरेआम 500 गोलियां मारकर हत्या करने से मुख्तार अंसारी का साथ देना मुश्किल हो गया था।

मुलायम खुद बोले- किसी को बचाने की कोशिश नहीं 

उस दौर में मायावती की सरकार को हटाकर मुलायम सिंह यादव सत्ता में आए थे। ऐसे में कोई रिस्क लेना भी नहीं चाहते थे। उन्होंने खुद सामने आकर कहा, ‘मेरे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। मैं किसी को बचाने की कोशिश भी नहीं कर रहा। दोषी को सजा मिलेगी।’ दरअसल मुख्तार अंसारी ने जेल से ही बैठकर अपने गुर्गे मुन्ना बजरंगी के जरिए हत्या कराई थी। इसके बाद मुन्ना बजरंगी भी कुख्यात हो गया था। वह चलती कार में हत्या करने के स्टाइल के चलते चर्चा में आया था और कृष्णानंद राय की भी ऐसे ही हत्या हुई थी।

आधी रात गाजीपुर में दफन होगा मुख्तार अंसारी, पोस्टमार्टम के बाद बांदा से शव आने में 8-9 घंटे लगेंगे

आधी रात गाजीपुर में दफन होगा मुख्तार अंसारी, पोस्टमार्टम के बाद बांदा से शव आने में 8-9 घंटे लगेंगेपूर्वांचल के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को आधी रात गाजीपुर में दफनाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश के दूसरे छोर बांदा की जेल में गुरुवार की शाम हार्ट अटैक के बाद मुख्तार की मौत हो गई थी। बांदा मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू हो गई है लेकिन पोस्टमार्टम शुरू नहीं हुआ है। परिवार द्वारा जहर देकर मुख्तार को मारने की साजिश के आरोप के बीच पांच डॉक्टरों का मेडिकल बोर्ड मुख्तार के शव का पोस्टमार्टम करेगा। पोस्टमार्टम प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग भी होगी। सीएमओ द्वारा मेडिकल बोर्ड गठन के आदेश का इंतजार हो रहा है। कागजी कार्यवाही के बाद दोपहर 1 बजे पोस्टमार्टम होने की संभावना है। बांदा मेडिकल कॉलेज में मुख्तार के बेटे उमर के साथ रहे वकील ने कहा है कि जान-बूझकर पोस्टमार्टम में देरी की जा रही है। मुख्तार की बहू निखत बानो भी पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गई हैं।

मुख्तार की मौत की खबर सुनते ही गाजीपुर में फाटक नाम से मशहूर मुख्तार के घर पर समर्थकों की भारी भीड़ जुट गई थी। गुरुवार रात में नारेबाजी कर रही इस भीड़ को पुलिस और परिवार के लोगों ने शांत कराने की कोशिश लेकिन कुछ खास असर नहीं हुआ। शुक्रवार को भी भीड़ में कोई कमी नहीं आई है। ऐसे माहौल में मुख्तार अंसारी का शव गाजीपुर ऐसे समय पहुंचे जब भीड़ कम हो, ये कोशिश प्रशासन की हो सकती है। बांदा मेडिकल कॉलेज से गाजीपुर में मुख्तार अंसारी का घर लगभग 400 किलोमीटर दूर है। किसी भी सूरत में यह दूरी 8-9 घंटे से कम समय में तय नहीं हो सकती है। अगर बांदा से शव दिन के 2 बजे निकलता है तो भी गाजीपुर पहुंचते-पहुंचते रात के 11 बज जाएंगे।

बांदा में मौजूद मुख्तार के बेटे उमर अंसारी को पोस्टमार्टम के बाद शव लेने में दोपहर तक का समय निकल सकता है। संभावना है कि मुख्तार का शव बांदा से गाजीपुर आधी रात तक पहुंचे। मुख्तार की मौत के बाद यूपी में धारा 144 लागू है। गाजीपुर से मऊ तक पुलिस सतर्कता बरती जा रही है। लेकिन मुख्तार अंसारी के घर जुटी भारी भीड़ से कानून-व्यवस्था की कोई समस्या ना पैदा हो इसके लिए शव को गाजीपुर पहुंचने के फौरन बाद आधी रात को ही दफनाया जा सकता है।

मुख्तार अंसारी का विधायक बेटा अब्बास अंसारी कासगंज की जेल में बंद है जो जनाजे में शामिल होने के लिए पैरोल मांगने हाईकोर्ट जा रहा है। अब्बास को अगर पैरोल मिलता है तो फिर कोर्ट का आदेश कासगंज जेल पहुंचने और वहां से छूटकर गाजीपुर आने का इंतजार भी करना पड़ सकता है। कासगंज से गाजीपुर की दूरी लगभग 650 किलोमीटर है जिसे तय करने में अब्बास को जेल से निकलने के बाद कम से कम 10-11 घंटे का वक्त लग सकता है।

मुख्तार अंसारी के परिवार ने मुख्तार को जहर देकर मारने की साजिश का आरोप लगाया है। अखिलेश यादव, मायावती, तेजस्वी यादव, असदुद्दीन ओवैसी समेत कई नेताओं ने मुख्तार के मौत की न्यायिक जांच की मांग की है। मुख्तार ने खुद भी धीमा जहर देकर मारने की साजिश का आरोप लगाया था और कहा था कि उसकी मौत कभी भी हो सकती है। 21 मार्च को बाराबंकी की अदालत में मुख्तार ने जहर देकर मारने की साजिश का आरोप लगाया था। दो दिन पहले जब मुख्तार की तबीयत खराब हुई थी और अस्पताल लाया गया था, तब भी उनके सांसद भाई अफजाल अंसारी ने इसी तरह के आरोप लगाए थे।

 

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