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दिल्ली हादसे के बाद भी बेखबर; लखनऊ में लाखों छात्रों की जिंदगी खतरे में, फायर विभाग को पता ही नहीं कहां कितनी कोचिंग

27 जुलाई की रात दिल्ली के राजेंद्र नगर में कोचिंग सर्किल के बेसमेंट में पानी भरने से तीन छात्रों की मौत हो गई थी. इससे दो माह पहले दिल्ली के ही मुखर्जी नगर में आग लगने से 20 बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई. लगातार हो रहे इन हादसों से लगता नहीं कि सबक लिया गया है.

लखनऊ। बीती 27 जुलाई की रात दिल्ली के राजेंद्र नगर में कोचिंग सर्किल के बेसमेंट में पानी भरने से तीन छात्रों की मौत हो गई थी. इससे दो माह पहले दिल्ली के ही मुखर्जी नगर में आग लगने से 20 बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई. लगातार हो रहे इन हादसों से लगता नहीं कि सबक लिया गया है. प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी हालात इससे अलग नहीं हैं. यहां भी बेसमेंट में करीब 2 हजार कोचिंग सेंटर चल रहे हैं. न तो आपातकाल में बचाव की कोई व्यवस्था है, न ही आग लगने की दशा में सुरक्षा के कोई खास इंतजाम. इन कोचिंग सेंटरों में बेतरतीब फैले बिजली के तारों से हमेशा अनहोनी की आशंका रहती है. इसके बावजूद अफसर आंख मूंदे बैठे हुए हैं. दिल्ली की घटना के बाद बेसमेंट में चल रहीं कई कोचिंग पर विकास प्राधिकरण ने कार्रवाई की है, लेकिन यह अभी सीमित है. छात्र-छात्राओं की जिंदगी से खिलवाड़ अब भी जारी है.

हजरतगंज और कपूरथला हैं हब : लखनऊ के हजरतगंज व कपूरथला में लाखों बच्चे डॉक्टर, आईएएस, आईपीएस बनने का सपना लेकर कोचिंग पढ़ने आते हैं. इन्हें इसका अंदेशा भी नहीं रहता कि इन कोचिंग सेंटर्स में इनकी जिंदगी पर लगातार खतरा बना है. कोचिंग सेंटरों में फायर सेफ्टी के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. बेसमेंट में जाने के अंधेरे भरे रास्तों, सीलन, बाहर निकलने के लिए सीमित जगह जैसी दिक्कतों के अलावा आग बुझाने के पर्याप्त इंतजाम भी यहां नहीं हैं. एक अनुमान के मुताबिक हजरतगंज, कपूरथला, कृष्णानगर, पत्रकार पूरम, चिनहट में 2000 से अधिक कोचिंग सेंटर हैं.

कोचिंग सेंटर रेगुलेशन न होने का संचालक उठाते हैं फायदा : कोचिंग सेंटर के रेगुलेशन का फिलहाल कोई नियम नहीं है. लखनऊ में दो हजार से अधिक कोचिंग सेंटर हैं, लेकिन इनके रेगुलेशन के लिए कोई प्रावधान नहीं है. बीते वर्ष राजधानी की जिन कोचिंग में आग भड़की थी, उसमें आने-जाने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता था, जो बेहद ही संकरा था. अग्निकांड के बाद जिला प्रशासन और फायर विभाग द्वारा यह दावा किया गया था कि बिना अग्निशमन नियमों का उल्लंघन करने वाली सभी कोचिंग सेंटर पर कार्रवाई की जाएगी. हालांकि यह दावा समय बीतते फुस्स हो गया.

फायर विभाग को मालूम ही नहीं, कहां कहां हैं कोचिंग सेंटर : लखनऊ के सीएफओ मंगेश कुमार कहते हैं कि राजधानी में जितने भी व्यावसायिक संस्थान हैं, खासकर होटल, हॉस्पिटल, स्कूल और कोचिंग सेंटर, यहां फायर सेफ्टी और उपकरणों की जांच के लिए अभियान चलाया जा रहा है. सभी फायर स्टेशन अधिकारियों को टीम बनाकर कोचिंग सेंटरों में आग से बचाव के इंतजाम और NOC की जांच करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही यह भी कहते हैं कि फायर विभाग ने उच्च शिक्षा अधिकारी को पत्र लिख कर राजधानी की सभी कोचिंग सेंटर की लिस्ट मांगी है, ताकि सभी सेंटर की जांच की जा सके.

निरक्षण करने के लिए शिक्षा विभाग के पास नहीं मैंन पावर : लखनऊ के रीजनल उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ. सुधीर चौहान के मुताबिक, कोचिंग सेंटर का रजिस्ट्रेशन करने के दौरान मौका मुआयना करवाया जाता है. हालांकि मैन पावर की कमी के चलते दुबारा निरक्षण करने में थोड़ा समय लग जाता है. फिर भी कोचिंग सेंटर चलाने वालों को नोटिस जारी किया जाएगा.

कोचिंग सेंटर में क्या होनी चाहिए व्यवस्था

  • शैक्षणिक संस्थान की बिल्डिंग का ग्राउंड एरिया 65 प्रतिशत खाली होना चाहिए.
  • इसका फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) 150 हो.
  • फायर एग्जिट, पलायन मार्ग की स्पष्टता.
  • पलायन मार्ग की डिस्टेंस.
  • वैकल्पिक रास्ता और जीने की व्यवस्था.
  • आकस्मिक स्थिति में लाइट की व्यवस्था.
  • बेसमेंट में रैंप की व्यवस्था.

बिल्डिंगों में सुरक्षा के लिए क्या-क्या है जरूरी

  1. फायर एक्सटिंग्यूशर
  2. डाउन कमर सिस्टम
  3. यार्ड हाइडेंट सिस्टम
  4. आटोमेटिक स्प्रिंकलर्स सिस्टम
  5. आटोमैटिक डिटेक्शन एवं अलार्म सिस्टम
  6. मैनुअली ऑपरेटेड इलेक्ट फायर अलार्म सिस्टम
  7. अंडरग्राउंड वाटर टैंक
  8. ओवरहेड वाटर टैंक

यदि आपके पास 200 स्क्वायर मीटर का प्लॉट है तो ग्राउंड फ्लोर पर 70 स्क्वायर मीटर (100 स्क्वायर मीटर का 035 फीसदी) में ही बिल्डिंग बना सकते हैं
फर्स्ट फ्लोर में पूरे 70 स्क्वायर मीटर में बिल्डिंग बना सकते हैं. इस तरह से 35 फीसदी कवर हो गया. इसी अनुपात में आप ऊपर की मंजिल बना सकते हैं.

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