नई दिल्ली। असम में एनआरसी की जारी अंतिम लिस्ट पर बीजेपी नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि देश के सभी राज्यों में एनआरसी लिस्ट जारी होनी चाहिए क्योंकि अवैध बांग्लादेशी शरणार्थी देश के कई हिस्सों में रह रहे हैं. अग्रवाल ने कहा, “एनआरसी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है. उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और कई अन्य ऐसे राज्य हैं जहां असम की ही तरह अवैध बांग्लादेशी शरणार्थी रह रहे हैं.”
एनआरसी की रिपोर्ट पर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है. राज्यसभा में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जहां एक ओर विपक्ष पर जोरदार निशाना साधा वहीं अलग-अलग पार्टियां इस मुद्दे पर अपनी सियासत आजमाती नजर आ रही हैं. आरोप-प्रत्यारोप के इस खेल में सियासी पारा चरम पर है.
मामले पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने एनआरसी की तर्ज पर मुंबई में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों का सर्वेक्षण कराने की मांग की है. मनसे नेता बाला नंदगांवकर ने मुंबई में एक बयान जारी कर कहा, “अब यह साबित हो चुका है कि असम में 40 लाख से अधिक लोग अवैध घुसपैठिए रहते हैं. राज ठाकरे वर्षों से इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं.”
राजनीति से हट कर एनआरसी की ये रिपोर्ट उन लोगों के लिए बड़ी परेशानी बन चुकी है जो भारत के ही रहने वाले हैं, लेकिन सूची में उनका नाम नहीं है. ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमें एक ही परिवार के कुछ लोगों के नाम तो लिस्ट में हैं जबकि उसी परिवार के अन्य लोगों के नाम लिस्ट से गायब हैं.
देश के पूर्व राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद के परिजनों के साथ भी कुछ ऐसी ही घटना हुई है. पूर्व राष्ट्रपति के परिवार के सदस्यों के नाम इस सूची में नहीं हैं. परिजनों के अनुसार उनके पास जरूरी कागजात नहीं हैं, जिस कारण उनका परिवार इसके लिए आवेदन नहीं दे पाया था.
जियाउद्दीन अहमद, उनकी पत्नी अकीमा बेगम, बेटे हबीब अली अहमद और वाजिद अली अहमद कामरूप जिले में कालामोनी ब्रह्मपुर में रहते हैं. लेकिन जरूरी दस्तावेज नहीं होने के कारण वे अपने नाम एनआरसी में शामिल करने के लिए आवेदन नहीं कर पाए.
वहीं,पश्चिम बंगाल विधानसभा में एनआरसी की अंतिम लिस्ट के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया गया और सर्वसम्मति से इसकी निंदा करते हुए प्रस्ताव को स्वीकार किया गया. राज्य के मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा, “हमें राजनीति से ऊपर उठ कर साथ मिल कर प्रदर्शन करना है. एनआरसी कुछ नहीं बस वोट बैंक की राजनीति के लिए सरकार का एक खेल है सिर्फ.”
बीजेपी के महासचिव और प्रदेश में पार्टी प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने नादिया जिले में एक सभा में ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा था कि जब असम में घुसपैठियों की संख्या 40 लाख है तो पश्चिम बंगाल में तो ये करोड़ो में होंगे.
विजयवर्गीय ने कहा, ”पश्चिम बंगाल का युवा चाहता है कि बांग्लादेश से आए घुसपैठियों की पहचान हो, जिसकी वजह से उन्हें काफी दिक्कतों, जैसे कि बेरोजगारी और कानून व्यवस्था का, सामना करना पड़ रहा है. बीजेपी उनकी मांगों का समर्थन करती है.”
इस बीच एनआरसी की रिपोर्ट पर अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं. मानवाधिकार संगठन ह्यूमन रासइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि भारतीय अधिकरियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दस्तावेजों की मांग और एनआरसी में नागरिकों के नामों के अपडेट की प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से और निष्पक्ष हो.